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मनमाने व्यवहार तथा दुराचार का समर्थन कर समाज व्यवस्था को क्षति पहुँचानेवाला वेलेंटाइन डे

प्रस्तावना – वैलेंटाइन डे प्रतिवर्ष 14 फरवरी को ही क्यों मनाया जाता है? इस दिन का इतिहास क्या है ? ऐसे अनेक प्रश्न हमारे मन में उठते हैं। दुर्भाग्य से, इनमें से किसी भी प्रश्न का कोई सही उत्तर उपलब्ध नहीं है। वैलेंटाइन डे के इतिहास को विभिन्न वेबसाइट पर विविध रूपों में प्रस्तुत किया गया है। यूरोप में अभी भी अस्पष्टता है कि वास्तव में किस व्यक्ति के नाम से वैलेंटाइन डे प्रारम्भ हुआ। जिस प्रकार 1 जनवरी का कोई सामाजिक, धार्मिक, पारिवारिक, वैज्ञानिक या आध्यात्मिक कारण न होते हुए भी उसे मनाया जाता है, उसी प्रकार वेलेंटाइन डे के सन्दर्भ में भी है। इस दिन देशद्रोही वैलेंटाइन को उसके राष्ट्र विरोधी कृत्यों के लिए फाँसी दी गई थी। तीसरी शताब्दी में रोम में वैलेंटाइन नाम का एक पादरी था। उस समय के राजा क्लॉडियस द्वितीय के आदेश की अवहेलना करने के कारण राजा ने वेलेंटाइन को मारने का आदेश दिया था । वास्तव में वेलेंटाइन डे ईसाई धर्म से जुड़ा हुआ है । इस दिन को मनाकर हम एक प्रकार से वैचारिक धर्मांतरण ही करते हैं । 14 फरवरी को वैलेंटाइन डे के अवसर पर ‘वेलेंटाइन डे’ की वास्तविकता क्या है? क्या सच में वैलेंटाइन डे मनाया जाना चाहिए? आइए इस लेख के माध्यम से यह जानने का प्रयास करते हैं।

ईसाई धर्म से जुड़ा वेलेंटाइन डे – हिंदू धर्म में प्रेम को व्यक्त करने का कभी भी विरोध नहीं हुआ है। हिंदू धर्म में, मानसिक स्तर के प्रेम से कहीं आगे आध्यात्मिक स्तर के प्रेम (निरपेक्ष प्रेम) को श्रेष्ठ माना जाता है। प्रेम-भाव के बिना प्रीति का गुण विकसित नहीं हो सकता; तो हिंदू धर्म प्रेम का विरोध कैसे करेगा? वैलेंटाइन डे ईसाई पंथ से जुड़ा है। हिंदू धर्म में मनाए जाने वाले सभी त्योहारों का आध्यात्मिक और वैज्ञानिक आधार है, उदा. दशहरा, दीपावली, गणेश चतुर्थी, श्री राम नवमी आदि त्योहारों का महत्व यही बताता है। इस दिन उन देवताओं का तत्व पृथ्वी पर अधिक प्रमाण में आता है, इसलिए सभी को उसका लाभ होता है । हिंदू धर्म के संतों के पुण्यतिथि के दिन उन उन संतों का तत्व सभी को मिलता हैं। वैलेंटाइन डे, मदर्स डे, फादर्स डे, फ्रेंडशिप डे, यह पाश्चात्य विचार हैं। इसलिए ऐसे दिन को मनाना देश को आर्थिक, सामाजिक और पारिवारिक नुकसान पहुंचाना है।

