दादरी। ( देवेन्द्र सिंह आर्य) यहां के गांव छांयसा में विगत 23 मार्च को शहीदों की स्मृति में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया । यज्ञ पर उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए आर्य समाज के सुप्रसिद्ध विद्वान क्रांतिकारी महेश शास्त्री ने इस अवसर पर कहा कि हमें अपनी आजादी क्रांतिकारियों के बलिदान के कारण ही मिली थी। यदि उस समय अंग्रेजों को भगाने के लिए हमारे क्रांतिकारी नेता सामने नहीं आते तो अंग्रेज यहां से कभी जाने वाले नहीं थे।
उन्होंने कहा कि चरखा से कभी क्रांति या आजादी नहीं आ सकती थी। क्योंकि चरखा के नरम वादी आंदोलन का कोई प्रभाव अंग्रेजों पर कभी नहीं पड़ा। जबकि क्रांतिकारी लोगों के क्रांतिकारी कारनामों से अंग्रेज दिन-रात हम भयभीत रहते थे। उन्हें इस बात का डर रहता था कि देश के क्रांतिकारी कभी भी उनकी खटिया पलट सकते हैं।
श्री शास्त्री ने कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस, चंद्रशेखर आजाद और शहीद ए आजम भगत सिंह जैसे क्रांतिकारियों के साथ कांग्रेस और कांग्रेस के नेताओं गांधी और नेहरू ने सदा उपेक्षा का व्यवहार किया। यहां तक कि शहीदे आजम भगत सिंह और उनके साथियों की सजा को रुकवाने के लिए भी गांधी ने अपने प्रभाव का प्रयोग नहीं किया।
जिस कारण उनका क्रांतिकारी आंदोलन इतिहास से छुपा दिया गया । इस अवसर पर श्री रविंद्र आर्य ने भी अपने विचार व्यक्त किए और क्रांतिकारियों के इतिहास पर सिर से लेखन करने पर बल दिया । इस अवसर पर राकेश कुमार यादव, सेंसर पाल सिंह मलिक, प्रधान सुरेंद्र मलिक, मोहित मलिक, श्याम लाल शर्मा , योगेश शर्मा , गौरव शर्मा व अन्य अनेकों गणमान्य लोग उपस्थित थे।