गायत्री मण्डल की बैठक में हुई महत्त्वपूर्ण चर्चा,* *वैदिक संस्कृति एवं संस्कारों की पुनर्स्थापना के लिए योजनाबद्ध प्रयासों का संकल्प,*

प्राच्यविद्यामर्मज्ञों पं. इन्द्रशंकर झा एवं पं. अवधबिहारी भट्ट का अभिनंदन एवं सम्मान

बांसवाड़ा, 12 मार्च/चार दशक से अधिक समय से वैदिक संस्कृति और संस्कारों, धर्म-अध्यात्म तथा परम्पराओं के संरक्षण-संवर्धन के लिए संचालित गायत्री मण्डल की बैठक रविवार को वनेश्वर महादेव मन्दिर परिसर में सामाजिक चिन्तक डॉ. दिनेश भट्ट की अध्यक्षता में हुई।

इसमें मण्डल की गतिविधियों को सक्रियता से संचालित करने, एक माह का सघन सदस्यता अभियान चलाकर सनातन धर्मावलम्बियों को जोड़ने तथा पीताम्बरा आश्रम परिसर में योजनाबद्ध गतिविधियों के संचालन के लिए ख़ास निर्णय किए गए।

बैठक में पं. इन्द्रशंकर झा, डॉ. दिनेशचन्द्र भट्ट, अनिमेष पुरोहित, दिलीप सराफ, मनोहर जोशी, त्रयम्बकेश्वर ठाकोर, पं. विनय भट्ट एवं पं. प्रदीप शुक्ला(छींछ) आदि ने गायत्री मण्डल की चार दशकों की गतिविधियों पर विस्तार से चर्चा करते हुए पौरोहित्य कर्म, ज्योतिष, प्राच्यविद्याओं, वैदिक संस्कृति की परम्पराओं आदि विषयों पर विस्तार से जानकारी देते हुए संवाद, शिविरों और कार्यशालाओं के आयोजन की रूपरेखा प्रस्तुत की।

गायत्री मण्डल तथा इससे संबंधित संस्थाओं और प्रकल्पों तथा पीताम्बरा शक्तिपीठ निर्माण एवं बगलामुखी तथा दश महाविद्याओं एवं अन्य साधनाओं पर मनोहर जोशी(सरेड़ी बड़ी), पं. नरेन्द्र आचार्य, पं. अंकित त्रिवेदी एवं पं. राजेश त्रिवेदी(छींछ), पं. रामशंकर जोशी, अरुण व्यास, महेश जोशी, जयदीप रणा आदि ने जानकारी दी और भावी योजनाओं के बारे में अवगत कराया। राजेन्द्र चौबीसा एवं मनोज भट्ट ने गायत्री मण्डल की युवा एवं महिला शाखा गठित करने के बारे में सुझाव दिए।

पं. महादेव शुक्ल को श्रद्धान्जलि अर्पित

बैठक में गायत्री मण्डल के संस्थापक अध्यक्ष प्राच्यविद्यामहर्षि पं. महादेव शुक्ल का स्मरण करते हुए उन्हें भावीभीनी श्रद्धान्जलि अर्पित करते हुए उनके शेष कार्यों को पूर्ण करने के लिए समर्पित और सामूहिक प्रयासों का संकल्प ग्रहण किया गया।

प्राच्यविद्यामर्मज्ञों का अभिनन्दन

इस अवसर पर वैदिक संस्कृति और परम्पराओं के संरक्षण संवर्धन में उत्कृष्ट कार्यों एवं उल्लेखनीय सेवाओं के लिए वेदज्ञ पं. इन्द्रशंकर झा तथा ज्योतिर्विद पं. अवध बिहारी भट्ट का गायत्री मण्डल की ओर से पुष्पहार, साफा, उपरणा एवं शॉल ओढ़ाकर अभिनंदन किया गया।

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