वेलेंटाइन डे के पीछे का छुपा हुआ अर्थकारण – पश्चिमी लोगों को भी आश्चर्य होगा, भारत में 7 फरवरी से 14 फरवरी तक रोज डे, प्रपोज डे, चॉकलेट डे, टेडी डे, प्रॉमिस डे, किस डे और वैलेंटाइन डे ऐसे दिन एक के बाद एक मनाए जाते है। ऐसे दिन विदेशों में भी नहीं मनाए जाते। वैलेंटाइन्स डे पर चॉकलेट, खिलौने, भेट वस्तुओं की बड़ी मात्रा में बिक्री होती हैं और विदेशी प्रतिष्ठान इसका लाभ उठाते हैं। भारत में वैलेंटाइन्स डे ग्रीटिंग कार्ड की बिक्री करने वाली कंपनी आर्चीज की बिक्री 10 गुना बढ़ती है। इस दौरान ग्रीटिंग कार्ड बनाने वाले प्रतिष्ठानों का बड़ा कारोबार होता है। इसलिए इन वस्तुओं को खरीदकर हम विदेशी प्रतिष्ठानों को अरबों रुपये का लाभ कमा कर दे रहे हैं। इसलिए वैलेंटाइन डे के पीछे छुपे हुए अर्थकारण को समझना बहुत आवश्यक है।

युवा पीढ़ी को अयोग्य मार्ग पर ले जाने का षड्यंत्र – आज के समय में अधिक से अधिक लड़के-लड़कियां वैलेंटाइन डे मना रहे हैं। एक सर्वे के अनुसार 30 प्रतिशत से अधिक लड़के इस दिन को लड़कियों के साथ लैंगिक संबंध रखने के लिए मनाते हैं। गर्भनिरोधक निर्माता के अनुसार अन्य दिनों की तुलना में इस दिन गर्भनिरोधक की बिक्री अधिक होती है। हालांकि, यह इस तथ्य को रेखांकित करता है कि इस दिन अविवाहित लड़के और लड़कियां लैंगिक संबंध रखते हैं। इस कालावधी में गर्भपात का प्रमाण भी अधिक होता है, ऐसे ध्यान में आया है । इस से इस दिन की भयावहता हमारे ध्यान में आती है । इंटरनेशनल बिजनेस टाइम इस दैनिक के अनुसार वैलेंटाइन्स डे के दिन सुसाइड हेल्पलाइन पर सबसे अधिक कॉल आती हैं। इसके पीछे का कारण वैलेंटाइन्स डे पर मन के अनुसार प्यार न मिल पाना, इस कारण निर्माण होने वाला अकेलापन और टूटी हुई मानसिकता है। देश-विदेश के बहुत से लोग भारतीय संस्कृति का अभ्यास करके सुख-शांति का अनुभव कर रहे हैं; परंतु, भारत में युवा पीढ़ी अशांति, दुर्व्यवहार और एड्स का शिकार हो रही है क्योंकि वे इस ‘वेलेंटाइन डे’ जैसी पश्चिमी संस्कृति का आचरण करके स्वयं को धन्य मानती हैं। यह हमारे देश की अच्छी और युवा पीढ़ी को फँसाने का षड्यंत्र है। भारतीय संस्कृति की अपरिमित हानि के साथ-साथ आर्थिक नुकसान ऐसे गलत दिन के कारण हो रहे है।

वैलेंटाइन डे की अपेक्षा मातृ पितृ दिन मनाएं – वैलेंटाइन डे अनेक कम आयु की लड़कियों को मातृत्व देने वाला दिन है, इसलिए इस दिन का निषेध करें, ऐसा विचार प्रसिद्ध वृत्त वाहिनी बीबीसी ने व्यक्त किया परंतु, इस दिन को मातृ-पितृ दिन के रूप में मनाने की नई पद्धति भारत में जोर पकड़ रही है, जो अत्यंत प्रशंसनीय है, ऐसे भी इस वृतवाहिनी ने कहा था ।

