25 मानचित्रों में भारत के इतिहास का सच, भाग ……22

अकबर का साम्राज्य

अकबर का हमारे प्रचलित इतिहास में बहुत अधिक गुणगान किया गया है। यदि हम उसके साम्राज्य पर विचार करें तो पता चलता है कि उसका राज्य संपूर्ण भारत पर तो छोड़िए आधे भारत पर भी नहीं रहा । इसके उपरांत भी उसे सारे हिंदुस्तान का सम्राट घोषित कर बार-बार उसका महिमामंडन किया जाता है। दूसरी ओर भारत के अंतिम हिंदू सम्राट हेमचंद्र विक्रमादित्य को इतिहास से पूर्णतया बाहर निकाल कर फेंक दिया जाता है। जिसने अपने जीवन में 20 से अधिक युद्धों में विदेशी हमलावरों को पराजित किया था और जिसका दिल्ली ने उस समय भारत के वास्तविक सम्राट के रूप में स्वागत किया था।
कहने का अभिप्राय है कि भारत के शौर्य ने जैसे अब से पूर्व के सुल्तानों को निशंक शासन नहीं करने दिया था, वैसे ही उसने बाबर, हुमायूं, शेरशाह, अकबर, जहांगीर, शाहजहां और औरंगजेब को भी शासन नहीं करने दिया था। सर्वत्र विरोध, प्रतिरोध और प्रतिशोध की त्रिवेणी बहती रही और हिंदू अपने धर्म और देश की रक्षा के लिए निरंतर सचेत और क्रियाशील रहा। उसकी तलवार को और उसकी हुंकार कोई इतिहास की आत्मा ने सदा नमन किया है।
अकबर हमारे महान धर्म रक्षक देशभक्त हेमचंद्र विक्रमादित्य के नाम को सुनकर ही देश छोड़कर भाग लिया था और हमने हेमचंद्र विक्रमादित्य के साथ अन्याय करते हुए यह किया है कि उसे इतिहास से ही निकाल कर भगा दिया है। इसी प्रकार महाराणा प्रताप ने भी अकबर के लिए महानतम चुनौती खड़ी की थी। देश, धर्म ,संस्कृति की रक्षा के लिए महाराणा प्रताप द्वारा खड़ी गई चुनौती की उपेक्षा करके हमने महाराणा की अपेक्षा अकबर को महान शासक के रूप में स्थापित कर यह सिद्ध कर दिया कि हम देशभक्ति का नहीं अपितु देश भक्तों को मिटाने वालों का महिमामंडन करते हैं ?
अकबर के कथित विजय अभियानों से तो ऐसा लगता है कि संपूर्ण भारतवर्ष का ही बादशाह था , परंतु ऐसा नहीं था। बंगाल से आगे सारा पूर्वोत्तर भारत और म्यांमार तक का क्षेत्र उससे अछूता ही रहा। इसके अतिरिक्त नेपाल और अधिकांश दक्षिणी भारत भी उसके शासन के अधीन कभी नहीं आ सके। भारत किसी भी शासक के लिए किसी रोटी का ग्रास नहीं बन सका कि जब जैसे चाहा तोड़ लिया और निगल गए। भारत विद्रोह और स्वतंत्रता की भूमि थी, जिसमें हर पग पर क्रांति की ज्वाला धधकती थी । अकबर भी शांति पूर्वक समस्त भारत को एक साथ और एक ध्वज के नीचे लाने में कभी सफल नहीं हो सका ।
यही स्थिति उसके अन्य उत्तराधिकारियों की रही। भारत क्रांति के लिए मचलता रहा और अकबर सहित उसके प्रत्येक वंशज को उखाड़ने के लिए संघर्ष करता रहा। भारत के संघर्ष की यह भावना हमें बताती है कि मुगलों के किसी भी बादशाह के समय में स्वर्ण युग जैसी स्थिति नहीं थी, क्योंकि यदि स्वर्ण काल होता तो भारत के लोग विद्रोह की स्थिति तक नहीं आते।

मेरी पुस्तक “25 मानचित्र में भारत के इतिहास का सच” से

डॉ राकेश कुमार आर्य
संपादक : उगता भारत

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