सृष्टि चक्र में हम सभी अपनी अपनी धुरी पर घूम रहे .. डॉ कपिल देव शर्मा

महरौनी(ललितपुर)..महर्षि दयानंद सरस्वती योग संस्थान आर्य समाज महरौनी के तत्वावधान में विगत 2 वर्षों से संचालित मंत्री आर्यरत्न शिक्षक लखनलाल आर्य द्वारा आयोजित आर्यों का महाकुंभ में “चक्र” विषय पर मुख्य वक्ता आचार्य डॉक्टर कपिल देव शर्मा दिल्ली ने कहा कि इस सृष्टि चक्र में हम सभी अपनी अपनी धुरी पर घूम रहे हैं, हमारा जीवन चक्र जिसके अधीन है उसको जानना ही हमारा मुख्य लक्ष्य है। यदि आप ध्यान से देखें तो पता चलेगा कि इस विशाल ब्रह्मांड में पृथ्वी आदि ग्रह सूर्य के चक्कर लगा रहे हैं। हमारे शरीर का प्रत्येक कोष्ठक, अणु, अणु का परमाणु किसी से ऊर्जा प्राप्त करके निरंतर घूम रहे हैं, वस्तुत: चक्र गति में ही संसार का जीवन निहित है। अथर्ववेद 10.2.31 में इस मानव शरीर को अष्टचक्रा नवद्वारा कहा गया है। यदि मनुष्य अपने भीतर मन और बुद्धि के चक्र को सही तरीके से चलाए तो बाहर के पारिवारिक, सामाजिक, प्रशासनिक, धार्मिक, राष्ट्रीय, वैश्विक चक्र भी ठीक तरह से चलने लगेंगे, इसके लिए हमें वेद, दर्शन, उपनिषद, श्रीमदभगवद गीता , मनुस्मृति, जैसे विज्ञान पूर्ण ग्रंथों को पढ़ना और पढ़ाना सुनना और सुनाना होगा तभी मानव जीवन सुखी समृद्ध और आनंद से परिपूर्ण होगा। अधर्म का,पाप का, हिंसा का, बुराईयों का चक्र चलाने वाला भले ही रावण हो या कंस, ओसामा हो या आसाराम, आतंकवादी हो कट्टरवादी, सबको ईश्वर के द्वारा चलाए जा रहे धर्म -न्याय के सुदर्शन चक्र से दंड अवश्य ही मिलता है इसलिये हम सबको चाहिए कि हम शुद्ध ज्ञान, कर्म और उपासना करके ईश्वर के सृष्टि चक्र में सहयोगी बनें। आचार्य कपिल देव शर्मा वेदालंकार

कार्यक्रम में, कमला हंस, ईश्वर देवी, अदिति आर्या और दया आर्या हरियाणा ने सुंदर भजनों की प्रस्तुति दी। व्याख्यान में प्रो डॉ व्यास नंदन शास्त्री वैदिक बिहार, अनिल नरूला दिल्ली,प्रेम सचदेवा दिल्ली,युद्धवीर आर्य,भोगी प्रसाद म्यांमार,चंद्र कांता आर्या,प्रो डॉ वेद प्रकाश शर्मा बरेली,परमानंद सोनी आर्य भोपाल,सुमन लता सेन शिक्षिका,आराधना सिंह शिक्षिका,रामसेवक निरंजन शिक्षक,रामकुमार सेन अजान,महेश खटीक शिक्षक,अवधेश प्रताप सिंह बैंस,पारसमणी पुरोहित,अवध बिहारी तिवारी केंद्रीय शिक्षक,विवेक सिंह शिक्षक गाजीपुर,सहित सम्पूर्ण विश्व से आर्य जन जुड़ रहे हैं। कार्यक्रम का संचालन मंत्री आर्यरत्न शिक्षक लखन लाल आर्य एवम आभार प्रधान पुरुषोत्तम मुनि वानप्रस्थ ने किया।

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