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कांग्रेस हाईकमान को पंजाब में नवजोत सिंह सिद्धू की इतनी ही जरूरत थी

अशोक मधुप 

ऐसे में नवजोत सिंह सिद्धू ने अध्यक्ष पद से त्यागपत्र देकर सभी को हैरान कर दिया। सिद्धू इस पद पर पांच हफ्ते से भी कम समय के लिए रहे। कैप्टन अमरिंदर सिंह के सीएम पद पर रहते सिद्धू और उनके बीच लंबे समय तक तकरार की स्थिति बनी रही।

पंजाब कांग्रेस में चल रही नौंटकी जनता का मनोरंजन तो खूब कर रही है किंतु कांग्रेस को तो नुकसान हो ही रहा है। राजनैतिक अखाड़े में पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने कुश्ती से पहले ही पार्टी के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को किनारे लगा दिया। अब खुद अकड़ दिखाकर अखाड़े से बाहर आ गए। कांग्रेस पजांब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से नाराज थी। पिछले चुनाव से लेकर यह चल रहा है। इस दौरान उनके केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से भेंट करने की खबर आते ही कांग्रेस ने उन्हें किनारे करने की सोच ली थी। इसके लिए उन्होंने नवजोत सिंह सिद्धू को इस्तमाल किया। उन्हें कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बनाकर पंजाब कांग्रेस को मजबूत करने का नहीं बल्कि मुखयमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को आउट करने की ठान ली थी। इसके लिए सिद्धू को बढ़ाया गया। जब अमरिंदर सिंह आउट हो गए तो सिद्धू के पर कतरने शुरू कर दिये गए।

ऐसे में नवजोत सिंह सिद्धू ने अध्यक्ष पद से त्यागपत्र देकर सभी को हैरान कर दिया। सिद्धू इस पद पर पांच हफ्ते से भी कम समय के लिए रहे। कैप्टन अमरिंदर सिंह के सीएम पद पर रहते सिद्धू और उनके बीच लंबे समय तक तकरार की स्थिति बनी रही। पहले अमरिंदर सिंह ने सीएम के पद से इस्तीफा दिया और अब सिद्धू ने पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। सिद्धू ने इस पद से इस्तीफा क्यों दिया? इसे लेकर अलग-अलग कयास लगाए जा रहे हैं। उनके त्यागपत्र का सबसे बड़ा कारण मंत्रिमंडल में अपनी पसंद के लोगों को जगह न दिया जाना माना जा रहा है। कांग्रेस हाईकमान को सिद्धू के तेवर केंद्रीय नेतृत्व को कैप्टन की मुखालफत तक तो अच्छे लगे लेकिन जब यही तेवर सिद्धू आलाकमान को दिखाने लगे तो उन्हें झटका दिया गया। उन्हें मुख्यमंत्री बनने से दूर रखा गया। मंत्रिमंडल में उनकी पसंद को नजर अंदाज किया गया। तुनक मिजाज सिद्धू के लिए ये असहाय था। उन्होंने अध्यक्ष पद से त्याग दे दिया। हालांकि कांग्रेस हाईकमान ने उनका इस्तीफा स्वीकृत नहीं किया। कहा कि बैठकर मामला निपटाएं। पर मामला निपटेगा, ऐसा लगता नहीं। कांग्रेस हाईकमान नहीं चाहेगी कि पंजाब में कोई नया कैप्टन अमरिंदर सिंह पैदा हो और कैप्टन अमरिंदर की तरह बार−बार आंखें दिखाए।

प्रदेशों में कांग्रेस हाईकमान को उसकी हां में हां मिलाने वाले चेहरे चाहिए। वह चेहरा उसे चरणजीत सिंह चन्नी के रूप में मिल चुका है। केंद्रीय नेतृत्व नवजोत सिंह सिद्धू का इस्तेमाल करने में सफल रहा है। इतनी ही उसकी जरूरत भी थी। कांग्रेस हाईकमान जानता था कि कैप्टन अमरिंदर सिंह को पंजाब में नवजोत सिंह सिद्धू ही किनारे लगा सकते हैं। इससे पहले हाईकमान ने सुनील जाखड़ को ताकत दी। जाखड़ भी कैप्टन के हाथों में खेलकर रह गए। प्रताप सिंह बाजवा को भी हाईकमान ने अवसर दिया लेकिन कांग्रेस विधायकों ने उनका साथ नहीं दिया। अब कांग्रेस हाईकमान ने सिद्धू का प्रयोग किया। कैप्टन को किनारे लगाने के बाद सिद्धू ने मुख्यमंत्री बनने के लिए भागदौड़ तो खूब की, पर कांग्रेस ने उन्हें तवज्जो नहीं दी। सिद्धू मुख्यमंत्री न बनने के वक्त की नजाकत समझ जाते तो उन्हें इतना अपमानित न होना पड़ता। पंजाब में चल रही सियासी उठापटक के बीच आलाकमान पर दबाव डालने का प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू का यह आखिरी पैंतरा है। पार्टी प्रधान पद से इस्तीफा देने के बाद सिद्धू के पास दबाव बनाने का और कोई पैंतरा नहीं बचेगा। कांग्रेस कैप्टन अमरिंदर सिंह को किनारे करने में सिद्धू का जितना उपयोग किया जा सकता था, वह हो चुका है। अब वह भी नया कैप्टन अमरिंदर सिंह बनने वालों की लाइन में हैं। पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को पूरे अधिकार देकर कांग्रेस हाईकमान उनके नेतृत्व में ही वहां चुनाव कराना चाहता है। कांग्रेस हाईकमान जान गया है कि जैसे कैप्टन को संतुष्ट करना संभव नहीं था, ऐसे ही सिद्धू को संतुष्ट करना संभव नहीं है।

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