आर्यों के घर में शस्त्र और शास्त्र दोनों ही रहने चाहिएँ- डॉ. मोक्षराज

वैश्विक स्तर पर उत्पन्न मौद्रिक प्रतिस्पर्धा प्रकृति व प्राणियों के लिए घातक है

अमृत महोत्सव की विचार शृंखला में बोले पूर्व राजनयिक

महरौनी (ललितपुर) ।महर्षि दयानंद सरस्वती योग संस्थान आर्य समाज महरौनी के तत्वावधान में विगत 2 वर्षों से वैदिक धर्म के मर्म से युवा पीढ़ी को परिचित कराने के उद्देश्य से प्रतिदिन मंत्री आर्यरत्न शिक्षक लखनलाल आर्य द्वारा आयोजित आर्यों का महाकुंभ में दिनांक 11 अक्टूबर 2022 सोमवार को सकल भूमंडल पर सभ्य, सांस्कृतिक एवं उन्नत मानव सभ्यताओं में आर्यों का नाम सर्वोपरि है ।आर्यों का गौरवपूर्ण इतिहास इस बात का प्रमाण है कि वे शस्त्र और शास्त्र दोनों ही विधाओं में पारंगत होते थे । इसलिए मानसिक विकास और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए शस्त्र और शास्त्र दोनों को सहेज कर रखना चाहिए।

उक्त विचार अमेरिका स्थित भारतीय राजदूतावास वाशिंगटन डीसी में प्रथम सांस्कृतिक राजनयिक एवं भारतीय संस्कृति शिक्षक रहे डॉ. मोक्षराज ने आर्य समाज महरौनी जिला ललितपुर (झाँसी) द्वारा ‘वैश्विक परिप्रेक्ष्य में भारतीय पर्व परंपरा’ विषय पर आयोजित एक राष्ट्रीय स्तर की ऑनलाइन विचार गोष्ठी में व्यक्त किए । उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान सबकी सुरक्षा की बात कहता है, अतः आर्यों को भी विधिक रूप से आत्मरक्षा हेतु सजग रहना चाहिए ।
डॉ. मोक्षराज ने कहा कि हमें अपने पर्वों के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए प्रेम सौहार्द तथा आत्मीय जुड़ाव को बनाए रखने हेतु कौटुम्बिक जनों के साथ त्योहारों को मनाना चाहिए ।
उन्होंने कहा कि मैं विश्व के अनेक देशों में भारत जैसे ही पर्वों के चिह्न देखता हूँ । वे बोले कि भारतीय समाज में मुद्रा का विनिमय कम था, उसके स्थान पर मूल्य आधारित व्यवस्था थी। सेवा के बदले सेवा करने का चलन समाज को सुदृढ़ बनाए हुए था। अत: आपसी प्रेम को बढ़ाने के लिए पुनः सेवा के बदले सेवा के संकल्प को विस्तार देना होगा । वैश्विक स्तर पर उत्पन्न मौद्रिक प्रतिस्पर्धा प्रकृति व प्राणियों के लिए घातक है ।

परिचर्चा के संयोजक लखन लाल आर्य ने बताया कि इस विचागोष्ठी में हरियाणा, राजस्थान पंजाब, दिल्ली, महाराष्ट्र, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश तथा बिहार से सैकड़ों प्रतिभागियों ने भाग लिया । मुनि पुरुषोत्तम वानप्रस्थी ने आभार व्यक्त किया ।

इसी विषय को आगे बढाते हुए प्रसिद्ध वैदिक विद्वान्् व बिहार राज्य आर्य प्रतिनिधि सभा के महामंत्री प्रो. डॉ. व्यास नन्दन शास्त्री वैदिक ने कहा कि भारत देश में पर्वों की परम्परा अति प्राचीन है।पर्व मानव जीवन को सन्तुलित, सामाजिक और सांस्कृतिक मूल्यों से मजबूत बनाता है। यही कारण है कि यहां पर्व चैत्र मास की राम नवमी से प्रारंभ होकर फाल्गुन मास की होली तक पर्वों की श्रृंखला बनी रहती है ,और जीवन की खालीपन को पूर्ण करने का काम पर्व करता है। इन पर्वों से हमारे जीवन में धार्मिक और संस्कारित मूल्य विकसित होकर प्रिय आत्मन का भाव जागृत होता है फलता हम स्वार्थ से परमार्थ की ओर बढ़ते हैं।

कार्यक्रम में आर्य जगत् से डॉक्टर राकेश कुमार आर्य एड,प्रोफेसर डॉ. वेद प्रकाश शर्मा बरेली,
अनिल कुमार नरूला दिल्ली,
,आर्य चन्द्रकान्ता “क्रान्ति “युद्धवीर सिंह जिला प्रभारी हरियाणा, ईश आर्य राज्य प्रभारी भारत स्वाभिमान हरियाणा,भोगी प्रसाद म्यांमार, प्रधान प्रेम सचदेवा दिल्ली, देवी सिंह आर्य दुबई, शिक्षिका आराधना सिंह, सुमनलता सेन शिक्षिका, अवधेश प्रताप सिंह बैंस ,संतोष सचान , सुशील कुमार बिहार, सहित विश्व भर से आबालवृद्ध जन जुड़ रहे हैं।
कार्यक्रम का प्रारंभ बालक वेद यश के वेद मंत्रोच्चारण से हुआ।तत्पश्चात् कमला हंस, दया आर्य हरियाणा, ईश्वर देवी, अदिति आर्या द्वारा भजनों की प्रस्तुति हुई जिन्हें सुनकर श्रोतागण झूम उठे।
कार्यक्रम का संचालन मंत्री आर्यरत्न शिक्षक लखनलाल आर्य तथा प्रधान मुनि पुरुषोत्तम वानप्रस्थ ने सब के प्रति आभार जताया।

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