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योगगुरू बाबा रामदेव को मुख्यमंत्री से दोस्ती मुबारक

देदून से चन्‍द्रशेखर जोशी की एक्‍सक्‍लूसिव रिपोर्ट

उत्तर भारत संत समिति के अध्यक्ष तथा कांग्रेस हाईकमान तक अपनी सीधी पकड रखने वाले आचार्य प्रमोद कृष्णन ने नैनीताल में दिये गये एक बयान में कहा कि योगगुरू बाबा रामदेव को मुख्यमंत्री से दोस्ती मुबारक। यह कह कर उन्होंने सीधे सीधे मुख्यमंत्री पर तंज कसा कि जवाहर लाल नेहरू तथा कांग्रेस हाईकमान को सीधे सीधे निशाना बनाने वालों से मुख्यमंत्री की दोस्ती कांग्रेस को रास नही आयी और इस मामले में हरीश रावतज संकट में घिर सकते हैं। हिमालय गौरव उत्तराखण्ड द्वारा इस मामले पर पूर्व में ही लिखा गया था कि नेहरू तथा सोनिया गॉधी के चरित्र पर ऊंगली उठाने वाले बाबा रामदेव की हरीश रावत से दोस्ती पर दिल्ली में कांग्रेस में सनसनी फैल गयी थी। उत्तराखंड सरकार ने रामदेव एंड कंपनी को सरकारी हेलीकॉप्टरों से केदारधाम भेजकर वहां पूजा पाठ करवाया। यात्रा को ज्यादा से ज्यादा प्रचार मिले, इसके लिए दिल्ली से न्यूज चैनलों को भी बुलाया गया था।

बताया जा रहा है कि बाबा मुख्यमंत्री हरीश रावत के अनुरोध पर केदारनाथ आए थे। मुख्यमंत्री के खासमखास औद्योगिक सलाहकार रंजीत रावत मोदी के नवरत्नों में शामिल रामदेव और अन्य संतों को हरिद्वार स्थित पतंजलि योगपीठ से केदारनाथ ले गए। हरीश रावत और बाबा रामदेव की दोस्ती के मुददे पर कांग्रेस हाईकमान के सख्त नाराज के संकेत मिलने पर , मामले की गंभीरता को देखते हुए हरीश रावत को पलटी मारनी पडी है। हरीश रावत ने २७ अक्टूदबर को मीडिया से कहा कि वह राजनीतिक बाबा रामदेव को नही जानते वह तो योग गुरू बाबा रामदेव को जानते हैं, ज्ञात हो कि योग गुरु बाबा रामदेव ने २२  २०१४ को केदारबाबा के दर्शन किए। इस मौके पर उन्होंने केदारनाथ में चल रहे पुनर्निर्माण कार्यो को सरकार के साथ मिलकर करने की बात कही। इस मौके पर उनके साथ मुख्यमंत्री के सलाहकार रणजीत सिंह रावत भी मौजूद थे। लीडिंग समाचार पत्रों में प्रकाशित रिपोर्टो के अनुसार बाबा मुख्यमंत्री हरीश रावत के अनुरोध पर केदारनाथ आए थे। बाबा रामदेव ने पं० जवाहर लाल नेहरू तथा श्रीमती सोनिया गॉधी पर समय पर संगीन आरोप लगाये थे, वही २२ अक्टूबर २०१४ को उत्तराखण्ड की कांग्रेस सरकार से बाबा रामदेव की दोस्ती होने की खबरे आम होने पर कांग्रेस सुप्रीमो ने सख्त रूख अखितयार कर लिया, उसी समय से यह माने जाने लगा था कि  मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड का यह कदम उनकी महागलती साबित तो नही होगी।

वही देदून पहुंचकर मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेसी नेता दिग्विजय सिंह ने  बाबा पर कोई नरमी नहीं दिखाई। उन्होंने आरोप लगाया कि बाबा धार्मिक नहीं, व्यावसायिक व्यक्ति हैं। उन्होंने कहा कि जडी बूटी के नाम पर रामदेव आम लोगों को ठगना बंद करें। कांग्रेसी नेता ने कहा कि केंद्र सरकार को बाबा रामदेव पर पूर्व सरकार द्वारा दर्ज कराए गए मुकदमों की विवेचना करानी चाहिए। ज्ञात हो कि कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने बाबा रामदेव पर सैकडों मुकदमे लाद दिये थे जबकि हरीश रावत ने सारे मुकदमों में ढील दे देकर दोनों की दोस्ती परवान चढी तथा उन्हें राज्य सरकार का हैलीकाप्टर देकर केदारनाथ यात्रा पर भेजकर राज्य सरकार की प्रशंसा करवायी। इसके लिए बाकायदा नेशनल मीडिया को दिल्ली से लाकर रामदेव को वीवीआईपी गेस्ट बनाकर तामझाम किया गया। हरीश रावत की बाबा रामदेव से बढती दोस्ती से कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में उदासीनता व मायूसी छा गयी कि नेहरू जी तथा राहुल गॉधी व सोनिया गॉधी को पानी पी-पीकर कोसने वाले से कांग्रेस के मुख्यमंत्री की दोस्ती जनता को नही पसंद आयी।

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