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सबक़ इंसान कुछ तो सीख लेता उन परिंदों से

नूतन वर्ष की पहली संध्या पर प्रखर साहित्यकार मंच (दिल्ली) के तत्वावधान में आयोजित ‘नये वर्ष की पहली शाम, दो शायरों के नाम” नामक कवि गोष्ठी का सफल आयोजन राजेन्द्र नगर साहिबाबाद, गाजियाबाद में किया गया | देश के बड़े ख्यातिप्राप्त शायर ‘मासूम गाजियाबादी’ जी एवं मनु भारद्वाज जी के सम्मान में आयोजित इस काव्य गोष्ठी का शुभारम्भ गौ-माता एवं माँ शारदे के तस्वीर में माल्यार्पण व दीप प्रज्ज्वलन करके कार्यक्रम का विधिवत सुभारम्भ हुआ | युवा कवि अमित शर्मा जी के संचालन में कवियत्री नेहा जैन जी के मधुर कंठ से माँ शारदे की वन्दना के साथ कार्यक्रम का प्रारम्भ हुआ | पहले कवि के रूप में गीतकार दुर्गेश अवस्थी ‘आंचल’ जी ने अपनी पँक्तियों के माध्यम से जो साहित्यिक शमा बाँधी, वो पूरे कार्यक्रम में अनवरत जारी रहा | गौभक्त प्रमोद शर्मा ‘बेफिकर’ जी ने अपने काव्यपाठ में गौ-माता की वेदना के साथ श्रंगार का जो साहित्यिक पैनापन दर्शाया, वह अत्यंत सराहनीय रहा | कवि संदीप वशिष्ठ जी ने अपने काव्यपाठ में विगत वर्ष की यादों के साथ जो काव्य पाठ किया, वह सभी कविगणों के ह्रदय को छू गया | जहाँ एक ओर कवि मनोज यादव ने कम शब्दों में गौ-माता पर समर्पित रचना से बड़ी बात कही वहीँ युवा कवि सर्वेश त्रिपाठी ‘सत्य’ जी ने नव-वर्ष के माध्यम से अपनी कविता से जो प्रकृति का चित्रण किया, उसने सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया | कवि ‘चेतन’ नितिन खरे ने नव-वर्ष की कविता के साथ वर्तमान घटनाक्रम एवं आतंकवाद (पेशावर घटनाक्रम) से व्यथित दिखे | आज आपकी रचनाओं में जहाँ एक ओर दिलों को झकझोर देने वाली पीड़ा थी वहीँ दूसरी ओर प्रचण्ड ओज व बेहद पैनापन दिखा जो परिस्थितियों से जूझती हुईं दिखीं | कवि प्रवीन जी ने प्रेम की शाश्वत परिभाषा को व्यक्त किया तो कवियत्री नेहा जैन जी ने नारी शक्ति एवं करुण रस पर कविता पाठ किया | कवि अमित शर्मा ने तत्कालीन परिस्थितियों पर पीड़ा व्यक्त की | तदोपरांत मशहूर शायर मनु भारद्वाज ‘मनु’ जी ने सभी विषयों पर नज्में व गजलें पढीं | उन्होंने कहा

‘वो जिनसे उम्मीद-ए-रहबरी* थी,वो चाल रहज़न* की चल रहे हैं

अब उनकी नज़रें बता रही हैं,वो अपनी नीयत बदल रहे हैं |

ने बेहद वाहवाही बटोरी |

नामचीन शायर मासूम गाजियाबादी जी ने आम जनमानस को झकझोर देने वाली ऐसी नज्में व गजलें कहीं जो यथार्थ के बेहद करीब थीं | आपने मुफलिसी एवं सामाजिक घटनाक्रम में एक से बढ़कर एक शेर कहे | आपने कहा –

यही तो दहशतगर्दी की हिमायत का नतीजा है।

न मन मंदिर के भजनों में न दिल लगता अज़ानों में ॥

सबक़ इंसान कुछ तो सीख लेता उन परिंदों से ।

नहीं रखते जो कांटेदार तिनके आशियानों में ॥

कार्यक्रम का अंत संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे वयोवृद्ध कवि राघवेन्द्र ‘विकल’ जी के मधुर गीत ‘ जो विदा तुम हुए अलविदा कह गये’ के साथ हुआ | सभी कवियों को ‘चेतन’ नितिन खरे कृत ‘श्री गौ-चालीसा’ भेंट किया गया |

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