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राजनीति

गुलाम नबी क्यों हुए कांग्रेस से आजाद ?

प्रभुनाथ शुक्ल

कांग्रेस के साथ अजीब विडंबना है। एक तरफ राहुल गांधी ‘भारत जोड़ो अभियान’ चला रहे हैं दूसरी तरफ अपने घर यानी पार्टी को बिखरने से खुद नहीं बचा पा रहे हैं। फिर इस तरह की राजनीति का क्या मतलब निकलता है।कांग्रेस को जितनी उठाने की कोशिश की जा रही है वह दिन-ब-दिन उतनी कमजोर होती जा रही है। पार्टी स्वयं में अपना अर्थ खोती दिखती है। गुलाम नबी आजाद और दूसरे राजनेताओं का कांग्रेस के साथ न रहना साफ-साफ बताता है कि पार्टी में सामंजस्य की स्थित नहीं है। स्थिति यह भी इशारा करती है कि पार्टी में सोनिया गांधी की नहीं चल रही है। राहुल गांधी तानाशाह जैसे फैसले ले रहे हैं ? राहुल गांधी एक तरफ खुद पार्टी की जिम्मेदारी नहीं लेना चाहते दूसरी तरफ पर्दे के पीछे से पार्टी चलाना चाहते हैं। गुलाम नबी आजाद जैसे अनुभवी राजनेता का पार्टी छोड़ना कांग्रेस के लिए शुभ संकेत नहीं है।

कांग्रेस का जहाज डूब रहा है इसका मलाल ‘गांधी परिवार’ को भले न हो, लेकिन देश यह सब देख रहा है। लेकिन कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व आंखों पर पट्टी बांध रखा है। गुलाम नबी आजाद कांग्रेस की टॉप लीडरशिप से आते हैं। ऐसा राजनेता जो पार्टी के लिए अपनी पूरी उम्र खपा दिया और सियासी कैरियर के अंतिम पड़ाव में उसे बेआबरू होकर पार्टी को अलविदा कहना पड़ा। कांग्रेस ऐसे विषय पर भाजपा बनना चाहती है। लेकिन वह न भाजपा बन पा रही न कांग्रेस। कांग्रेस को छोड़ने का गुलाम नबी को मलाल भी है। कांग्रेस की नीतियों से नाराज होकर पार्टी में जी -23 के लोग लामबंद हो गए तब भी नाराज राजनेताओं को पार्टी मना नहीं पायी। गुलाम नबी आजाद, कपिल सिब्बल, जितीन प्रसाद जैसे अनगिनत दिग्गज पार्टी से किनारा करते गए।

कांग्रेस की कमान जब तक सोनिया गांधी के हाथों में थी और मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री रहे। उस दौरान बुरे आर्थिक हालात में भी कांग्रेस ने शानदार प्रदर्शन किया था। जिसका उल्लेख आज़ाद ने अपने त्यागपत्र में भी किया है। उस दौर में देश की अर्थव्यवस्था की हालत बेहद नाजुक थीं लेकिन आर्थिक सुधारों बेहद मजबूती मिली।सोनिया गांधी के त्याग को लेकर देश में चर्चाएं थीं। उस दौरान कांग्रेस में जी-23 जैसी कोई बात नहीं थी। लेकिन पार्टी की कमान राहुल गांधी के हाथों में आते ही अनुभवी राजनेताओं को हाशिए पर रखा जाने लगा। नई सोच के युवाओं को आगे लाने की कोशिश में कांग्रेस डुबती चली गयी। निश्चित रूप से इन सारी विफलताओं के पीछे कहीं न कहीं राहुल गांधी जिम्मेदार हैँ। आप घर नहीं संभाल पा रहे हैं फिर देश का विश्वास कैसे जीत पाएंगे। भाजपा का विकल्प कांग्रेस आज भी है, लेकिन इस हालात में जनता उस पर कैसे भरोसा करे।

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