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राष्ट्र निर्माण पार्टी की ओर से वेबीनार के माध्यम से 18 57 के क्रांतिकारियों को दी गई भावपूर्ण श्रद्धांजलि: शहीदों की स्मृति में सरकार को बनाना चाहिए ‘क्रांति मंडल’ : डॉ राकेश कुमार आर्य

 

नई दिल्ली । 18 57 की क्रांति के अमर शहीदों को एक वेबीनार के माध्यम से राष्ट्र निर्माण पार्टी की ओर से श्रद्धांजलि अर्पित की गई । वेबीनार में मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए ‘उगता भारत’ के संपादक और सुप्रसिद्ध इतिहासकार डॉ राकेश कुमार आर्य ने कहा कि सरकार को क्रांतिकारियों की क्रांतिकारी गतिविधियों और इतिहास की परंपरा को सुरक्षित रखने के लिए मेरठ ,दादरी ,सिकंदराबाद, बुलंदशहर ,गाजियाबाद, हापुड़, दिल्ली और और उससे लगते स्थानों को क्रांति मंडल के रूप में विकसित करना चाहिए । इन स्थानों पर उन ऐतिहासिक स्थलों को एक पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करना चाहिए जहां जहां पर उस समय क्रांति की विशेष गतिविधियां संपन्न हुई थी। इसके अतिरिक्त बुलंदशहर में काला आम नामक स्थान पर एक काल्पनिक आम का वृक्ष बनाकर उस पर उन सभी क्रांतिकारियों के नाम अंकित कराया जाए जो इस स्थान पर लाकर उस समय फांसी पर चढ़ाए गए थे।


