बौखलाहट में पिछड़े वर्ग के लोगों को ही उल्टा सीधा कह गए ओपी राजभर

हार में आदमी अक्सर बौखला जाता है, और यही स्थिति इस समय सुभाष बा के नेता ओपी राजभर की हो चुकी है। उन्हें हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में ली अपनी हार अभी पच नहीं रही है । कभी योगी सरकार के साथ चलकर उन्होंने प्रदेश के विकास की योजनाओं पर काम करना आरंभ किया था। पर अपनी बढ़ती महत्वाकांक्षा के चलते जल्दी ही योगी से उन्होंने हाथ झटक लिया। हालात यह बने कि सपा के साथ जाकर मिल गए। दंभ और महत्वाकांक्षा के शिकार ओपी राजभर को यह अभिमान हो गया कि अब वह शायद उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को भी ध्वस्त कर देंगे, पर परिणाम उल्टे आ गए ।
  उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) गठबंधन के साथ चुनाव लड़े सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) प्रमुख ओपी राजभर करारी हार को लेकर पहले ईवीएम पर सवाल उठाया तो अब जनता की समझ पर सवालिया निशान लगाते दिख रहे हैं। उन्होंने पिछड़े वर्ग के लोगों को अशिक्षित, गंवार और नासमझ करार दिया है। मीडिया से बात करते हुए उन्होंने यह भी माना कि जनता को समझाने में असफल रहे।  

एक टीवी चैनल से बातचीत में उनसे जब हार की वजहों को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, ”हम जिस वोट को अपने साथ लाना चाहते थे, उनमें बड़ी अशिक्षा है, अशिक्षा की वजह से उसे शिक्षा की बात समझ नहीं आता ही। नौकरी की बात समझ नहीं आती है। जो कभी बीमार नहीं हुआ या जिस परिवार में कोई हॉस्पिटल नहीं गया उसे हमारी फ्री इलाज की बात समझ नहीं आई। जो हॉस्पिटल आया था उसे समझ आया कि सूद पर पैसा लेना पड़ा, जमीन गिरवी रखनी पड़ी।”

एक अन्य चैनल से बातचीत में जब उनसे बुलडोजर के मुद्दे पर भाजपा को वोट मिलने को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, ”ये बुलडोजर चलाने वाले लोग, अभी देखा मैंने सोशल मीडिया पर हमारे कुछ बैकवर्ड क्लास के लोग जो अशिक्षित, गंवार हम उनको कहते हैं, नामसमझ आप बुलडोजर पर बैठकर नारा लगा रहे हो उतना समय अपने बच्चे को पढ़ाने में लगा देते। अपने बच्चे को डॉक्टर, मास्टर इंजनीयर बनाने में लगाते।” 

ओपी राजभर से जब यह पूछा गया कि जनता ने आपकी बातों को खारिज कर दिया तो उन्होंने कहा, ”जनता मत माने, हमने तो समझाने का प्रयास किया। क्लास में टीचर समझाता है। 50 को पढ़ाता है, सब मेरिट तो नहीं पाते। 2-3 फर्स्ट आ जाते हैं, 10-20 फेल हो जाते हैं।” उन्होंने कहा कि उनकी अखिलेश यादव से बातचीत हुई है और एक-एक सीट पर समीक्षा की जाएगी कि कहां क्यों हारे और जहां जीते वहां वजह क्या रही। 

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