एक निजी कंपनी के एक सर्वेक्षण के अनुसार, वेलेंटाइन डे के आसपास दुनिया और विशिष्ट रूप से संयुक्त राष्ट्र अमेरिका में तलाक के मामलों की संख्या में 40% की वृद्धि हो रही है। इस अवधि में विवाहित पुरुषों और महिलाओं के बीच विवाहेतर संबंधों की घटनाओं के परिणामस्वरूप तलाक की संख्या में वृद्धि हुई है। भारतीय नागरिकों की आँख बंद करके पश्चिमी देशों की नकल करने की बढ़ती प्रवृत्ति को देखते हुए, भारतीयों को यह समझना चाहिए कि ऐसी स्थिति भारत में भी उत्पन्न होगी। इस देश में भारतीय संस्कृति की अपार क्षति ऐसे अयोग्य दिन के कारण हो रही है, इसलिए ऐसे दिनों का बहिष्कार किया जाना चाहिए। लोगों द्वारा भारतीय अर्थव्यवस्था पर वैलेंटाइन डे की लूट को देखते हुए ऐसे विकृत दिनों को स्थायी रूप से समाप्त कर देना चाहिए।

दुनिया भर के अनेक देशों ने समाप्त किया वैलेंटाइन्स डे – अनेक देशों ने वैलेंटाइन्स डे पर प्रतिबंध लगाकर इस दिन को अलग रूप में मनाने का निश्चय किया है, उदा. स्लोव्हेनिया में 12 मार्च को सेंट ग्रेगरी दिवस मनाया जाता है, 25 जनवरी को वेल्स में डोनवेन दिवस, 12 जून को ब्राजील में अनामोट दिवस। 1969 में रोमन कैथोलिक संतों के कैलेंडर से वेलेंटाइन डे को हटा दिया गया है। इस दिन को मलेशिया ने भी हटाया है। जिसे दुनिया के अनेक देशों ने हटा दिया है ऐसे वैलेंटाइन डे को हमें हटाना चाहिए या नहीं? यह हमें विचार करना है, ऐसे दिन को हम भारतीयों को क्यों महत्व देना चाहिए, हमारी संस्कृति कहती है कि परिवार व्यक्ति से अधिक महत्वपूर्ण है, समाज परिवार से अधिक महत्वपूर्ण है और देश समाज से अधिक महत्वपूर्ण है। इसी को ध्यान में रखते हुए भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव जैसे कई वीरों ने अपना सब कुछ अर्पण कर दिया और इस के कारण हमें स्वतंत्रता प्राप्त हुई । वो वैलेंटाइन डे को प्रेम का संदेश मानकर विवाह कर लेते तो क्या हमें स्वतंत्रता प्राप्त होती ? आज इस पर विचार करने की आवश्यकता है।

आइए हिंदू धर्म की उचित शिक्षा के साथ धर्माचरण करें – वेलेंटाइन डे और ऐसे अन्य दिन पश्चिमी लोगों द्वारा बनाई गई बुरी प्रथा है। इस प्रकार का दिन मनाने से हमें जो सुख मिलता है; हिंदू धर्म की शिक्षा में उस सुख के आगे का आनंद प्राप्त करवाने की क्षमता है; इसलिए वैलेंटाइन डे जैसा दिन मनाने की अपेक्षा हिंदू धर्म की उचित शिक्षा लेकर धर्माचरण करना चाहिए। इसके लिए हमें दूसरों को भी जागरूक करने की आवश्यकता है।

यह हमारे देश की अच्छी और युवा पीढ़ी को गुमराह करने का एक षड्यंत्र है, वैलेंटाइन डे की पश्चिमी विकृति पर अंकुश लगाने और भारतीय संस्कृति का संवर्धन हो इसलिए इस दिन के विरोध में युध्द स्तर पर प्रचार और प्रसार करने की आवश्यकता है। यदि आप वास्तव में प्रेम को अनुभव करना चाहते हैं, तो आपको हमारे क्रांतिकारी, परमवीर चक्रधारी सैनिक, आतंकवादियों को मारने वाले पुलिस, कमांडो इनसे प्रेम करना सीखना होगा। यहीं से वेलेंटाइन डे को भारत से स्थाई रूप से हटाने के लिए प्रेरणा मिलेगी । यह आज की समय की आवश्यकता है।

सौजन्य – हिन्दू जनजागृति समिति

श्री. विश्वनाथ कुलकर्णी
उत्तर प्रदेश एवं बिहार राज्य समन्वयक
संपर्क – ९३२४८६८९०६

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