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इस वर्ष गणेश संकट चतुर्थी का व्रत 08 जनवरी 2015 को मनाया जायेगा..

पं0 दयानंद शास्‍त्री 

पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री के अनुसार इस दिन लगभग 24  वर्षों के बाद चतुर्थी के साथ बुध पुष्य नक्षत्र का योग बना हैं..बुध पुष्य और तिल चतुर्थी का यह अनोखा संगम भगवान गणेश की आराधना के लिए उत्तम हैं..वैसे भी बुध पुष्य को खरीददारी के लिए श्रेष्ठ माना गया हैं..इस वर्ष 08 जनवरी 2015 को तिल चौथ या तिल चतुर्थी पर इस दिन  गुरुवार, आश्लेषा नक्षत्र एवं रीती योग बन रहा हैं..

 हिन्दू पंचांगों में माघ मास का विशेष महत्त्व हैं इस माघ माह में आने वाली तिल चौथ या तिल चतुर्थी का महत्त्व और भी बढ़ जाता हैं… हमारे शास्त्रों में बताया गया हैं की माघ माह में सूर्य उत्तरायण काल भी आता हैं,

 पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री के अनुसार माघ मास की कृष्ण पक्षीय चतुर्थी को तिल चौथ या तिल चतुर्थी कहा जाता हैं..इस वृत को गौरी चतुर्थी, सौभाग्य सुन्दरी व्रत एवं वक्रतुंड चतुर्थी भी कहा जाता है | इस दिन व्रत रख के गणपति का पूजन करें और सायेंकाळ में सवा पांच किलो का एक ही देसी घी का लड्डू मन्दिर जाकर भगवान गणपति को भोग लगायें और प्रसाद बाँट कर स्वयं भी खाएँ | रात्रि में चन्द्रमा निकलने के पश्चात चन्द्र देव का पूजन करके “ॐ सोम सोमाय नमः” का पाठ करके चन्द्र देव को अर्द्ध देना चाहिए | इस व्रत को जनवरी मास से प्रारम्भ करके सारा साल हर महीने चतुर्थी के दिन करने से हर प्रकार के विघ्न समाप्त होने लग जाते है |

 –विशेष—-

—-इस दिन श्वेताक गणपति की सेवा-पूजा से विशेष फल प्राप्त होते हैं..इस दिन भगवान गणेश का जमोत्सव मानाने की परंपरा हैं..तिल चौथ या तिल चतुर्थी पर  भगवान गणेश जी को तिल्ली के लड्डुओं का भोग लगाकर गुड़हल के लाल फूल अर्पित करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं..

 —इस दिन कुंवारी कन्याओं को अपने विवाह में आ रही अड़चनों को दूर करने के लिए भगवान गणेश की आराधना अवश्य करनी चाहिए ..यदि संभव हो सके तो भगवान गणेश के साथ माता कात्यायनी की संयुक्त साधना करनी चाहिए

—इस दिन भगवान  गणेश का ऋणमोचन स्रोत,संकट नाशक स्रोत, कनकधारा स्रोत, श्री गणेश स्रोत गणेश कवच,श्री गणेश सहस्त्र नामावली एवं श्री गणेश पंचरतन स्रोत आदि का पाठ करने से लाभ होता हैं..भगवान श्री गणेश प्रसन्न होते हैं..

 आप इस विशेष अवसर का लाभ उठाने के लिए गणपति का पूजन करें …भगवान गणेश जी को भोग लगाकर, वेदपाठी ब्राह्मणों को भोजन करवाके, यथाशक्ति दान आदि देकर आशीर्वाद प्राप्त करने से पुत्र की प्राप्ति होती है अतः जिन माताओं बहनों को सन्तान कष्ट हो उन्हें यह व्रत अवश्य करना चाहिए |

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