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उगता भारत न्यूज़

18 57 की क्रांति के महानायक शहीद कोतवाल धनसिंह को उनके बलिदान दिवस पर दी गई श्रद्धांजलि


मेरठ। ( विशेष संवाददाता ) दिनांक 4 जुलाई 2021 को ग्राम पांचली खुर्द में स्थापित धनसिंह कोतवाल की प्रतिमा पर 1857 के क्रांतिनायक शहीद धनसिंह कोतवाल शोध संस्थान मेरठ द्वारा धनसिंह कोतवाल की संघर्ष गाथा एवं शहादत को नमन कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

10 मई 1857 को मेरठ से विश्व प्रसिद्ध जनक्रांति की शुरुआत धनसिंह कोतवाल के नेतृत्व में हुई थी । उस समय धनसिंह कोतवाल मेरठ सदर थाना में कोतवाल थे ।विद्रोह की खबर मिलते ही आसपास के गांव विशेषकर पांचली, घाट,नगला इत्यादि के हजारों ग्रामीण सदर कोतवाली क्षेत्र में इकट्ठा हो गए । धनसिंह ने सैनिक, पुलिस एवं जनता की संयुक्त क्रांतिकारी भीड़ का नेतृत्व किया और रात 2:00 बजे मेरठ जेल पर हमला कर दिया। जेल तोड़कर 836 कैदियों को छुड़ा लिया तथा जेल में आग लगा दी ।क्रांतिकारी घटनाओं को मेरठ में अंजाम देकर दिल्ली की ओर कूच किया। विद्रोह मेरठ के देहात क्षेत्र में फैल गया और फिर पूरे देश में विद्रोह की ज्वाला धदक उठी ।

क्रांति के दमन के पश्चात ब्रिटिश सरकार ने क्रांति में पुलिस की भूमिका की जांच के लिए मेजर विलियम्स की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की । मेजर विलियम्स ने उस दिन की घटनाओं का भिन्न-भिन्न गवाहियों के आधार पर विवेचन किया तथा मेरठ में जनता की क्रांतिकारी गतिविधियों के विस्फोट के लिए धनसिंह कोतवाल को मुख्य रूप से दोषी ठहराया। मेजर विलियम्स का मानना था कि यदि धनसिंह कोतवाल ने अपने पुलिस कर्तव्य का पालन ठीक से किया होता तो मेरठ में जनता को भड़कने से रोका जा सकता था। अंग्रेजों ने कहा कि कोतवाल धनसिंह ने क्रांतिकारियों को खुला संरक्षण दिया। क्रांतिकारियों में सबसे ज्यादा संख्या गुर्जरों की थी और धनसिंह कोतवाल स्वयं गुर्जर थे । उन्होंने आसपास के गांवों के लोगों को क्रांति में शामिल होने के लिए बुलाया था ।10 मई 1857 को मेरठ में जो यह महत्वपूर्ण भूमिका धनसिंह और उनके अपने ग्राम पांचली खुर्द के भाई बंधुओं ने निभाई, उसकी पृष्ठभूमि में अंग्रेजों के जुल्मों की दास्तान छुपी हुई है।

1857 की क्रांति में अग्रणी भूमिका की सजा धनसिंह कोतवाल एवं उसके गांव पांचली खुर्द को मिली। ब्रिटिश सरकार ने दंड देने के लिए अंग्रेजी रिसाले का गठन किया और 4 जुलाई 1857 को प्रातः 4:00 बजे पांचली खुर्द गांव पर तोपों से आक्रमण कर दिया। इस अंग्रेजी रिसाले में 56 घुड़सवार 38 पैदल सैनिक तथा 10 तोपची थे। पूरे गांव को तोप से उड़ा दिया गया। 400 से ज्यादा लोग मारे गए। जो बच गए उनमें से 46 को गिरफ्तार कर लिया गया, जिसमें 40 को फांसी की सजा दे दी गई। बाद में गांव में उन शहीदों की संघर्ष गाथा एवं शहादत को नमन करने हेतु प्रतिवर्ष 4 जुलाई को शहादत दिवस के रूप में मनाया जाता है।

आज के दिन जितने भी स्थानों पर धनसिंह कोतवाल जी की प्रतिमा स्थापित है। वहां माल्यार्पण एवं उनकी संघर्ष गाथा व शहादत को नमन कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है।

आज पांचली खुर्द स्थित धनसिंह कोतवाल जी की प्रतिमा पर नवनिर्वाचित जिला पंचायत अध्यक्ष चौधरी गौरव सिंह, माननीय विधायक चौधरी जितेंद्र पाल सिंह, माननीय विधायक मेरठ दक्षिण डॉ सोमेंद्र तोमर जी, पूर्व प्रमुख श्री सरजीत कुमार सिंह जी, प्रधान भोपाल सिंह गुर्जर, नवनिर्वाचित ग्राम प्रधान धर्मेंद्र सिंह राणा, धनसिंह कोतवाल के वंशज एवं शोध संस्थान के चेयरमैन तस्वीर सिंह चपराना ने 1857 के क्रांतिनायक धनसिंह कोतवाल की संघर्ष गाथा पर उद्बोधन दिया तथा धन सिंह कोतवाल की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया।

 

कार्यक्रम में इंजीनियर सुरेंद्र वर्मा, पूर्व डीएसपी बले सिंह, पूर्व डीएसपी राजेंद्र सिंह, थाना अध्यक्ष जानी सुनील वर्मा जी, प्रबंध संचालक श्री नवीन सिरोही, इंस्पेक्टर गजे सिंह, कैप्टन सुभाष, कैप्टन रमेश, गुलवीर पार्षद, प्रदीप पार्षद, प्रोफेसर विवेक त्यागी, डॉक्टर विपिन त्यागी,संजय प्रधान, सुमित प्रधान,प्रवीण प्रधान, राकेश कश्यप, वीर महेंद्र सिंह, भूप सिंह, सोहनवीर भोला, अनिल कुमार, जयकरण सिंह, चौधरी सतपाल सिंह, सतवीर सिंह, अर्जुन ढिंडाला, प्रधान प्रवीण जिंदल जी ने धन सिंह कोतवाल जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धा सुमन अर्पित किए।

धनसिंह कोतवाल जी की संघर्ष गाथा व शहादत को नमन कार्यक्रम के बाद नवनिर्वाचित ग्राम प्रधान धर्मेंद्र सिंह राणा ने सभी अतिथियों को जलपान कराकर, पुष्प-मालाओं से स्वागत किया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में ग्राम पांचली, गांव नगला, अफजलपुर पावटी, रामपुर पावटी, लखवाया, गगोल सहित क्षेत्र के सभी गांवों के लोगों ने प्रतिभाग किया।

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