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सर्वे भवन्तु सुखिन: ट्रस्ट और आर्य समाज वसुंधरा के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया गया राष्ट्र समृद्धि यज्ञ: भारत रहा है विदुषी और वीरांगना नारियों का देश : डॉ राकेश कुमार आर्य

गाजियाबाद। ( अजय कुमार आर्य ) यहां पर सर्वे भवंतु सुखिन ट्रस्ट और आर्य समाज वसुंधरा के संयुक्त तत्वावधान में राष्ट्र समृद्धि यज्ञ का आयोजन किया गया। जिसमें बुद्ध पूर्णिमा के दिन आयोजित किए गए महिला सम्मेलन मैं अपने विचार व्यक्त करते हुए भारत को समझो अभियान समिति के राष्ट्रीय प्रणेता और सुप्रसिद्ध इतिहासकार डॉ राकेश कुमार आर्य ने कहा कि भारत में महिला शक्ति ने प्राचीन काल से ही राष्ट्र और समाज का मार्गदर्शन किया है। यह दुर्भाग्य का विषय है कि मध्यकाल में नारी से वेद पढ़ने पढ़ाने का अधिकार छीन लिया गया। जिससे उसके मौलिक अधिकारों में तो कमी आई ही साथ ही समाज का पतन भी हुआ।
उन्होंने कहा कि हमारा देश अपाला, घोषा, गार्गी, मैत्रेयी, सीता, अनुसूया, द्रौपदी, कुंती जैसी सन्नारियों का देश है। जिनका शोभायमान व्यक्तित्व इतिहास का गौरव पूर्ण पृष्ठ है। श्री आर्य ने कहा कि देश के क्रांतिकारी आंदोलन में भी देश की महिला शक्ति ने बढ़-चढ़कर अपना योगदान दिया है। 712 ई0 में जब मोहम्मद बिन कासिम देश पर एक आक्रमणकारी के रूप में चढ़कर आया था तो उस समय राजा दाहिर सेन की पत्नी और बेटियों ने देश का मार्गदर्शन किया था। उसके पश्चात गजनबी और गौरी के आक्रमण के समय भी अनेक नारियों ने अपना बलिदान दिया था। रानी पद्मिनी जैसी अनेक महान नारियों ने शत्रु का सामना करते हुए अंत में अपना बलिदान देश और धर्म के लिए देकर यह मिसाल कायम की की महिलाएं भी पुरुष शक्ति से किसी प्रकार पीछे नहीं है।
डॉक्टर आर्य ने नीरा आर्य, रामप्यारी गूजरी, रानी लक्ष्मीबाई जैसी अनेक नारियों और वीरांगनाओं के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि हमें अपने इतिहास के गौरव के रूप में अंकित इन महान नारियों के जीवन चरित्र को अवश्य पढ़ना चाहिए।


इस अवसर पर दर्शनाचार्या श्रीमती विमलेश आर्या बंसल ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि भारत के वैदिक वांग्मय में महिलाओं को विशेष सम्मान दिया गया है। उन्होंने कहा कि जिस घर में पिता की अनुव्रती होकर संतान उसके दिशा निर्देशों का पालन करती है , माता के समान हृदय वाले होकर परस्पर बर्ताव करते हैं और पति पत्नी परस्पर मधुर वार्तालाप करते हैं वहां शांति का वास होता है।


उन्होंने कहा कि हमें अपने दैनिक जीवन में घर के परिवेश को सकारात्मक ऊर्जा से भरने का प्रयास करना चाहिए। इसके लिए प्रतिदिन यज्ञ अवश्य करना चाहिए। परस्पर वार्तालाप करते रहने के लिए हमें अवसरों को खोजना चाहिए। श्रीमती बंसल ने कहा कि यह दुर्भाग्य का विषय है कि इस समय देश में समलैंगिकता को कानूनी जामा पहनाने का प्रयास किया जा रहा है। इसे किसी भी दृष्टिकोण से उचित नहीं कहा जा सकता, क्योंकि इसके आने से देश की संस्कृति का विनाश होना तय है। उन्होंने कहा कि भारत की वैदिक संस्कृति मालवीय मूल्यों के साथ-साथ सामाजिक और राष्ट्रीय मूल्यों को भी प्रोत्साहित करने वाली संस्कृति है जिसे अपनाने से देश का ही नहीं बल्कि सारे संसार का कल्याण होना निश्चित है। उन्होंने इस बात पर भी चिंता व्यक्त की कि इस समय देश की युवा पीढ़ी सामाजिक मूल्यों का तिरस्कार करते हुए स्वच्छंदी आचरण कर रही है। जिससे समाज में आग लग रही है। परिवारों का परिवेश दूषित हो रहा है और विवाह जैसी पवित्र संस्था खंड खंड हो रही है।
श्रीमती बंसल ने इस बात पर जोर दिया कि हमें अपने संस्कार आधारित समाज का निर्माण करने के लिए भारत की वर्ण व्यवस्था और आश्रम व्यवस्था को जीवित करने के लिए गुरुकुल शिक्षा प्रणाली को लागू करना चाहिए। तभी परिवारों का परिवेश सुंदर हो सकता है।
इस अवसर पर श्री जितेंद्र भाटिया, श्री वेद प्रकाश आर्य ,श्री निरंजन आर्य , भजनोपदेशक कुलदीप आर्य, श्री राकेश कुमार आर्य, सत्य सनातन संस्कृति रक्षा समिति के अध्यक्ष महावीर सिंह आर्य ,आर्य समाज ग्रेटर नोएडा के पदाधिकारी महेंद्र सिंह आर्य, अमन कुमार आर्य सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे।
कार्यक्रम में श्रीमती ममता चौहान द्वारा मंच संचालन किया गया।
इस अवसर पर हिमांशी आर्या ने कविता सुना कर सभी का मन जीत लिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता श्रीमती स्नेह भाटिया द्वारा की गई सुप्रसिद्ध भजनोपदेशिका श्रीमती अमृता आर्या ने भी भजनों के माध्यम से सभी उपस्थित जनों का कुशल मार्गदर्शन किया।

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