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देश की संविधानिक व्यवस्था का इस प्रकार हुआ विकास

ऋषिराज नागर एडवोकेट

मुस्लिम विधि की शुरुआत अरब से है । जिसमें अरब विधिशास्त्रियों द्वारा समाज की व्यवस्था का उल्लेख किया गया है। अरब में मुस्लिम प्रथाऐं ही कानून थीं।
चूंकि भारतवर्ष में मुगलों का शासन रहा था, इसलिए उस समय मुगल व्यवस्था में न्याय करने वाले मुख्य न्यायिक अधिकारी निम्न थे:-

1-निजाम, या नवाब – नवाब सुप्रीम मजिस्ट्रेट होता था, और गंम्भीर व जटिल अपराधों में स्वंम निर्णय करता था।
2- दीवान – यह भूमि व अचल सम्पति के मामलों में न्याय करता था।
3- दरोगा अदालत आलल एलिया – यह निजाम का साहयक होता था। यह सम्पति के सभी झगड़े, लड़ाई, मारपीट, गाली, कंग आदि के मामले देखता था ।
4- दरोगा अदालत दीवानी – यह दीवानी का सहायक था और भूमि के झगड़ों के मामले देखता था।
5- फौजदार – यह पुलिस का अधिकारी था व जघन्य अपराधों को छोड़कर न्याय करता था।
6- काज़ी – उत्तराधिकार से सम्बन्धित झगड़े, विवाह एवं मृत्यु के उत्तराधिकार के मामले देखता था।
7- मोहलिसम – यह गलत नाप तौल तथा शराब खोरी को देखता था ।
8- मुफ्ती – कानून की व्याख्या करना, फतवा लिखना इस का कार्य था।
9- कानूनगो – यह भूमि का लेखा रखता था।
10- कोतवाल – यह रात्रि में अमन-चैन स्थापित करने के लिए उत्तरदायी था।
ईस्ट इंडिया कम्पनी के भारत में आने के बाद शुरु-शुरु, में उसने एक व्यापारिक कम्पनी के रूप में अपना कार्य आरम्भ किया था, लेकिन धीरे-2 उसने राजनैतिक प्रभाव जमा लिया। सन् 1833 के राज. अभिलेख ने इस्ट इंडिया कम्पनी के संघटन तथा भारतीय शासन व प्रशासन की पद्धति में काफी महत्वपूर्ण परिवर्तन, कर दिया था और भारत के राज्य क्षेत्रों पर धीरे-2 कब्जा जमाने के बाद सन् 1833 के अधिनियम में विधायी शक्तियां गर्वनर जनरल इन कौसिल में अनन्य रूप से निहित करके नियम तथा अन्य प्रकार की विधियों की रचना की गई। सन 1915 से ब्रिटिश सरकार ने भारत वर्ष के या उस क्षेत्र के सम्बन्ध मे जो कम्पनी के नियन्त्रण में आ गया था, विधायकी अधिकार प्राप्त कर लिया था तथा उसने अनेक प्रेसीडेन्सी नगरों की सरकारों का अपने-2 राज्य क्षेत्रों के प्रशासन के लिए भी अधिकृत कर दिया था। सन 1935 के अधिनियम के अधीन महाराज्यपाल को या एक अस्थाई या स्थायी अधिनियम द्वारा किसी आरक्षित विषय पर विधान रचना की पूर्ण शक्ति प्राप्त थी।
भारत देश को आजादी (स्वतन्त्रता) के बाद भारतीय संविधान लागू हुआ जो शक्ति पृथक्करण के सिद्धान्त पर आधारित है। माननीय, राष्ट्रपति कार्यपालिका का प्रधान है जो अनेक विधायी शक्तियों से सम्पन्न है।
भारत 15 अगस्त, 1947 को भारतीय स्वाधीनता अधिनियम, 1947 के अन्तर्गत अंग्रेजी शासन से स्वतंत्र हुआ था। स्वतन्त्र भारत के लिए संविधान सभा का गठन किया गया। उसी संविधान सभा द्वारा बनाया गया यह संविधान 26 नवम्बर, 1949 को स्वीकार करके, भारत में 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया। भारत की इस संविधान सभा में उस समय 289 सदस्य थे। डॉक्टर अंबेडकर इस संविधान सभा की प्रारूप समिति के अध्यक्ष बनाए गए थे। 9 दिसंबर 1946 को इस संविधान सभा की पहली बैठक डॉ सच्चिदानंद सिन्हा की अध्यक्षता में हुई थी। उसके पश्चात 11 दिसंबर 1946 को डॉ राजेंद्र प्रसाद को इसका स्थाई अध्यक्ष चुन लिया गया था। हमारा संविधान 26 नवंबर 1949 को बनकर तैयार हुआ ।इसके बनाने में 2 साल 11 महीने 18 दिन का समय लगा था। इसके 2 महीने पश्चात 26 जनवरी 1950 को हमारे देश का संविधान लागू किया गया। देश के पहले राष्ट्रपति के रूप में डॉ राजेंद्र प्रसाद को चुना गया।

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