भूले-बिसरे विवाह गीतों को पुर्नजीवित करने का अनूठा प्रयास

‘राजस्थानी विवाह गीतों’ का बेजोड़ संग्रह प्रकाशित

दो सचित्रा पुस्तिकाओं में राजस्थानी गीतों का हिन्दी और अंग्रेजी में अनुवाद: साथ में 24 ऑडियों सीडीज का भी संग्रह

                नई दिल्ली के प्रगति मैदान में सम्पन्न हुए 34वें अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला में आकर्षण का केन्द्र बने राजस्थान मंडप में भारत की सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण के लिए किए जा रहे प्रयासों की सराहनीय एवं अनुपम बानगी देखने को मिली।

                मंडप में जयपुर के वीणा समूह द्वारा लगाए गए स्टॉल पर हमेशा की तरह पूरे चौदह दिनों तक राजस्थानी गीतों और संगीत की धूम मची रही, लेकिन सबसे अधिक प्रभावित करने वाली जो बात दिखी वह थी राजस्थानी कलाकारी से निर्मित और सजे-धजे लकड़ी के एक सुंदर बक्से में रखे हुए ‘राजस्थानी विवाह गीत’ का बेजोड़ संग्रह।

                वीणा के निदेशक हेमजीत मालू ने बताया कि इस संग्रह में शोधपरक दो कॉफी टेबल बुक्स और ऑडियो सीडीज शामिल है। उन्होनंे बताया कि समूह के अध्यक्ष के.सी.मालू ने इस अनूठे संग्रह के लिए सर्वप्रथम वृहद शोध कार्य करवाया और 12 वर्षो की कड़ी मेहनत और इस महत्वाकांक्षी कार्य में लगनपूर्वक जुटे रहने के उपरांत इन पुस्तिकाओं का प्रकाशन करवाया।

                मालू बताते है कि इन पुस्तिकाओं में विवाह-संस्कार से जुड़े हर पहलु एवं विषय को शामिल किया गया है जैसे गणेश स्थापना से लेकर विदाई तक की रस्मों से जुड़े ‘राजस्थानी गीतों’ के साथ उन रस्मों से सबंधित ‘राजस्थानी पेंटिंग’ के ‘आकर्षण छाया चित्रों’ को भी शामिल किया गया है। सबसे अहमं बात यह है कि ‘राजस्थानी गीतों’ को उनके मूल स्वरूप ‘राजस्थानी’ के साथ-साथ ‘हिन्दी’ और ‘अंग्रेजी’ भाषा में भी अनुवादित करवा प्रकाशित किया गया है।

                वे बताते हैं कि ढ़ाई सौ-ढ़ाई सौ पृष्ठों की इन पुस्तिकाओं में कुल 222 राजस्थानी गीत, 24 रंगीन पेंटिंग्स के संग्रह का समावेश किया गया है। साथ ही ‘विवाह’ के प्रत्येक रस्म से जुड़े राजस्थानी गीतों की 24 ऑडियो सीडीज भी लगाई गई है, जिन्हें इन पुस्तकों के साथ आकर्षण बक्से (संदूक) में रखा गया है। यह सी.डीज महिलाओं के लिए शादी से जुड़े भूले-बिसरे गीतों को पुर्नजीवित करने में सहयोगी बना रही हैं, चूंकि प्रायः महिलाएं ही शादी के गीत गाती हैं। आधुनिक पीढ़ी की युवतियों में पारंपरिक विवाह गीतों की पहचान व परम्परा को आगे बढ़ाने में यह सीडीज सहयोगी बन रही है।

                श्री मालू ने बताया कि व्यस्तता भरी जीवन शैली और आधुनिकता के वर्तमान दौर में वैवाहिक रस्मों पर गाए जाने वाले गीत गाने वाले लोगों का नितांत अभाव हो गया है। साथ ही पश्चिमी गीतों के बढ़ते प्रभाव में भारतीय संस्कृति की यह समृद्ध धरोहर लुप्त प्रायः हो रही है। ‘वीणा’ का यह विनम्र प्रयास हमारे राज्य और देश की समृद्ध संास्कृतिक परम्पराओं को विस्मृत होने से बचाने और उन्हें जीवंत बनाए रखने में सहयोगी बन रहा है। उन्होंने बताया कि इस अनूठे एवं बेजोड़ संग्रह को देश-विदेश में खूब पसंद किया जा रहा है। विशेषकर अप्रवासी राजस्थानियों ने वीणा समूह के इस प्रयास की मुक्त कंठ से प्रशंसा की है और ऐसे और प्रयासों को संरक्षण देेने पर बल दिया है।

                साथ ही वीणा समूह की इस पहल ने व्यापार मेला की इस वर्ष की थीम ‘महिला उद्यमी’ को भी सार्थक किया है, चूंकि वीणा के गीतों एवं संगीत देश में ही नहीं, विदेशों में भी भारतीय मूल की हजारो-लाखों महिलाओं के साथ देशी-विदेशी पर्यटकों को भी प्रेरित कर रहे हैं और संगीत एवं नृत्य प्रशिक्षण के माध्यम से लाखों युवक-युवतियों को अपनी माटी के संगीत से जोड़ने के साथ ही उनकी आजीविका का साधन भी बने हुए हैं।

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