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भारतीय संस्कृति

बढ़ती जा रही है डॉ. स्वामी की लोकप्रियता

हिन्दुओं और राष्ट्रवादियों के मानस पटल पर छा रहे हैं डॉ. सुब्रहमण्यम स्वामी। ये हिंदुत्व के नायक ऐसे ही नहीं बन गए हैं। भारत के शुद्ध हिंदुत्ववादी और धुर राष्ट्रवादी लोगो को बहुत दिनों से एक ऐसे व्यक्तित्व की तलाश थी जो ज्ञान और कर्म से भी अपनी क्षमता साबित कर सके और भारत को डूबने से बचाने के लिए सबसे पहले आगे आये। यह तलाश तब पूरी होती हुई दिखी जब भारत के सबसे बड़े घोटाले दूरसंचार विभाग के 2जी घोटाले से जुडी 122 लाइसेंसों को कोर्ट से ख़ारिज कराने में डॉ.सुब्रहमण्यम स्वामी सफल हुए और भारत में यह चर्चा के साथ साथ न्यायालयों के महिमामंडन का विषय बना। इस घटना के बाद डॉ.स्वामी पर आम जनता का विश्वास तो बढ़ा ही, उनके हिंदुत्व एजेंडे को लोगों का समर्थन भी बढऩे लगा। डॉ.स्वामी की विश्वसनीयता आम जन में एक बार पुन: हिलोरें लेने लगी जब डॉ.स्वामी ने खुलेआम हिंदुत्व की बात शुरू कर दी और मिडिया के सेकुलर चाल की ऐसी तैसी करते हुए उसे राष्ट्रवादी और हिंदुत्व चाल की सीख दे डाली। लोग विश्वास तब करते हैं जब आप का चरित्र ठीक हो और स्वामी जी के चरित्र की विश्वसनीयता कांग्रेस और मीडिया के दुष्प्रचार के बावजूद अपने शबाब पर है खासकर पढ़े लिखे युवाओं के दिलो में स्वामी जी के लिए खास जगह है और सही मायनों में स्वामी जी का दायरा बढाने में इन युवाओ और सोशल मीडिया पर सवारी कर रहे फेसबुकियों का बहुत बड़ा हाथ है। सोसल मिडिया पर स्वामी जी के लिए झगडा करते युवाओं के पोस्ट बहुतायत से मिल जायेंगे जिसमे ज्यादातर मुद्दा हिंदुत्व विरोध या भारत की लूट का होता है और डॉ.स्वामी हिंदुत्व के सारथी की भूमिका में होते है, भारत में 1 करोड ज्यादा भारत स्वाभिमान के सक्रिय कार्यकर्ता है और 10 करोड लोग भारत स्वाभिमान के आन्दोलन से सहमत है, भारत के राष्ट्रवादी विचारधारा के इन लोगो के बीच डॉ.सुब्रहमण्यम स्वामी की तगडी पकड़ है, चाहे भले ही इसके लिए असली स्वामी बाबा रामदेव जी का हाथ हो। इलेक्ट्रोनिक मिडिया में हिंदुत्व की जड़ उखाडने वालो को डॉ.स्वामी ने करारा जबाब दिया है और उन्होंने ब्राह्मणवाद को नकारते हुए राष्ट्रवाद को प्रश्रय देने की वकालत की तो मिडिया सकते आ गया और उनके कुतर्को का दौर महीनो जारी रहा जिसमे मिडिया सेकुलर राग ही अलापती रह गयी और राष्ट्रवादियो ने इसी सेकुलर परिभाषा पर थूकना शुरू किया जिस पर डॉ.स्वामी का खुला समर्थन बहुत बड़ा संबल साबित हुआ। आतंकवाद पर मोदी के जीरो टोलरेंस फंडे का खुला समर्थन करने वाले डॉ.स्वामी का समर्थन साधू संतो में भी कम नहीं है, खासकर हिंदू संतो में, बहुतो ने तो डॉ.स्वामी को अयोध्या (फैजाबाद, उत्तर प्रदेश ) से प्रतिनिधित्व करने का आग्रह भी कर डाला। हिंदुत्व की जड़ पर प्रहार कर रही कांग्रेस की जड़ पर प्रहार करने वाले डॉ.स्वामी पहले नेता है जिन्होंने यह साबित कर दिया की भारत की कांग्रेस सरकार की नीति नियंता सोनिया गाँधी कम पढ़ी लिखी है और राजीव से शादी करने से पहले रेस्टोरेंट में वेटर का काम करती थी और बहुत सारी बातो का लिखित में खुलासा किया, उनकी इस खोज और हिम्मत को युवाओ ने दिल से लिया है और कांग्रेस सरकार की राष्ट्रविरोधी नीतियों से छुटकारा पाने के लिए डॉ.स्वामी एक आशा के रूप में देखे जाने लगे हैं। एक अर्थशास्त्री होने के नाते भारत के विकास को एक नई दिशा, भारत के गावो को एक नई चमक और भारत को विश्व गुरु बनाने की दक्षता रखने वाले डॉ.स्वामी बाबा-मोदी-स्वामी की तिकड़ी के वह अहम परिधि है जो निश्चित तौर पर अपने मिशन में कामयाब होंगे।
आज जब की सेकुलर शब्द हिन्दुओ के लिए गाली बन गया है, डॉ.सुब्रहमण्यम स्वामी की हिंदुत्व पर बेबाक बयान और हिंदुत्व के खुले समर्थन ने हिन्दुओ में फिर से एकजुट होकर अपनी खोयी गरिमा वापस पाने की आस जगा दी है। ऐसा नहीं की डॉ.स्वामी इस राष्ट्र चेतना के काम में अकेले काम कर रहे हैं, उनकी वह जनता पार्टी जिसने 1977 में इंदिरा गाँधी की जमानत जब्त करा दी थी, तेजी से हिंदुत्व और भारत विकास के मद्दे पर कार्य कर रही है और आज के दिन यह पार्टी एन डी ए का भाग भी है। राष्ट्र विरोधी गतिविधियों खासकर आर्थिक लूट और कालाधन के अन्वेषण और समाधान में बड़ी तत्परता से काम कर रही भारत की एकमात्र गैर सरकारी संगठन ए सी ए सी आई (एक्शन कमेटी अगेन्स्ट करप्शन इन इण्डिया) के डॉ.स्वामी सस्थापक सदस्य और उसके अध्यक्ष है और श्री अभिषेक जोशी उसके महासचिव है। (लेख को बहुत संक्षिप्त रूप दिया गया है) भारत में भ्रष्टाचार और राष्ट्रवाद के मुद्दे पर श्री नरेन्द्र मोदी, बाबा रामदेवजी और डॉ.सुब्रहमण्यम स्वामी जिस समन्वय के साथ काम को आगे बढ़ा रहे है, निकट भविष्य में भारत के विश्वगुरू बनाने के सपने को साकार होते देखना कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।


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