प्राचीन वैदिक कालीन भारत का इतिहास अत्यन्त गरिमामय —— आचार्य लोकेन्द्र बिजनौर


महरौनी (ललितपुर) । महर्षि दयानन्द सरस्वती योग संस्थान आर्य समाज महरौनी के तत्वावधान में विगत 2 वर्षों से वैदिक धर्म के मर्म को युवा पीढ़ी से परिचित कराने के उद्देश्य से प्रतिदिन मंत्री आर्यरत्न शिक्षक लखन लाल आर्य द्वारा संचालित आर्यों का महाकुंभ में दिनांक 09 अक्टूबर 2022 रविवार को मुख्य वक्ता आचार्य लोकेंद्र जी, दर्शनाचार्य वैदिक संस्थान (योगेश्वरी गोधाम ट्रस्ट ),बिजनौर, उत्तरप्रदेश ने कहा कि प्राचीन भारत का वैदिक कालीन इतिहास अत्यंत गौरवपूर्ण और गरिमामय है। इसे पढ़कर हम अपने ऋषि -मुनियों व भारतीय आर्य राजाओं के गौरवशाली परंपरा तथा भारतीय उत्कर्ष का स्मरण करते हैं ।इसका प्रभाव यह था कि हमारा देश भारत विश्व का गुरु था। सृष्टि काल से महाभारत काल के पूर्व तक आर्यों का गौरवशाली इतिहास सुरक्षित था।।तब आर्यों का शासन था ।यहां चतुर्दिक् ज्ञान- विज्ञान और वैभव का प्रसार था। घर-घर यज्ञ होने से रोग -शोक व व्याधियां नहीं थी और लोग सर्व प्रकारेण सुखी -संपन्न थे ।वर्तमान सप्तम वैवस्वत् मन्, जिनके नौ पुत्र और एक पुत्री थी ,इनमें प्रियव्रत और इला अत्यंत प्रसिद्ध हूए। आचार्य श्री ने महाराज भगीरथ की सच्ची कथा का दिग्दर्शन कराया और कहा कि महाराज भगीरथ ने अपनी प्रजा और सेनाओं को लेकर अपने अत्यन्त पुरुषार्थ से हिमालय से गंगा की अविरल धारा को धरती पर लाकर जल संकट का हल निकाला। इसीलिए गंगा का एक नाम भागीरथी भी है। उन्होंने ईश्वर द्वारा रचित चमत्कार की चर्चा की और कहा कि परमेश्वर ने सूर्य- चंद्र, ग्रह,नक्षत्र, पशु ,पक्षी ,कंदमूल- फल एवं विभिन्न प्रकार के जीव जंतुओं को बनाकर अद्भुत चमत्कार पूर्ण सृष्टि निर्मित की है जिसकी बराबरी कोई नहीं कर सकता। दुर्भाग्य है कि आज गप्प ,गाथा ,लीला – चमत्कार की पुस्तक को लोगों ने “पुराण ‘की संज्ञा दी और हमारे गौरवशाली वैदिक अतीत और इतिहास को छुपाया गया जिससे भारत की महान क्षति हुई। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम और योगेश्वर कृष्ण हमारे इतिहास के दो ऐसे महापुरुष हैं जिनसे हमारी सांस्कृतिक परंपरा और गौरवशाली अतीत सुरक्षित है परन्तु रामायण और महाभारत में भी भारी मात्रा में प्रक्षिप्त करके भारी भरकम बना दिया गया तथा हमारे गौरवशाली अतीत को भ्रष्ट करने का प्रयास किया गया।
आचार्य श्री ने कहा कि महर्षि दयानंद सरस्वती ने सत्य का मंडन और असत्य के खंडन का तरीका लोगों को बताया और,”भजृ ऐश्वर्ये तथा “भज् सेवायाम्” धातु से “भगवान्” शब्द के सिद्धि बताते हुए महापुरुषों पर इसे उचित ठहराया। परंतु इस सत्य को जानने के लिए महर्षि दयानंद ने स्वयं मौन व्रत धारण किया ।लेकिन ,उसके सामने ही जब किसी व्यक्ति ने “वेदों में मूर्ति पूजा है “इस विषय को उपस्थित किया तो उन्होंने मौन व्रत तोड़ कर सत्य की प्रतिष्ठा की और कहा –“” मौनात्् सत्यं विशिष्यते”” अर्धात् मौन से बढ़कर सत्य होता है । यह कहकर आक्षेप कर्ता को निरुत्तर कर दिया।
वक्ताओं में प्रमुख वैदिक विद्वान् व बिहार राज्य आर्य प्रतिनिधि सभा के महामंत्री प्रो. डॉ.व्यास नंदन शास्त्री वैदिक ने कहा कि महर्षि देव दयानंद ने वैदिक इतिहास के रूप में ब्राह्मण ग्रंथों को प्रतिष्ठित किया और सत्य इतिहास से जनमानस को परिचित कराया तथा महर्षि व्यास के नाम से प्रचलित अठारह पुराणों को खंडित किया।आर्य जगत् की विशिष्ट विदुषी प्रो.डॉ निष्ठा विद्यालंकार , लखनऊ ने गायत्री मंत्र के रहस्य एवं महत्व को बताया तथा विशेष रुप से माताओं- बहनों एवं युवा पीढ़ी को गायत्री मंत्र पढ़कर अपने जीवन को महान् बनाने और बुद्धि को तेज करने की बात कही।
कार्यक्रम की शुरुआत कमला हंस ,दया आर्य हरियाणा,ईश्वर देवी , अदिति आर्या के सुंदर और सुमधुर वैदिक भजनों व गीतों की प्रस्तुति से हुईं जिन्हें सुनकर श्रोता गण झूम उठे ।
कार्यक्रम में प्रो. डॉ. वेद प्रकाश शर्मा बरेली, अनिल कुमार नरूला दिल्लीः,आर्या चंद्रकांता ”क्रान्ति” हरियाणा, सुरेश कुमार गर्ग
गाजियाबाद, भोगी प्रसाद म्यांमार, प्रधान प्रेम सचदेवा दिल्ली, विमलेश कुमार सिंह, युद्धवीर सिंह पलवल, शिक्षिका आराधना सिंह , सुमन लता सेन शिक्षिका, अवधेश प्रताप सिंह बैंस, देवी सिंह आर्य दुबई सहित पूरे विश्व से लोग जुड़कर आर्यों का महाकुंभ को गरिमा प्रदान कर रहे हैं।
कार्यक्रम का संचालन मंत्री आर्य रत्न शिक्षक लखनलाल आर्य तथा प्रधान मुनि पुरुषोत्तम वानप्रस्थ ने सभी श्रोताओं के प्रति आभार जताया।

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