Categories
उगता भारत न्यूज़

मोटापे से पीड़ित लोगों या भूख मिटाने वाली दवाओं का सेवन करने वाले लोगों में पल्मोनरी हाइपरटेंशन का खतरा अधिक

गाजियाबाद 5 मई 2022: पल्मोनरी हाइपरटेंशन ऐसी स्थिति होती है, जिसमें फेफड़े तक रक्त सप्लाई करने वाली रक्तनलियों में रक्तचाप बढ़ जाता है, जिससे दिल को कठिन श्रम करने का दबाव बनने लगता है और इस कारण दिल का आकार बढ़ जाता है तथा हार्ट चौंबर का दाहिना हिस्सा कमजोर पड़ने लगता है। यह स्थिति सभी उम्र के पुरुषों महिलाओं में आ सकती है। एक अनुमान है कि दुनिया के लगभग 7 करोड़ लोग इस स्थिति से प्रभावित हैं और कोविड संक्रमण से पीड़ित व्यक्ति के फेफड़े के प्रभावित होने के कारण इस महामारी के दौरान ऐसे मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है। पल्मोनरी हाइपरटेंशन कई अन्य रोगों के कारण भी उभर सकता है, जिनमें मुख्य रूप से जन्मजात दिल की गड़बड़ी, हार्ट वाल्व रोग, रूमेटॉयड अर्थराइटिस, लंग आर्टरी में रक्त थक्का जमने और गंभीर फेफड़ा रोगों जैसी स्थितियां शामिल हैं। कोविड संक्रमण के कारण फेफड़े में तकलीफ और सांस लेने में दिक्कत का भी पल्मोनरी हाइपरटेंशन से ताल्लुक होता है और महामारी के आने के बाद से इस तरह के मामलों में इजाफा हुआ है। पल्मोनरी हाइपरटेंशन के लिए जागरूकता बढ़ाने और एक ही स्थान पर इस रोग की संपूर्ण देखभाल के प्रयास के तहत मैक्स हॉस्पिटल वैशाली ने आज अस्पताल में कार्डियोवैस्कुलर इंस्टीट्यूट एवं पल्मोनोलॉजी एंड क्रिटिकल केयर विभाग के साथ मिलकर अपनी तरह का पहला पल्मोनरी हाइपरटेंशन क्लिनिक शुरू किया। विश्व पल्मोनरी हाइपरटेंशन दिवस के मौके पर नया क्लिनिक मैक्स हॉस्पिटल वैशाली के डॉ. अमित मलिक, निदेशक, कार्डियोलॉजी, डॉ.शरद जोशी, सहायक निदेशक, पल्मोनोलॉजी तथा डॉ. मयंक सक्सेना, सीनियर कंसल्टेंट, पल्मोनोलॉजी की मौजूदगी में खोला गया।
डॉ. अमित मलिक बताते हैं, पल्मोनरी हाइपरटेंशन के लक्षण बहुत धीमी गति से बढ़ते हैं और शुरुआती चरण में ये लक्षण कई अन्य सामान्य लक्षणों (मसलन, सांस लेने में तकलीफ) की तरह लगते हैं। इस वजह से जब तक लक्षण गंभीर नहीं हो जाते, अक्सर लोग देरी से डायग्नोसिस कराते हैं। इन गंभीर लक्षणों में होंठ और त्वचा का नीला पड़ना, चक्कर आना या अचेत होना, सीने में दर्द, दिल की धड़कन का तेज होना, एड़ियों और पेट में सूजन आदि शामिल हैं। पल्मोनरी हाइपरटेंशन के एडवांस्ड स्टेज में पहुंचने पर दाहिने हिस्से का दिल का आकार बढ़ जाता है और हार्ट फेल्योर के कारण फेफड़ों की छोटी आर्टरी में रक्त थक्का जमने, अनियमित धड़कन और लिवर कंजेशन का खतरा बढ़ जाता है।
डॉ. शरद जोशी बताते हैं, पल्मोनरी हाइपरटेंशन एक गंभीर और जानलेना स्थिति होती है। इलाज शुरू कराने से पहले डॉक्टरों की विशेषज्ञ टीम द्वारा इस समस्या की उचित डायग्नोसिस और विश्लेषण कराना जरूरी है। हमारे क्लिनिक में पल्मोनरी रिहैबिलेशन थेरापी और व्यायाम की पर्याप्त व्यवस्था है जिससे मरीज रोजाना की गतिविधियां जारी रखने के तौर तरीके सीख सकते हैं और आसानी से सांस लेने में सक्षम हो सकते हैं। डॉ. मयंक सक्सेना ने कहा, पल्मोनरी हाइपरटेंशन से पीड़ित मरीजों को लाइफस्टाइल और खानपान में बदलाव लाने से रोग नियंत्रण में पर्याप्त मदद मिलती है। ऐसे मरीजों को फास्ट फूड से बचना चाहिए क्योंकि इनमें सोडियम की मात्रा बहुत ज्यादा रहती है और साथ ही तरल पदार्थों के सेवन पर भी ध्यान देना चाहिए। यदि किसी को सांस फूलने या सांस लेने में तकलीफ होती है तो उसे तरल पदार्थों में कमी लाना चाहिए। मोटापे से पीड़ित लोगों या भूख मिटाने वाली दवाओं का सेवन करने वाले लोगों में पल्मोनरी हाइपरटेंशन का खतरा अधिक रहता है, ऐसे लोगों को अपने शरीर का वजन नियमित रूप से जांचना चाहिए। धूम्रपान से छुटकारा और अल्कोहल का सेवन कम करने से भी इस स्थिति पर काबू पाने में मदद मिलेगी। लिहाजा लोगों में इस बारे में जागरूकता फैलाना और इस मूक हत्यारे रोग से बचाव के लिए स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के बारे में जानकारी देना बहुत महत्वपूर्ण होता है।

Comment:Cancel reply

Exit mobile version