Categories
विविधा

ग्रीष्म संक्रांति


========

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के साथ-साथ आज ग्रीष्म सक्रांति (Summer solstice) भी है। आज भारत सहित दुनिया के अधिकांश देशों में दिन की अवधि सर्वाधिक लंबी रहेगी । भारत में दिन की अवधि 13घंटे 12मिनट के लगभग रहेगी तो कुछ देशों में 12 घंटे से अधिक रहेगी। भारत सहित दुनिया के अन्य उत्तरी गोलार्ध में शामिल देशों में सूर्य के ताप की तीव्रता प्रचंडता सर्वाधिक रहेगी ।ध्रुवीय देशों पर तो आज 24 घंटे सूर्य देव के दर्शन होंगे। 21 जून के पश्चात दिन की अवधि घटने लगती है रातें बड़ी होने लगती है 23 सितंबर आते-आते दिन रात की अवधि समान हो जाती है 23 सितंबर के पश्चात 22 दिसंबर तक दिन छोटे तो राते बड़ी होती है। पृथ्वी के दोनों ही उत्तरी व दक्षिणी गोलार्ध में आधारभूत मौसम परिवर्तन होने लगते है। भारतवर्ष में सूर्य के ताप में छीनता आने लगती है आज ही के दिन से दक्षिणायन शुरू होने लगता है ऑस्ट्रेलिया इंडोनेशिया दक्षिण अफ्रीका ब्राजील जैसे दक्षिणी गोलार्ध के देशों में आज के दिन से ही सर्दी के मौसम की शुरुआत होने लगती है। प्राचीन भारत में आज ही के दिन ऋषि मुनि तपस्वी जन चतुर्मास की तैयारी शुरू कर देते थे जिसका आरंभ असाढ शुक्ल एकादशी से होता है व समाप्ति कार्तिक शुक्ल एकादशी पर होती है। 4 महीनों में वर्षा उग्र रूप धारण करती है ऋषि मुनि पहाड़ों नदियों के किनारे स्थित अपने आश्रम को छोड़कर सूखे सुरक्षित ऊंचे स्थानों में ग्रामों के निकट पहुंचकर वेद कथाएं मनन अध्ययन योग साधना करते थे। आम जिज्ञासु ग्रामीण जन भी इससे लाभान्वित होते थे। ऐसी सभी खगोलीय परिवर्तन सक्रांति घटनाओं को हमारे ऋषि-मुनियों ने सांस्कृतिक परंपराओं ज्ञान अर्जन तप उपासना विद्या पढ़ने पढ़ाने की परीपाटीयों से संबंधित कर दिया। यह गहरी रहस्य की बातें आसानी से चित् में नहीं उतरती।

लेकिन सूर्य के ताप उसकी उग्रता उसके एकाकीपन को लेकर लिखी गई ओजस्वी कवि रामधारी सिंह दिनकर की यह कविता आपको जरूर समझ आएगी आनंदित करेगी जिसका शीर्षक है “सूरज का विवाह” है जो इस प्रकार है।

उड़ी एक अफवाह, सूर्य की शादी होने वाली है,
वर के विमल मौर में मोती उषा पिराने वाली है।

मोर करेंगे नाच, गीत कोयल सुहाग के गाएगी,
लता विटप मंडप-वितान से वंदन वार सजाएगी!

जीव-जन्तु भर गए खुशी से, वन की पाँत-पाँत डोली,
इतने में जल के भीतर से एक वृद्ध मछली बोली-

‘‘सावधान जलचरो, खुशी में सबके साथ नहीं फूलो,
ब्याह सूर्य का ठीक, मगर, तुम इतनी बात नहीं भूलो।

एक सूर्य के ही मारे हम विपद कौन कम सहते हैं,
गर्मी भर सारे जलवासी छटपट करते रहते हैं।

अगर सूर्य ने ब्याह किय, दस-पाँच पुत्र जन्माएगा,
सोचो, तब उतने सूर्यों का ताप कौन सह पाएगा?

अच्छा है, सूरज क्वाँरा है, वंश विहीन, अकेला है,
इस प्रचंड का ब्याह जगत की खातिर बड़ा झमेला है।

“रामधारी सिंह दिनकर”

सागर खारी✍✍✍

Comment:Cancel reply

Exit mobile version