सपा के लिए हार के बाद भी राहत की बात


उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में सत्ता चाहे एक बार फिर बीजेपी की झोली में चली गई है और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दुबारा मुख्यमंत्री बनने का रास्ता भी साफ हो गया है परंतु इसके उपरांत भी कुछ बातें हैं जो सपा के लिए राहत देने वाली हैं । सपा के नेता अखिलेश यादव के बारे में निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि उन्होंने इस बार चुनाव के दौरान अपने आप को पूर्णतया एक मजबूत नेता के रूप में स्थापित किया है। सारी बीजेपी और उसके सारे तामझाम के उनके पीछे पड़े रहने के बावजूद भी उन्होंने हिम्मत के साथ चुनाव लड़ा।जिससे वह भविष्य के एक दमदार नेता के रूप में स्थापित हुए हैं।
      उन्होंने बहुत अच्छे ढंग से बसपा के मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने में भी अच्छी सफलता प्राप्त की। पार्टी के लिए यह राहत की बात है कि सपा के खिसकते जनाधार को वह अपनी ओर मोड़ने में कामयाब रही है। यदि बसपा का वोटर शेयर बीजेपी की ओर खिसक गया होता तो बीजेपी पिछले चुनाव के किर्त्तिमान को भी तोड़ सकती थी। मुस्लिम व यादव के साथ साथ यदि कुछ दलित भी सपा के साथ जुड़े हैं तो यह उसके लिए भविष्य में लाभ का सौदा सिद्ध होगा।
इन विधानसभा चुनावों का एक और साफ संदेश यह है कि यूपी की राजनीति अब भाजपा और सपा पर ही केंद्रित हो गई है। बसपा का जनाधार लगातार सिमट रहा है तो तमाम कोशिशों के बावजूद कांग्रेस जमीन नहीं तलाश पा रही है। ऐसे में इस चुनाव में सपा सत्ता से दूर भी रह गई है तो उसे यह संतोष जरूर होगा कि आने वाले समय में यदि जनता बीजेपी का विकल्प तलाश करेगी तो उसके सामने सिर्फ सपा होगी।
     2017 और फिर 2019 के चुनाव में पहले कांग्रेस और फिर बसपा के साथ गठबंधन के बावजूद सपा को निराशाजनक परिणाम मिले थे। 2022 के विधानसभा चुनावों में सपा को सत्ता तो नहीं मिली है लेकिन पार्टी के प्रदर्शन में जो इजाफा हुआ है, उससे पार्टी कार्यकर्ताओं में एक सकारात्मक संदेश जरूर जाएगा। पार्टी कार्यकर्ताओं का उत्साह जरूर बढ़ सकता है, जो कि किसी भी राजनीतिक दल के लिए संजीवनी की तरह होता है।

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