Categories
अन्य स्वास्थ्य

किडनी किलर है मैगी

maigi

मैगी’ बनाने में दो मिनट का वक्त लगता है लेकिन इसका सेवन जिंदगी भर की सजा बन सकता है. मैगी में लेड और एमएसजी जैसे खतरनाक तत्व मिले हैं जो सेहत को बड़ा नुकसान पहुंचा सकते हैं. ‘नेस्ले इंडिया’ कंपनी की ओर से बनाए जाने वाली मैगी के कई पैकेट बाजार से वापस ले लिए गए हैं.

इंडियन फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) के फूड इंस्पेक्टरों ने लखनऊ से मैगी के जो पैकेट जब्त किए उनमें मोनोसोडियम ग्लूटामेट (एमएसजी) और लेड जैसे घातक तत्व पाए गए हैं. दो दर्जन पैकेट पर यह जांच की गई थी. हालांकि मैगी को बैन किए जाने पर कोई फैसला लिए जाने की पुष्टि नहीं हो सकी है.

 

मैगी में लेड की मात्रा 17.2 पीपीएम पाई गई जबकि यह 0.01 से 2.5 पीपीएम तक ही होनी चाहिए. उत्तर प्रदेश के फूड सेफ्टी एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन के एडिशनल कमिश्नर राम अरज मौर्या ने बताया, ‘हमने कई जगहों से मैगी के सैंपल लिए और इसकी जांच में हमें काफी लेड मिला. इसे दोबारा लैब में जांच के लिए भेजा गया और फिर वही नतीजा सामने आया.’

 

किडनी को बर्बाद कर सकता है

डॉक्टरों के मुताबिक, बहुत ज्यादा मात्रा में लेड का सेवन गंभीर स्वास्थ्य दिक्कतें पैदा कर सकता है. इससे न्यूरोलॉजिकल दिक्कतें, खून के प्रवाह में समस्या और किडनी फेल होने तक की नौबत आ सकती है. फोर्टिस के डॉ. अनूप मिश्रा बताते हैं कि लेड का ज्यादा सेवन बच्चों के लिए ज्यादा खतरनाक है. इससे उनके विकास में रुकावट आ सकती है, पेट दर्द, नर्व डैमेज और दूसरे अंगों को भी नुकसान पहुंच सकता है.

 

इसी तरह एमएसजी के नुकसानों को भी अनदेखा नहीं किया जा सकता. इसका इस्तेमाल चाइनीज फूड में फ्लेवर का असर बढ़ाने के लिए किया जाता है. फूड सेफ्टी के नियमों के मुताबिक, अगर प्रोडक्ट में एमएसजी का इस्तेमाल किया गया है तो पैकेट पर इसका जिक्र करना अनिवार्य है. एमएसजी से मुंह, सिर या गर्दन में जलन, स्किन एलर्जी, हाथ-पैर में कमजोरी, सिरदर्द और पेट की तकलीफें हो सकती हैं.

 

मैगी की सफाई ‘हम  करवा रहे जांच’

मैगी बनाने वाली कंपनी ‘नेस्ले इंडिया’ ने मामले पर सफाई भी दी है. मैगी ने अपनी वेबसाइट पर लिखा है, ‘मैगी नूडल्स बनाने के लिए हमारे फूड सेफ्टी और क्वॉलिटी कंट्रोल के सख्त नियम हैं. इसके लिए फूड सेफ्टी कानूनों के मुताबिक सारे जरूरी टेस्ट किए जाते हैं.’ नेस्ले ने लिखा है कि हम मैगी में एमएसजी का इस्तेमाल नहीं करते और हमने एक और स्वतंत्र प्रमाणित लैब में भी अपने सैंपल भेजे हैं और इसके नतीजे स्थानीय प्रशासन से साझा किए जाएंगे.

 

केंद्रीय मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, ‘यह एक प्रदेश का मामला है और हमें अभी तक इस बारे में आधिकारिक जानकारी नहीं मिली है. प्रदेश के फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट से सूचना मिलने पर उचित एक्शन लिया जाएगा.’

Comment:Cancel reply

Exit mobile version