जब महारानी गायत्री का इंदिरा गांधी ने भरी संसद में किया था अपमान

अनन्या मिश्रा

जयपुर की महारानी गायत्री देवी दुनिया की सबसे सुंदर 10 महिलाओं में से एक थीं। महज 12 साल की उम्र में उन्होंने चीते का शिकार किया था, तो वहीं 16 साल की उम्र में वह एक बड़े राजघराने की महारानी बन गई थीं। चुनाव मैदान में उतरीं तो गिनीज बुक में नाम दर्ज करवा लिया। अपने समय में गायत्री देवी ने दो-दो प्रभावशाली प्रधानमंत्रियों से पंगा लिया और पांच महीने जेल में बिताए। हालांकि जीवन के आखिरी दौर में उन्हें अपनी किला बचाने के लिए झुग्गी-झोपड़ी वालों के साथ सड़कों पर बैठना पड़ा।

अगर गायत्री देवी चाहती तो वह आसानी से मुख्यमंत्री बन सकती थीं। उस दौर में गायत्री देवी इटली की सबसे महंगी सिगरेट का आनंद लेतीं। खूबसूरत इतनी की खुद देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी उनसे जलन की भावना रखने लगी थीं और इंदिरा गांधी उन्हें चुनौती के रूप में देखने लगी थीं। बता दें कि जयपुर की महारानी और सबसे खूबसूरत महिला गायत्री देवी का आज ही के दिन यानी की 29 जुलाई को निधन हो गया था। आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर गायत्री देवी के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में…

जन्म और शिक्षा

जयपुर के भूतपूर्व राजघराने की राजमाता गायत्री देवी का जन्म लंदन में 23 मई 1919 को हुआ था। उनके पिता राजकुमार जितेन्द्र नारायण कूचबिहार के युवराज के छोटे भाई थे। गायत्री देवी की माता बड़ौदा की राजकुमारी इंदिरा राजे थीं। गायत्री देवी को बचपन में आयशा नाम से पुकारा जाता था। उन्होंने अपनी शुरूआती शिक्षा शांतिनिकेतन से पूरी की। बताया जाता है कि यहां पर इंदिरा गांधी भी पढ़ाई करती थीं। इसके बाद वह आगे की शिक्षा ग्लेन डोवेर प्रिपरेटरी स्कूल लंदन, विश्व-भारती यूनिवर्सिटी, लॉसेन और स्विट्जरलैंड से पूरी की। उन्हें पढ़ाई के साथ ही घुड़सवारी और पोलो खेलने का काफी ज्यादा शौक था।

शादी

जयपुर के महाराजा सवाई मानसिंह (द्वितीय) की गायत्री देवी तीसरी पत्नी थीं। महाराजा सवाई मानसिंह की पहली शादी 1924 में, दूसरी शादी 1932 में हुई थी। वहीं गायत्री देवी से उनकी तीसरी शादी साल 1940 में हुई थी।

राजनीतिक सफर

गायत्री देवी के राजनीतिक सफर की बात करें तो उन्हें अपनी बेबाकी के लिए जाना जाता था। 15 साल के राजनीतिक सफर के दौरान उन्होंने स्वतंत्र पार्टी से 3 बार चुनाव जीता। बता दें कि साल 1962 में स्वतंत्र पार्टी के टिकट पर पहली बार महारानी गायत्री देवी ने लोकसभा चुनाव लड़ा। इस दौरान वह 1 लाख 92 हजार वोटों से जीतीं। उनकी इतनी बड़ी जीत के कारण गायत्री देवी का नाम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल किया गया था।

यहां से गायत्री देवी के राजनीतिक सफर की शुरूआत हुई थी। बताया जाता है कि एक बार जवाहर लाल नेहरू से उनकी संसद में बहस हो गई थी। हालांकि ऐसा माना जाता है कि गायत्री देवी और नेहरू के बीच राजनीतिक विरोध था। लेकिन जब इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री बनीं तो गायत्री देवी से उनका विरोध निजी हो गया। क्योंकि यह दोनों एक-दूसरे को बचपन से जानती थीं। दोनों एक दूसरे की परस्पर विरोधी थीं। एक बार तत्कालीन प्रधानमंत्री ने गायत्री देवी को संसद में कांच की गुड़िया कहकर पुकारा था।

गायत्री देवी को राजनीतिक सफर के दौरान लंबे समय तक बुरे वक्त का भी सामना करना पड़ा। देश में आपातकाल की घोषणा होने के दौरान गायत्री देवी को 5 महीने जेल में रहना पड़ा था। इस दौरान महारानी गायत्री देवी और राजमाता सिंधिया एक ही जेल में थीं। गायत्री देवी के जेल में रहने के दौरान इंदिरा गांधी ने उनके महल में फौज भेज दी थी। माना जाता था कि इंदिरा गांधी को महारानी गायत्री देवी की संसद में मौजूदगी बर्दाश्त नहीं थी। इंदिरा गांधी को गायत्री देवी की खूबसूरती, राजसी ठाठ-बाट, बुद्धिमानी और जिंदगी जीने का शाही अंदाज बेहद अखरता था। जिसके कारण इंदिरा गांधी उन्हें चुनौती के तौर पर देखने लगी थीं।

मौत

महारानी वसुंधरा राजे के मुख्यमंत्री काल में गायत्री देवा को अपने अपने मोती डूंगरी क़िले के एक हिस्से पर सरकारी क़ब्जा किए जाने से रोकने के लिए सड़क पर भी बैठना पड़ा था। उस दौरान महारानी गायत्री देवी का साथ देने के लिए तमाम झुग्गी-झोपड़ियों के लोग भी उनके साथ आ गए थे। वहीं इस घटना के 3 साल बाद 29 जुलाई 2009 को 90 साल की उम्र में राजमाता गायत्री देवी का निधन हो गया।

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