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क्या है ऑस्टियोपोरोसिस

वर्षा शर्मा

इस बीमारी में हड्डियां भुरभरी हो जाती हैं। साथ ही हड्डियों के ऊतकों का घनत्व कम हो जाता है, इस कारण किसी भी झटके से उनके टूटने की आशंका बढ़ जाती है। उम्र का बढऩा और कैल्शियम की कमी ऑस्टियोपोरोसिस को आमंत्रित करने वाले मुख्य कारण हैं। कैल्शियम हमारी हड्डियों को मजबूती प्रदान करता है, इसकी कमी से हड्डियां कमजोर पड़ जाती हैं और उनके टूटने की दर बढ़ जाती है। रजोनिवृति के बाद महिलाओं में एस्ट्रोजन हारमोन की कमी के कारण इस रोग की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।

नीचे झुकने या सामान्य अवस्था में कमर दर्द होना और झुकने से कद कम होना इस बीमारी के सामान्य लक्षण हैं। इस बीमारी से अक्सर रीढ़ की हड्डी में भी विकृति आ जाती है, अत: रीढ़ की हड्डी में थोड़े से भी परिवर्तन को हल्के तौर पर ना लें। रोजमर्रा के काम जैसे कुछ चीज उठाने के लिए नीचे झुकने, बिस्तर बिछाने के लिए नीचे झुकने या किसी हल्के झटके जैसे बस या आटो रिक्शा की पिछली सीट पर लगे झटके से हड्डियों में बार-बार होने वाला फ्रैक्चर भी ऑस्टियोपोरोसिस की निशानी है।

इस बीमारी का पता लगाना ज्यादा मुश्किल नहीं है विशेषकर महिलाओं में आसानी से इसका पता लग सकता है। वैसे तो बोन डेनसिटीमीटर से कुछ ही पलों में इस रोग का पता लगाया जा सकता है, पर एक साधारण से रिस्ट टेस्ट के द्वारा इस रोग का घर बैठे ही पता लगाया जा सकता है। इसके लिए कुछ साधारण प्रश्न आप खुद से पूछ सकती हैं, जिससे पता चला सकता है कि आपको यह बीमारी होने की आशंका है कि नहीं।

चक्या आप एक रजोनिवृत्त महिला हैं और क्या आपको पैंतालीस वर्ष की आयु से पहले ही रजोनिवृत्ति हो गई थी?

चक्या आप शारीरिक तौर पर सक्रिय नहीं हैं?

चक्या आप अपने आहार में कैल्शियमयुक्त खाद्य पदार्थ जैसे दूध और दूध से बनी चीजें कम लेती हैं?

चक्या आपकी या परिवार के किसी नजदीकी सदस्य की हड्डी किसी हल्के से झटके से टूटी है?

चक्या आप दमा या आर्थराइटिस के लिए कोर्टिकोस्टिरॉटड दवा छह महीने से ले रही हैं? ऊपर लिखे प्रश्नों में से यदि एक प्रश्न का भी उत्तर हां है तो आपको ऑस्टियोपोरोसिस की आशंका हो सकती है, ऐसे में तुरंत डॉक्टरी सलाह लेना उचित रहेगा।

ऑस्टियोपोरोसिस का पता लगाने के लिए डॉक्टर अल्ट्रासाउंड बोन डेन्सिटोमीटर टेस्ट का सहारा लेते हैं। इससे अस्थियों में नुकसान की दर, फ्रैक्चर होने की संभावनाओं, इलाज के प्रभावों आदि की जानकारी मिल जाती है। इसमें एल्कोहल में भीगी रूई से टखनों के किनारों को साफ करके पैर को एक रेडिएशन फ्री मशीन के भीतर रखना होता है। मशीन में पैर फिट होने के बाद रीडिंग ली जाती है और दो मिनट में ही परीक्षण की रिपोर्ट सामने आ जाती है। जांच से पहले सामान्य खाना ही खाएं, इस बात का ध्यान रखें कि इस परीक्षण के चौबीस घंटे पहले कैल्शियम की खुराक न लें। यह सुनिश्चित करना भी जरूरी है कि परीक्षण से सात दिन पहले तक कोई बेरियम-स्टडी रेडियो आइसोटोप इंजेक्शन अथवा सीटी अथवा एम.आर.आई परीक्षण के लिए ओरल या आई.वी कान्ट्रास्ट न लिया गया हो।

