ओ३म् “जनज्ञान मासिक पत्रिका का नया अंक – वाल्मीकि रामायण (संक्षिप्त)”


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आर्यसमाज में साप्ताहिक, पाक्षिक तथा मासिक रूप से अनेक पत्र पत्रिकायें प्रकाशित होती है जिनमें स्वाध्याय की महत्वपूर्ण सामग्री का प्रकाशन किया जाता है। जनज्ञान भी एक ऐसी ही मासिक पत्रिका है जिसका प्रकाशन विगत 57 वर्षों से हो रहा है। इस पत्रिका का अगला अंक 58वे वर्ष का प्रथम अंक होगा। जनज्ञान मासिक का वर्तमान अंक मार्च-अप्रैल, 2022 वाल्मीकि रामायण (संक्षिप्त) विषय पर है। इस अंक में विद्याभास्कर श्री पं. प्रेमचन्द्र शास्त्री द्वारा लिखित वाल्मीकि रामायण (संक्षिप्त) को प्रस्तुत किया गया है। हम अनुभव करते हैं कि इस 80 पृष्ठों की सामग्री को पढ़कर हमारी युवा पीढ़ी व अन्य पाठक वाल्मीकि रामायण को संक्षेप में जान व समझ सकते हैं तथा इससे उन्हें वाल्मीकि रामायण को समग्र रूप से पढ़ने की प्रेरणा भी हो सकती है। इसके बाद यदि वह स्वामी जगदीश्वरानन्द सरस्वती जी के वाल्मीकि रामायण ग्रन्थ को पढ़ते हैं तो उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम श्री रामचन्द्र जी के शुद्ध इतिहास का कथा रूप में समुचित बोध हो सकता है। ऐसा हम जनज्ञान के प्रस्तुत अंक को पाते हैं।

इस विवरण में हम पत्रिका के आवरण पृष्ठ को भी प्रस्तुत कर रहे हैं। यह भी एक आकर्षक रंगीन चित्र है। आवरण पृष्ठ पर ऋषि वाल्मीकि जी और मर्यादा पुरुषोत्तम राम के चित्र दिये गये हैं। पत्रिका के इस विशेष अंक में मुख्य सामग्री के साथ तीन पृष्ठीय सम्पादकीय दिया गया है। पत्रिका की संपादिका माननीय बहिन दिव्या आर्या जी हैं। इसके अंक में दो पाठकों के पत्र तथा महात्मा वेदभिक्षुः जी की अमर-वाणी है जिसका शीर्षक ‘भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाएंगे’ प्रकाशित हुआ है। पत्रिका में माता पंडिता राकेशरानी जी लिखित वाल्मीकि रामायण संक्षिप्त पुस्तक की भूमिका भी है।

जनज्ञान पत्रिका के इस अंक में वाल्मीकि रामायण (संक्षिप्त) की विषय सूची भी दी गई है जिसमें बाल काण्ड, अयोध्या काण्ड, अरण्य काण्ड, किष्किन्धा काण्ड, सुन्दर काण्ड तथा युद्ध काण्ड सम्मिलित हैं। इस पुस्तक को पढ़कर पूरी रामायण के अध्ययन का लाभ पाठकों को कम समय में प्राप्त हो सकेगा।

रामनवमी के अवसर पर जनज्ञान पत्रिका के इस अंक को प्रकाशित कर सम्पादक एवं प्रकाशक महोदया जी ने प्रशसंनीय कार्य किया है। हम आशा करते हैं जिन पाठकों तक यह सामग्री पहुंचेगी, वह इसे प्राप्त कर प्रसन्नता का अनुभव करने सहित इसका अध्ययन कर रामचन्द्र जी विषयक जानकारी से लाभान्वित होंगे। ओ३म् शम्।

-मनमोहन कुमार आर्य

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