Categories
आर्थिकी/व्यापार

महामारी और अर्थव्यवस्था दोनों मोर्चों पर भारत ने दिखाई अपनी ताकत

नवीन कुमार पांडे

​​रिपोर्ट के मुताबिक भारत में टॉप के एक सौ अरबपतियों की संपत्ति में लॉकडाउन के दौरान जो बढ़ोतरी हुई है, वह इतनी है कि देश के सबसे गरीब माने जाने वाले 13.8 लाख परिवारों में बांट दी जाए तो हरेक के हिस्से 94,045 रुपये आएंगे।

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) का ताजा आकलन इस बात की पुष्टि करता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था उम्मीद से कहीं बेहतर ढंग से वापसी कर रही है। मंगलवार को जारी वर्ल्ड इकनॉमिक आउटलुक अपडेट में आईएमएफ ने कहा है कि साल 2022 में भारत की जीडीपी विकास दर 11.5 फीसदी रहेगी। ध्यान रहे, आईएमएफ ने बीते अक्टूबर में तत्कालीन स्थितियों को देखते हुए 2022 में भारत की विकास दर 8.8 फीसदी रहने का अनुमान व्यक्त किया था। जाहिर है, इन तीन महीनों में महामारी और अर्थव्यवस्था, दोनों मोर्चों पर भारत के बेहतरीन प्रदर्शन की बदौलत आगे की यह उत्साहवर्धक तस्वीर सामने आ पाई है। हालांकि साल 2021 में यह अनुमान देश की जीडीपी में 8 फीसदी की गिरावट दिखा रहा है।

इस लिहाज से देखा जाए तो 11.5 फीसदी की शानदार बढ़ोतरी के पीछे यह तथ्य भी है कि यह काफी नीची बुनियाद पर हासिल की जाएगी। फिर भी यह बढ़ोतरी हर लिहाज से अच्छी ही कही जाएगी। सवाल यह है कि क्या तेज विकास दर के ये संभावित आंकड़े देशवासियों के हर हिस्से के लिए एक जैसी, या लगभग बराबर की खुशी ला पाएंगे? यह सवाल पूछने की जरूरत इसलिए आ पड़ी क्योंकि इसी हफ्ते जारी हुई ऑक्सफैम की एक रिपोर्ट बताती है कि कोरोना और लॉकडाउन जैसी सर्वव्यापी समस्या भी भारतीयों के हर हिस्से के लिए समान रूप से हानिकर नहीं सिद्ध हुई। ऑक्सफैम की सालाना विषमता रिपोर्ट, जिसे इस बार ‘इनइक्वलिटी वायरस रिपोर्ट’ नाम दिया गया है, बताती है कि लॉकडाउन के दौरान जब देश के ज्यादातर लोग नौकरी जाने या सैलरी में कटौती होने जैसी दिक्कतें झेल रहे थे, तब देश के सुपर रिच क्लब की संपत्ति में 35 फीसदी का इजाफा दर्ज किया जा रहा था।
रिपोर्ट के मुताबिक भारत में टॉप के एक सौ अरबपतियों की संपत्ति में लॉकडाउन के दौरान जो बढ़ोतरी हुई है, वह इतनी है कि देश के सबसे गरीब माने जाने वाले 13.8 लाख परिवारों में बांट दी जाए तो हरेक के हिस्से 94,045 रुपये आएंगे। साफ है कि हमारी आर्थिक व्यवस्था की बनावट कुछ ऐसी हो गई है जिसमें इसके मजबूत और कमजोर हिस्सों की दूरी दिनोंदिन बढ़ती ही जा रही है। विषमता का स्तर अब ऐसा हो गया है कि इनके सुख-दुख का एक-दूसरे से कुछ लेना-देना ही नहीं रह गया है। अगर एक तबके को तहस-नहस कर देने वाली आर्थिक तबाही के बीच दूसरे तबके के विकास की तूफानी रफ्तार देखने को मिलती है तो फिर क्या गारंटी है कि 2022 में दिखने वाली तेज विकास दर का फायदा भी समर्थ तबके तक ही न सिमटकर रह जाए? वित्त मंत्री अगले सोमवार को देश का नया बजट संसद में पेश करने जा रही हैं। उनसे उम्मीद रहेगी कि वह केवल तेज विकास को अपना मकसद न मानते हुए बजट में कुछ ऐसे प्रावधान भी करेंगी जो हमें अधिक समतामूलक विकास की ओर ले जाएं।

Comment:Cancel reply

Exit mobile version