कुछ आसान से छोटे-छोटे व्यायाम भी आपको इस बीमारी से बचा सकते हैं। इनमें से कुछ इस प्रकार हैं-

चफर्श पर लेट जाएं। दोनों हाथों को पेट पर रखकर घुटनों को 90 डिग्री के कोण में मोड़ें। अब कंधों को जमीन से सटाकर रखें और सिर को ऊंचा उठाएं, फिर धीरे-धीरे नीचे ले जाएं। इसे दस-पन्द्रह बार दोहराना चाहिए।

चपेट के नीचे तकिया रखकर फर्श पर पेट के बल लेट जाएं। दोनों हाथ नितम्बों पर रखें। अब सिर को फर्श तक झुकाएं और फिर जितना उठा सकें उठाएं। इस प्रक्रिया की पुनरावृत्ति दस से पन्द्रह बार करें।

चकुर्सी पर कुछ इस प्रकार बैठें कि आपकी पीठ कुर्सी से सटी हो। सिर के पीछे दोनों हाथों को क्रास करें। कोहनियों की पीछे की ओर खींचते हुए लंबी सांस लें और सांस छोड़ते हुए वापस पूर्व स्थिति में आ जाएं। ऐसा दस-पन्द्रह बार करें।

चहाथों और घुटनों के बल झुकें। एक घुटने को कमर की ऊंचाई तक ले जाएं फिर वापस पूर्व स्थिति में ले आंए। दूसरे पैर से यही व्यायाम करें। इस क्रिया को भी दस से पन्द्रह बार दोहराना उचित रहेगा।

चफर्श पर सीधे लेटें और दोनों हाथ पेट पर रखें। अब पैरों को फर्श से लगभग एक इंच ऊपर उठाएं इसमें ध्यान रखें कि घुटने आपस में जुड़े हों। इस स्थित मिें कुछ सेकेण्ड रुकने के बाद पैरों को नीचे ले आएं। ऐसे पांच से दस बार करें।

चकुर्सी पर पीठ लगाकर सीधे बैठें। बाहों को किनारे पर टिकाएं और पैरों को फर्श पर सीधे रखे। फिर अपने कंधों को पीछे की ओर धकेलने का प्रयास करे और फिर पहली वाली अवस्था में वापस आ जाएं। इसे भी दस या पन्द्रह बार दोहराएं। एक अहम बात यह है कि इन व्यायामों को करने से पूर्व किसी विशेषज्ञ से परामर्श जरूर लें। जहां तक खान-पान का प्रश्न है, सदैव ऐसा संतुलित आहार जिसमें पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम हो, इसके साथ ही फल जैसे नाशपाती, केला, अमरूद औरे अंजीर आदि भी लें। दालें, बादाम, अखरोट, टमाटर, मूंगफली, सोयाबीन, राजमा, पत्तागोभी, मेथी, मछली और ऑयस्टर मांस की पर्याप्त मात्रा भी भोजन में शामिल की जानी चाहिए।

कैफीन और एल्कोहल से बचना फायदेमंद होता है। सिगरेट से बचना भी जरूरी है क्योंकि यह एक्ट्रोजन के स्तर को कम करती है और महिलाओं में रजोनिवृति के समय हड्डियों के घनत्व पर बुरा असर डालती है। कार्बोनेटिक पेय और सोड़ा आदि भी न लें क्योंकि इसमें उपस्थित फास्फोरस आपके शरीर में उपस्थित कैल्शियम की अतिरिक्त मात्रा में कमी कर सकता है।

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