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दो वैश्विक शिखर  सम्‍मेलनों का किस्‍सा

अरूण जेटली की कलम से

छ सप्ताह पहले दो राज्य सरकारों-पश्चिम बंगाल और गुजरात ने अपने-अपने यहां वैश्विक शिखर सम्मेलनों का आयोजन किया। मुझे उन दोनों में शामिल होने का अवसर मिला। पश्चिम बंगाल वैश्विक शिखर सम्मेलन, राज्य में निवेश को आकर्षित करने के लिए राज्य सरकार की एक पहल थी। पश्चिम बंगाल एक प्रमुख औद्योगिक राज्य था। 1960 के दशक के अन्त में यहां नक्सली समस्या की शुरुआत हुई, जो वाम मोर्चा सरकार की नीतियों के कारण बढ़ गई, उद्योग राज्यसे बाहर हो गए। कोलकाता पश्चिम बंगाल के विकास में वृद्धि का प्रमुख केन्द्र है।

राज्य के पास सफल कृषि है। पश्चिम बंगाल के पास बड़ी मात्रा में बौह्कि पूंजी है और पिछले एक दशक में यहां सूचना प्रौद्योगिकी में बड़े पैमाने में तेजी आई है। पश्चिम बंगाल को एक बार फिर औद्योगिक केन्द्र के रूप में विकसित करने की जरुरत है। मेरे सहयोगी श्री नितिन गडकरी भी शिखर बैठक में शामिल हुए। वह कोलकाता-सिलीगुड़ी राजमार्ग बनाने के लिए राज्य की मदद करने को तैयार हैं। अगर एक ऐसे  राजमार्ग के साथ-साथ औद्योगिक गलियारा भी बना दिया जाए तो यह पश्चिम बंगाल को गति प्रदान करेगा। कुछ नये शहरों को बनाना, बेहतर बुनियादी ढांचा, एक औद्योगिक गलियारे का निर्माण, समुद्री संसाधनों का अधिक प्रभावकारी इस्तेमाल करना ही राज्य का भविष्य का एजेंडा होना चाहिए।

मैं खासतौर से इस तथ्य से उत्साहित हो गया कि निर्माण और सेवा क्षेत्र दोनों से जुड़े प्रतिनिध्ाि सम्मेलन में शामिल हुए। राज्य में अब लगातार यथानुपात सुधार करने और व्यापार अनुकूल कदम

उठाए जाने की जरूरत है ताकि वर्तमान और संभावित निवेशकों के मन में विश्वास पैदा किया जा सके। केन्द्र सरकार पश्चिम बंगाल के विकास में मदद करना चाहती है। वस्तु और सेवा कर लागू कर देने से पश्चिम बंगाल की आमदनी बढ़ेगी। कोयला ब्लाॅकों की नीलामी से होने वाला मुनाफा राज्य की

आमदनी बढ़ाएगा। नीति आयोग का राज्य सरकार के हाथों में मौजूद विभिन्न योजनाओं को विकेन्द्रित करने का इरादा है।

गुजरात बिजनस शिखर सम्मेलन का शानदार आयोजन किया गया। गांध्ाीनगर में महात्मा मंदिर एक भव्य सम्मेलन केन्द्र था। यह सातवां वाइब्रेंट गुजरात शो था जिसका आयोजन 2003 से किया जा रहा है। प्रध्ाानमंत्री और केन्द्र सरकार के अन्य मंत्रियों ने इस वर्ष के वाइब्रेंट गुजरात में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। सच्चाई तो यह है कि दस वर्ष बाद केन्द्रीय मंत्रियों ने इस सम्मेलन में शिरकत की। प्रध्ाानमंत्री, मंत्री, दुनिया भर से आए नीति निर्माता, बड़े व्यावसायिक घराने ;घरेलू और अंतर्राष्‍ट्रीय दोनों ही वाइब्रेंट गुजरात में मौजूद थे। वाइब्रेंट गुजरात देश का प्रमुख आर्थिक सम्मेलन बन चुका है। इस वर्ष वाइब्रेंट गुजरात में भारत की मार्केटिंग की गई। कुछ महीने पहले मध्य प्रदेश ने अपनी निवेशकों की बैठक आयोजित की थी। समाचार माध्यमों की खबरों से संकेत मिलता है कि निकट भविष्य में महाराष्टन्न् भी अपने यहां ऐसी ही बैठक आयोजित करेगा। पश्चिम बंगाल और गुजरात शिखर सम्मेलनों में मेरी भागीदारी

ने मेरे अंदर उत्साह भर दिया। आयोजनों का पूरा-पूरा मकसद निवेश को आकर्षित करना था। निवेश पर एकाधिकार  के लिए भारत के राज्य एक दूसरे से प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। मुझे इस बारे में जरा भी संदेह नहीं है कि जो लगातार और एक समान सुधारों और व्यवसाय अनुकूल नीतियों पर जोर दे रहे हैं वह सफल अवश्य होंगे। „

(लेखक केंद्रीय वित्त एवं सूचना प्रसारण मंत्री हैं)

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