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आर्य प्रतिनिधि सभा गौतमबुद्ध नगर के सौजन्य से चल रहे चतुर्वेद पारायण यज्ञ में पहुंचे अनेक विद्वान : महाभारत के बाद फैल गया था देश में अज्ञान अंधकार : विद्या देव

ग्रेटर नोएडा। (अजय आर्य एवं आर्य सागर खारी )  यहां गुरुकुल मुर्शदपुर में चल रहे चतुर्वेद पारायण महायज्ञ में अपने प्रवचन और उपदेशों की वर्षा करते हुए आर्य जगत के सुप्रसिद्ध विद्वान आचार्य विद्या देव जी ने कहा कि पांच हजार वर्ष पूर्व हुए महाभारत युद्ध के बाद देश-देशान्तर में वेद और वैदिक धर्म का प्रचार अवरुद्ध हो गया था। ऋषियों व वेदों के विद्वानों के न रहने के कारण वेदों के सत्यार्थों का भी प्रचलन न होने से समाज में वेदों के मिथ्या अर्थ प्रचलन में आ गये। स्वार्थी अल्पबुद्धि विद्वानों ने इस स्थिति का लाभ उठाया और अनेक प्राचीन ग्रन्थों में प्रक्षेप किये। मनुस्मृति, बाल्मीकि रामायण, महाभारत आदि अनेक ग्रन्थों में वेद विरुद्ध प्रक्षेप किये गये और उनका प्रचार होने से समाज में अनेक अन्धविश्वास, पाखण्ड, कुरीतियां आदि प्रचलित हो गईं। वर्ण व्यवस्था का स्थान जन्मना जाति व्यवस्था ने ले लिया। स्त्री व शूद्रों को वेदाध्ययन के अधिकार से वंचित कर दिया गया। यह स्थिति दिन प्रतिदिन वृद्धि को प्राप्त होती गई। यज्ञों में पशुओं की हत्या कर उनके मांस से आहुतियां दी जाने लगी। यज्ञ में इस प्रकार की हिंसा का जन समुदाय में विरोध हुआ जिसके परिणामस्वरूप बौद्ध और जैन मत अस्तित्व में आये। कालान्तर में स्वामी शंकराचार्य ने इन अवैदिक वा नास्तिक मतों का विरोध किया और अद्वैत मत की स्थापना की।
उन्होंने कहा कि बहुत कम आयु में स्वामी शंकराचार्य जी की मृत्यु हो गई। वैदिक धर्म अनेक अन्धविश्वासों व मिथ्या मान्यताओं यथा जड़-मूर्तिपूजा, फलित ज्योतिष, अवतारवाद की मान्यता, मृतक श्राद्ध आदि मिथ्या परम्पराओं से भर गया। इसी बीच जन्मना जातिवाद का प्रचलन हुआ जिसने वैदिक धर्म को सबसे अधिक हानि पहुंचाईं। इसका एक प्रमुख कारण स्त्री व शूद्रों को वेदाध्ययन से वंचित किया जाना भी था। वेदविरुद्ध व कल्पित 18 पुराणों ने भी देश व समाज में अज्ञान, अन्धविश्वासों सहित मिथ्या परम्पराओं के प्रसार में वृद्धि की जिससे समाज विकृतियां से भर गया।
आचार्य श्री ने कहा कि देश में गुंजरात के सोमनाथ व अन्य अनेक प्रमुख मन्दिर तोड़े व लूटे गये, मातृशक्ति का अपमान हुआ और आर्य-हिन्दुओं का बल व भय से धर्मान्तरण किया गया। कुछ काल बाद देश मुसलमानों का गुलाम हो गया। इस बीच देश में वीर शिवाजी, महाराणा प्रताप, गुरु गोविन्दसिंह जी आदि महावीर व महापराक्रमी महापुरुष उत्पन्न हुए जिन्होंने मुस्लिम शासकों से लोहा लिया व अनेक लड़ाईयों में उन्हें परास्त पर अपने राज्य की रक्षा की वा पराधीन प्रदेशों पर विजय प्राप्त कर उन पर शासन किया। अंग्रेजों ने भी देश पर लम्बे समय तक शासन किया। उनके शासन में भी देश का शोषण हुआ व प्रजा पर अत्याचार किये गये। हिन्दुओं का धर्मान्तरण कार्य भी उनके शासनकाल में जारी रहा।

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