पुस्तक समीक्षा : बल्लू चाय वाले की दुकान

‘ बल्लू चाय वाले की दुकान’ पुस्तक के लेखक राजकुमार इंद्रेश हैं । एक कहानी संग्रह है यह । इस कहानी संग्रह की कहानियां सचमुच यथार्थ जीवन की कहानियां हैं और वास्तविक जीवन पर आधारित हैं। कहानीकार ने उन्हें सुना और सुनकर कहानियों के रूप में हमारे समक्ष प्रस्तुत कर दिया है। इस पुस्तक पर लेखक की शैली के बारे में श्रीमती अंबु वर्मा लिखती हैं :- इंद्रेश की कहानियों की सबसे सहज बात इनकी सहृदयता है। इनकी कहानियों में जीवन का उतार-चढ़ाव स्पष्ट झलकता है। सभी पात्र मूल सामाजिक व्यवस्था को स्थापित करते हैं और समाज को एक स्वस्थ मार्ग प्रशस्त करते दिखाई देते हैं । भाषा शैली भी पात्रों के अनुरूप सहज और सरल ही है। पाठक को कहीं भी कठिनता का बोध नहीं होता है। लेखक इंद्रेश जीवन की गुणवत्ता के कथाकार हैं । उनकी सभी कहानियां इस बात को सिद्ध करती हैं।’
बल्लू चाय वाले की दुकान के माध्यम से लेखक ने यह स्पष्ट संदेश देने का प्रयास किया है कि राजनीतिक लोग अपने सत्ता स्वार्थ के लिए एक भाई को दूसरे भाई से लड़वा देते हैं। जातिगत राजनीति करते हैं। जिससे सामाजिक परिवेश दूषित होता है और लोगों को नेताओं का सत्ता स्वार्थ एक दूसरे से लड़ाने में सहायक हो जाता है। वास्तव में ही समाज की इस सच्चाई को प्रकट करके राजनीतिज्ञों की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न लगाती यह कहानी हमें आज के समाज और आज की राजनीति का यथार्थ परिचय कराती है।
‘ सखा संगम’ नामक कहानी के माध्यम से लेखक ने छोटी-छोटी बातों में बंटते जा रहे संसार की वास्तविकता को स्थापित किया है। यह सच है कि छोटी-छोटी बातों को लेकर हम न केवल घर में अकेले होते जा रहे हैं बल्कि संसार की भीड़ में भी हमें अपना कोई साथी दिखाई नहीं देता। यदि छोटी-छोटी बातों को सुधार लिया जाए और उन्हें नजरंदाज कर आगे बढ़ने का संकल्प लिया जाए तो फिर से यह संसार स्वर्ग बन जाएगा । आगे बढ़ना ही जीवन है। किसी भी छोटी मोटी बात को पकड़ कर खड़े हो जाना अपनी मृत्यु को अपने निकट बुलाने का आमंत्रण देना है।। चलते रहना जीवन को ऊंचाई की ओर ले जाता है। जबकि थम जाना उसमें वैसे ही सड़ांध पैदा करता है जैसे थमे हुए पानी में सड़ांध अपने आप पैदा हो जाती है।
सखा संगम का यही संदेश है।
कुल मिलाकर भारतीय संस्कृति के समरसता पूर्ण संदेश को प्रकट करती यह पुस्तक पाठकों के लिए संग्रहणीय है। सरल भाषा में सुंदर संदेश देना किसी भी साहित्यकार और लेखक की विशेषता होती है । जो कि इस पुस्तक के लेखक के भीतर निश्चय ही दिखाई देती है। जिसके लिए वह बधाई के पात्र हैं।
पुस्तक का मूल्य ₹200 है। पुस्तक के प्रकाशक साहित्यागार धामाणी मार्केट की गली चौड़ा रास्ता जयपुर 302003 फोन 0141 – 2310785 व 4022 382 है। पुस्तक की कुल पृष्ठ संख्या 95 है।

डॉ राकेश कुमार आर्य
संपादक : उगता भारत

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