कुंडलियां … 16 सबको अच्छे लगते बच्चे…..

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बचपन शाही जिंदगी, घर को राखे मस्त।
चुप्पी तोड़ कहकहे भरे, रखती सबको व्यस्त।।
रखती सबको व्यस्त, सभी चाहते हैं बचपन।
तुतला करके बोल, सब लौटते अपने बचपन।।
एक ही बच्चा भर देता है आंगन में किलकारी।
सुन सुन कर खुशी मनाते पिता और महतारी।।

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बचपन की अठखेलियां, सबको लेत रिझाय।
दादाजी गर्वित भए , और दादी खुशी मनाय ।।
और दादी खुशी मनाय , नानी बल्लियों उछले।
खुशी के ऐसे फव्वारों से नाना भी नहीं अछूते।।
सबको अच्छे लगते बच्चे, हंसते व मुस्काते हैं।
खेल-खेलकर बच्चे, घर में रौनक बिखराते हैं।।

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बचपन आता याद है, जीवन भर मेरे मीत।
महकता जीवन सदा, सुन उस का संगीत।।
सुन उस का संगीत, चित्त को गदगद करता।
हर व्यक्ति को सहज रूप में, मोहित करता।।
बचपन की मीठी यादों को कौन कभी है भूला ?
जब भी आती याद उन्हें, तब तब सीना फूला ।।

दिनांक: 4 जुलाई 2023

डॉ राकेश कुमार आर्य
संपादक उगता भारत

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