उन्होंने इस्तीफे की पेशकश की, इससे यह भी जाहिर होता है कि वे मान रही हैं कि उनसे कहीं न कहीं गंभीर चूक हो गई है। यों ललित मोदी चार साल से लंदन में रंगरलियां मना रहा है और वह पुर्तगाल चला जाता तो कोई आसमान नहीं टूट पड़ता। लेकिन असली सवाल यह है कि उसकी पत्नी के ऑपरेशन की बात को सुषमा ने मान कैसे लिया? जो आपरेशन लंदन और बंबई में नहीं हो सकता, वह लिस्बन में कैसे हो सकता है? और पुर्तगाल में ऑपरेशन के लिए मरीज़ के पति की अनुमति भी जरुरी नहीं है। यह आश्चर्यजनक है कि मोदी जैसे संदेहास्पद पात्र के लिए भारत की विदेश मंत्री सीधे ब्रिटेन के एक सांसद और उच्चायुक्त से संपर्क करे। यदि मानवीय दृष्टि से ही उन्हें मदद करनी थी तो वे विदेश मंत्रालय के अफसरों से उचित प्रक्रिया अपनाने के लिए कह सकती थीं लेकिन सुषमा का जैसा स्वभाव है,बर्फ की तरह पिघलने का, उन्होंने खुद ही पहल कर दी। उन्हें क्या पता था कि यह मामला इतना तूल पकड़ जाएगा। एक मोदी को तो वे साल भर से अपने कंधे पर ढो ही रही हैं, अब यह दूसरा मोदी उनके गले का पत्थर बन गया है।
हो सकता है कि वे उनके पति और बेटी के दबाव में आ गई हों, जो कि उस शरारती मोदी के वकील रहे हैं। इस ज़रा−सी ढिलाई ने विरोधियों के हाथ में ‘पहले मोदी’ की नकैल दे दी है। वे ‘दूसरे मोदी’ के हवाले से अब ‘पहले मोदी’ की खाट खड़ी करेंगे। नरेंद्र मोदी और अमित शाह के साथ ही नहीं, अर्धनग्न विदेशी सुंदरियों के साथ भी ललित मोदी के अति ललित चित्र छप रहे हैं। अब इस सरकार की चाल,चरित्र और चेहरे पर भी सवाल कड़केंगे और काले धन का मामला भी उठेगा। अब दोनों मोदियों के बीच सीधा तार जुड़ने में भी कितनी देर लगेगी? ‘छोटे मोदी’ को’बड़े मोदी’ का आशीर्वाद प्राप्त है, यह भी कहा जाएगा। कांग्रेस की तो दीवाली हो गई है। ललित मोदी के साथ अब बड़े-बड़े कांग्रेसियों के एक से एक बड़े विचित्र चित्र भी करोड़ों लोगों को देखने को मिलेंगे। यह सवाल भी उठेगा कि क्या हमारे सारे नेता एक ही थैली के चट्टे−बट्टे हैं?जैसे भी, जो भी, उन्हें नोट और वोट दे, वह उनका खुदा बन जाता है।