राष्ट्र निर्माण में युवा शक्ति की अहम भूमिका —— आचार्य सतीश जी केंद्रीय प्रभारी,युवा भारत संगठन पतंजलि योगपीठ ,हरिद्वार

महरौनी (ललितपुर) ।महर्षि दयानंद सरस्वती योग संस्थान आर्य समाज महरौनी के तत्वावधान में विगत 2 वर्षों से वैदिक धर्म के मर्म से युवा पीढ़ी को परिचित कराने के उद्देश्य से प्रतिदिन मंत्री आर्यरत्न शिक्षक लखनलाल आर्य द्वारा आयोजित आर्यों का महाकुंभ में दिनांक 10 अक्टूबर 2022 सोमवार को मुख्य वक्ता आचार्य सतीश जी केंद्रीय प्रभारी, युवा भारत संगठन, पतंजलि योगपीठ हरिद्वार ने कहा कि राष्ट्र निर्माण में युवा शक्ति की अहम भूमिका है और साथ ही साथ युवा का राष्ट्र धर्म और संस्कृति के प्रति नैतिक कर्तव्य भी अत्यंत महत्वपूर्ण है किंतु आज की युवा पीढ़ी पाश्चात्य संस्कृति की शिकार हो चुकी है । यह प्रसन्नता की बात है कि भारत की 65% युवा आबादी है परंतु उनमें 60 से 70% युवा नशा के साथ -साथ अनेक प्रकार के दुर्व्यसनों के शिकार हैं और साथ ही साथ वे अनेक प्रकार की वासनाओं से युक्त हैं। आलस्य – प्रमाद,वासना के विषय आदि अनेक प्रकार की कुचेष्टाओं के कारण युवा पीढ़ी दिग् भ्रमित है।
उनमें एक बहुत बड़ा कारण उसकी बेरोजगारी भी है। आज युवा वर्ग पाखंड और अंधविश्वासके के कारण भी अनेक प्रकार की गलतफहमी के शिकार हैं। उन्हें वेद ,शास्त्र ,उपनिषद,, रामायण ,महाभारत,गीताआदि धार्मिक पुस्तकों का स्वाध्याय के प्रति जागरूक करने की आवश्यकता है। दूसरा पक्ष है कि नवयुवकों में 15 से 35 वर्ष के किशोर नव युवा को विशेष जिम्मेदारी पूर्वक ऋषि परंपरा से युक्त करना चाहिए, नहीं तो 15 –20 वर्षों के बाद अत्यंत संकट की स्थिति देश में आ सकती है। वक्ता महोदय ने रामायण के उस प्रसंग को उठाया जिसमें भरत ने शपथ पूर्वक भगवान् राम के वन- गमन संवेदी अनेक बातें कहीं हैं लेकिन एक अत्यंत महत्वपूर्ण बात यह आई है कि संध्या और प्रातः काल की दोनों सन्धियो में सोने वाले व्यक्ति को जो पाप लगता है ,वही पाप उस व्यक्ति को लगे जिसकी अनुमति से आर्य राम वन में गए है। श्लोक द्रष्टव्य है –” उभे सन्ध्या शयानस्य यत्पापं परिकल्पते । तच्चपापं भवेत्तस्य यस्यार्योsनुमते गत:।।वा. रा., अयोध्या कांड, सर्ग 58/40।आज की युवा पीढ़ी को इससे शिक्षा लेनी चाहिए । और, प्रातः काल जग कर योग -साधना करना चाहिए ।उन्होने यह कहते हुए गर्व महसूस किया
कि उन के माध्यम से पतंजलि योगपीठ द्वारा 10 लाख युवाओं को जोड़ा गया है जिन्हें ऋषि -परंपरा और शास्त्र -परंपरा से युक्त किया जा रहा है। युवा पीढ़ी को वर्णाश्रम धर्म एवं सोलह संस्कारों के प्रति भी प्रशिक्षण द्वारा जागरूक करने की आवश्यकता है। उन्हें महर्षि दयानंद और आर्य समाज से जुड़कर रहने की सलाह दी।
आचार्य श्री ने आर्यों के महाकुंभ जैसे कार्यक्रम में युवाओं और बच्चों की भागीदारी अधिक से अधिक होने हेतु जोर देने की बात कही और ऐसे राष्ट्र -धर्म के प्रति समर्पित कार्यक्रम की सराहना की तथा आयोजक को विशेष धन्यवाद देते हुए शुभकामनाएं दीं।
कार्यक्रम में प्रसिद्ध वैदिक विद्वान् व बिहार राज्य आर्य प्रतिनिधि सभा के महामंत्री प्रो. डॉ. व्यास नन्दन शास्त्री वैदिक ने कहा कि आज की युवा पीढ़ी को संस्कृत एवं धर्म शिक्षा के प्रति विशेष जागरूक करने की आवश्यकता है। उनके बीच महर्षि दयानंद सरस्वती कृत ”सत्यार्थ प्रकाश” वितरण कर पढ़ने की प्रेरणा देनी होगी।इससे वे शारीरिक उन्नति , राष्ट्रभक्ति तथा धार्मिक और आत्मिक शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे। तभी हमारी युवा पीढ़ी राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका को समझ पाएगी
अन्य वक्ताओं में युद्धवीर सिंह जिला प्रभारी हरियाणा, ईश आर्य, राज्य प्रभारी ने कहा कि आज की युवा पीढ़ी को नशा ,हिंसा ,व्यभिचार आदि से दूर रहने के लिए योग से जुड़ना चाहिए।
कार्यक्रम में आर्य जगत् की प्रसिद्ध विदुषी प्रो.डॉ निष्ठा विद्यालंकार लखनऊ , प्रोफेसर डॉ. वेद प्रकाश शर्मा बरेली, पंडित नागेश शर्मा मुंबई
अनिल कुमार नरूला दिल्ली,
डॉ कपिल देव शर्मा दिल्ली,आर्य चन्द्रकान्ता “क्रान्ति “हरियाणा, आचार्य सुधांशु जी गुरुकुल खेड़ा खुर्द दिल्ली, भोगी प्रसाद म्यांमार, प्रधान प्रेम सचदेवा दिल्ली, देवी सिंह आर्य दुबई, शिक्षिका आराधना सिंह, सुमनलता सेन शिक्षिका, अवधेश प्रताप सिंह बैश ,संतोष सचान , सुशील कुमार बिहार, सहित विश्व भर से आबालवृद्ध जन जुड़ रहे हैं।
कार्यक्रम का प्रारंभ बालक वेद यश के वेद मंत्रोच्चारण से हुआ।तत्पश्चात् कमला हंस, दया आर्य हरियाणा, ईश्वर देवी, अदिति आर्या द्वारा भजनों की प्रस्तुति हुई जिन्हें सुनकर श्रोतागण झूम उठे।
कार्यक्रम का संचालन मंत्री आर्यरत्न शिक्षक लखनलाल आर्य तथा प्रधान मुनि पुरुषोत्तम वानप्रस्थ ने सब के प्रति आभार जताया।

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