आर्य समाज ब्रह्मपुरी दिल्ली का वार्षिक सम्मेलन हुआ संपन्न : आर्य समाज के विभिन्न विद्वानों ने किया राष्ट्र निर्माण का आवाहन

नई दिल्ली (अजय कुमार आर्य) यहां स्थित ब्रह्मपुरी आर्य समाज का वार्षिक सम्मेलन बड़ी धूमधाम के साथ संपन्न हुआ। इस अवसर पर आर्य जगत के विभिन्न विद्वानों ने यहां उपस्थित होकर मानव निर्माण से राष्ट्र निर्माण पर विस्तृत प्रकाश डाला और उपस्थित लोगों का आवाहन किया कि वे राष्ट्र निर्माण के महान कार्य में अपना महत्वपूर्ण योगदान दें।
इस अवसर पर आर्य समाज के सुप्रसिद्ध सन्यासी स्वामी शिवानंद जी महाराज ने कहा कि आर्य समाज ही एक ऐसा संगठन है जो वास्तव में संसार में शांति स्थापित करने का दर्शन और चिन्तन रखता है। इसके अतिरिक्त अन्य जितने भी मत, पंथ या संप्रदाय दुनिया में हैं सब आपस में लड़ाने की बातें करते हैं। स्वामी जी महाराज ने इतिहास के कई संदर्भों को सुनाकर स्पष्ट किया कि आर्यों का इतिहास बड़ा ही गौरवपूर्ण रहा है। इसी प्रकार स्वामी विश्वानंद जी महाराज ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि स्वामी दयानंद जी महाराज ने जिन विषम परिस्थितियों में कार्य किया वह हमारे लिए बहुत ही गौरव का विषय है। हम उन से शिक्षा लेकर आज के परिवेश को सुधारने का काम करें। जिससे देश विरोधियों के चंगुल में फंसने से बच जाए। उन्होंने कहा कि हिंदू जाति अपने वैदिक मूल को समझे और वैदिक मान्यताओं को अपनाकर राष्ट्र के निर्माण में अपना सहयोग प्रदान करें।
इस अवसर पर “भारत को समझो” अभियान के राष्ट्रीय प्रणेता डॉ राकेश कुमार आर्य ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आर्य समाज ने क्रांतिकारी आंदोलन के माध्यम से देश के स्वाधीनता आंदोलन में अपना 80% योगदान दिया था। उन्होंने कहा कि चित्तौड़ को भी हम अंग्रेजों के चंगुल में जाने से बचाने में स्वामी दयानंद जी महाराज के कारण सफल हो पाए थे। डॉक्टर आर्य ने कहा कि महाशय कृष्ण जी ने गुरुकुल कांगड़ी के कुलपति की हैसियत से आर्य समाज की ओर से ₹10000 की थैली आर्य समाज अनारकली लाहौर में नेताजी सुभाष चंद्र बोस को प्रदान की थी। जिससे वे आजाद हिंद फौज का गठन करके देश को स्वाधीन कराने में सक्रिय भूमिका निभा सकें। डॉ आर्य ने कहा कि लाला लाजपत राय को मुसलमान होने से बचाने में भी स्वामी दयानंद जी की महती कृपा हुई थी। ऐसे अनेक उदाहरण है जिन से यह स्पष्ट होता है कि देश को आर्य समाज में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।
अवसर पर केंद्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ अनिल आर्य ने भी अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि देश को आज भी एक वैचारिक क्रांति की आवश्यकता है। जिससे हमारे सांस्कृतिक मूल्यों की रक्षा हो सके। उन्होंने कहा कि देश के इतिहास का गंभीरतापूर्वक विश्लेषण कर उसका दोबारा लिखा जाना भी समय की आवश्यकता है। इसके लिए आर्य समाज अपनी भूमिका को निभाना जानता है।
इसी प्रकार हिंदूवादी चिंतक रामनाथ लूथरा ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि क्रांति की मशाल कभी बुझनी नहीं चाहिए । यदि संस्कृति की रक्षा करनी है तो हिंदू हित और राष्ट्र हित में क्रांति की मशाल को जलाए रखना होगा। तभी हम ऋषि यों की इस पवित्र भूमि की रक्षा करने में सफल हो पाएंगे।
इस अवसर पर आर्य समाज ब्रह्मपुरी के प्रधान रविंद्र कुमार आर्य, महामंत्री टूकी राम भारद्वाज, कोषाध्यक्ष सुशील कुमार आर्य सहित सुखराम आर्य, गोपीचंद राठी, सत्यपाल सिंह आर्य, श्री बाला राम आर्य ,सत्येंद्र कुमार आर्य सहित सैकड़ों सामाजिक कार्यकर्ता और गणमान्य लोग उपस्थित थे। कार्यक्रम का सफल संचालन आचार्य सुंदर शास्त्री द्वारा किया गया। अभिषेक आर्य द्वारा इस अवसर पर भजनों के माध्यम से लोगों का मार्गदर्शन किया गया।

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