श्री आर्य ने कहा कि दिल्ली के खूनी दरवाजे पर भी हमारे उन 6000 क्रांतिकारियों के नाम दर्ज कराए जाएं जिन्होंने 3837 अंग्रेज अधिकारियों का कत्ल किया था और जिस के अपराध में उन महान क्रांतिकारियों को यहां पर फांसी की सजा दी गई थी।
श्री आर्य ने कहा कि 1857 की क्रांति के समय हमारे देश का कुल 56% बजट सैन्य गतिविधियों पर खर्च हो रहा था। जिन्हें अंग्रेज हमारे ही खिलाफ हमारे ही सैनिकों को लड़ाने पर व्यय कर रहे थे। अंग्रेजों ने हमारी अर्थव्यवस्था का सत्यानाश कर दिया था। शिक्षा का सत्यानाश किया। इसके अतिरिक्त हमारे धर्म और संस्कृति को नष्ट करने में भी किसी प्रकार की कमी नहीं छोड़ी। यद्यपि उस समय गुरुकुल हमारे शिक्षा संस्कृति के एक दीप के रूप में जल रहे थे। परंतु उन्हें भी मैकाले ने उजाड़ने की व्यवस्था बनाई। हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि उस समय भारत के प्रत्येक गांव में एक गुरुकुल था।
श्री आर्य ने कहा कि 1757 में अंग्रेज प्लासी के युद्ध के पश्चात भारत में जमने में आंशिक रूप से सफल रहे थे । उसी की स्मृति में वह 18 57 में अपना शताब्दी समारोह भारत में मनाने की तैयारी कर रहे थे। जिसके विरुद्ध भारत के महान क्रांतिकारियों ने एकत्र पुनः आरंभ किया और अंग्रेजों को यह चुनौती दी कि उन्हें हम यहां पर शताब्दी समारोह नहीं मनाने देंगे। 18 57 में ईस्ट इंडिया कंपनी के अध्यक्ष मिस्टर मेंगल्स ने ब्रिटेन की संसद में कहा था कि भारत का राज्य हमें ईसा मसीह की शिक्षाओं के प्रचार प्रसार के लिए मिला है। उसके इस प्रकार के संबोधन से भारत के लोगों में प्रतिशोध की भावना पैदा हुई और लोग महर्षि दयानंद जो कि उसमें हो औघड़नाथ बाबा के नाम से जाने जाते थे, मेरठ में क्रांति के लिए नई गतिविधियों पर काम करने लगे। महर्षि दयानंद के दिए गए निर्देशों के अनुसार 31 मई से क्रांति आरंभ होनी थी, परंतु 29 मार्च 1857 को बैरकपुर में मंगल पांडे ने समय से पहले अंग्रेजों के विरुद्ध क्रांति की ज्वाला भड़क दी। इसके अपराध में उन्हें 8 अप्रैल 18 57 को फांसी की सजा दे दी गई । इसके बाद महर्षि दयानंद के दिशा निर्देशों के आधार पर क्रांति 21 दिन पहले अर्थात 10 मई 18 57 को प्रारंभ हुई। इस क्रांति के जनक के रूप में धन सिंह कोतवाल जैसा महान क्रांतिकारी उभर कर सामने आया। जिसमें राव कदम सिंह और अन्य ऐसे ही वीर योद्धाओं के साथ मिलकर 30,000 की एक बड़ी सेना बनाई। जिसे हम देश की पहली आजाद हिंद फौज कह सकते हैं।
श्री आर्य ने दिल्ली, मेरठ, सिकंदराबाद, बुलंदशहर, हापुड़, धौलाना और दादरी के अनेक क्रांतिकारियों का उल्लेख करते हुए कहा कि उस समय बहादुर शाह जफर को हमारे क्रांतिकारियों ने क्रांति के दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर कर दिया था। श्री आर्य ने कहा कि स्वयं उनके गांव महावड़ के चौधरी सुलेखा सिंह को भी 18 57 की क्रांति में भाग लेने के अपराध में फांसी पर चढ़ाया गया था। इसके अलावा अचल सिंह बाघू निरोजपुर और दादरी के राव उमराव सिंह व धौलाना गांव के 14 राजपूत व लाला झनकू मल के बलिदान पर भी उन्होंने अपने व्याख्यान में ओजस्वी प्रकाश डाला।
श्री आर्य ने कहा कि तात्या टोपे , नाना साहब और रानी लक्ष्मीबाई उस समय महर्षि दयानंद से मिले थे और उन्होंने उनसे मिलकर क्रांति की योजना पर विशेष काम करने का आशीर्वाद प्राप्त किया था। श्री आर्य ने नाना साहेब के बारे में बताया कि 1 जुलाई 1857 को उन्होंने एक विशेष दरबार का आयोजन किया था। जिसमें 101 तोपों की सलामी तत्कालीन मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर को दी गई थी। जबकि 21 तोपों की सलामी उन्हें स्वयं को दी गई थी और तात्या टोपे को इसी दरबार में 11 तोपों की सलामी दी गई थी। इतिहास के इन बहुत महत्वपूर्ण क्षणों को या ऐतिहासिक घटनाओं को इतिहास से निकाल दिया गया है जो कि बहुत दुख का विषय है।
डॉ आर्य के प्रस्ताव पर राष्ट्र निर्माण पार्टी के अध्यक्ष डॉ आनंद कुमार ने कहा कि पार्टी सरकार से इस संबंध में मांग करेगी कि 18 57 की क्रांति के अमर शहीदों की स्मृति को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए क्रांति मंडल की स्थापना कराई जाए । जिस में स्थापित अनेकों ऐतिहासिक स्थलों को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किया जाए। डॉ आनंद कुमार ने कहा कि बुलंदशहर के काला आम के बारे में भी जो प्रस्ताव दिया गया है पार्टी उस पर भी कार्य करेगी और शीघ्र ही एक विशेष प्रतिनिधि मंडल के माध्यम से प्रधानमंत्री श्री मोदी को इस संबंध में अवगत कराएगी। इसके अतिरिक्त गाजियाबाद की हरनंदी नदी के तट पर हुए संग्राम की स्मृति को भी अक्षुण्ण बनाने के लिए पार्टी विशेष अभियान चलाएगी। डॉक्टर आनंद कुमार ने कहा कि इतिहास इस समय अधूरा है और जब तक इतिहास को सही ढंग से नई पीढ़ी के सामने प्रस्तुत नहीं किया जाएगा तब तक राष्ट्र निर्माण पार्टी आराम से नहीं बैठेगी। इसके लिए वह एक विशेष अभियान चलाएगी और इतिहास के गौरवपूर्ण लेखन के लिए विशेष कार्य करती रहेगी।
वेबीनार में योगी दानवीर सिंह आर्य सहित पार्टी के कई वरिष्ठ पदाधिकारियों ने अपने विचार व्यक्त किए और इस बात पर सहमति व्यक्त की कि सभी मिलकर भारत के इतिहास के गौरवपूर्ण लेखन पर काम करेंगे ।वेबीनार की अध्यक्षता पार्टी अध्यक्ष डॉ आनंद कुमार ने और संचालन आर्य जैमिनी गोयल ने किया।

 

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