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कविता

कुंडलियां … 35 नेता ही करवाते दंगे ,……..

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वोटों के इस राज में, हो रह्यौ उल्टा खेल।
घोड़े गधा सब एक हैं, कियौ अनोखा मेल।।
कियौ अनोखा मेल, सब कुछ हुआ बिकाऊ।
नोटों से सत्ता मिले, हो गई जमीर बिकाऊ।।
नोट वोट का खेल निराला, लोकतंत्र में आज।
नहीं देश की चिंता, बन्धु ! वोटों के इस राज ।।

           104

धनबल चलता है जहां, बाहुबल के साथ।
दूर ही रहता ब्रह्म बल , जोड़े दोनों हाथ।।
जोड़े दोनों हाथ , चुप रहकर खैर मनावे।
प्रतिष्ठा निज बची रहे, ऐसी जुगत भिड़ावै।।
लोकतंत्र ऐसा शासन, मूर्ख बनती जनता है।
मूर्ख ही राजा बने, खुलके धनबल चलता है।।

       105

लोक लाज सब मिट गई, मर्यादा हुई भंग।
दुखिया सारा लोक है,और तंत्र हुआ बेढंग।।
और तंत्र हुआ बेढंग, बेसुरे गाने गाता।
नैतिकता नीलाम हुई, कुछ समझ न आता।।
नेता ही करवाते दंगे, इस लोकतंत्र में आज।
वोटों की घालमेल में, मिट गई लोक लाज।।

दिनांक: 10 जुलाई 2023

Dr Rakesh Kumar Arya
sampadak ugta Bharat

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