सुशासन के सिद्धांतों का खजाना है वेदों में : मुख्यमंत्री अशोक गहलोत

 

एल. एन. शर्मा

जयपुर। मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने कहा कि वेद सुशासन के सिद्धांतों का खजाना हैं, इन सिद्धांतों को अपनाकर लोक कल्याणकारी राज्य की परिकल्पना को मूर्तरूप दिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार वेदों में निहित ज्ञान को जन-जन तक पहुंचाने के लिए वैदिक शिक्षा के संरक्षण तथा इसके अध्यापन के काम को और आगे बढ़ाएगी। उन्होंने कहा कि ऋषि-मुनियों के चिंतन तथा हमारे पुरातन ज्ञान-विज्ञान के अमूल्य भंडार वैदिक शिक्षा तथा देव-वाणी संस्कृत के प्रसार में सरकार कोई कमी नहीं छोड़ेगी।

श्री गहलोत मंगलवार को राष्ट्रीय युवा दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री निवास पर ‘लोक कल्याणकारी राज्य एवं सुशासन हेतु वैदिक विमर्श‘ विषय पर वर्चुअल रूप से आयोजित राष्ट्रीय वेद सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर वैदिक हैरिटेज एवं पाण्डुलिपि शोध संस्थान, राजस्थान संस्कृत अकादमी के पोर्टल तथा ‘पानी बचाओ, बेटी बचाओ, सबको पढ़ाओ, पर्यावरण बचाओ’ के संदेश पर आधारित पोस्टर का लोकार्पण किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सदियों पहले हमारे महान विद्वानों ने वेदों के रूप में जो बेशकीमती खजाना हमें सौंपा है, उसमें पर्यावरण संरक्षण, राजा के कर्तव्य, शासन के सिद्धांत, आदर्श प्रजा, प्रजातांत्रिक मूल्य सहित सभी विषय समाहित हैं। जितनी गहराई में हम वेदों का अध्ययन करते हैं, उतना ही सुशासन देने का हमारा संकल्प और अधिक मजबूत होता है।

श्री गहलोत ने इस मौके पर स्वामी विवेकानंद का पुण्य स्मरण करते हुए कहा कि उन्होंने दुनिया में भारतीय वैदिक संस्कृति के महत्व को स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। मानवता तथा विश्व शांति के लिए दिया गया उनका संदेश आज भी उतना ही प्रासंगिक है। वैदिक संस्कृति में बताए गए शांति, सदभाव, समरसता तथा विश्व-बंधुत्व जैसे मूल्यों को अपनाकर युवा पीढ़ी सामाजिक, आर्थिक और वैचारिक रूप से सशक्त बन सकती है। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के समय विवेकानंद जयंती को राष्ट्रीय युवा दिवस घोषित किया गया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार के समय ही प्रदेश में आयुर्वेद एवं संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना की गई। अब हम वैदिक शिक्षा एवं संस्कार बोर्ड के काम को आगे बढ़ा रहे हैं। उन्होंने कहा कि वैदिक साहित्य के क्षेत्र में शोध करने वाले विद्यार्थियों को राज्य सरकार प्रोत्साहन देगी। उन्होंने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी के माध्यम से वैदिक ज्ञान का तेजी से प्रसार किया जा सकता है।

कला एवं संस्कृति मंत्री डॉ. बीडी कल्ला ने कहा कि राजस्थान में गुरू-शिष्य परंपरा पर आधारित 25 वेद विद्यालय तथा संस्कृत शिक्षा निदेशालय का होना यह दर्शाता है कि राज्य सरकार वैदिक परंपराओं के संरक्षण की दिशा में सकारात्मक सोच के साथ कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि वैदिक वांड्मय में कहा गया है कि सर्वहित में ही स्वहित निहित है। यही भावना शासन का मूल मंत्र होना चाहिए।

मुख्य सचिव श्री निरंजन आर्य ने कहा कि हमारी वर्तमान प्रजातांत्रिक एवं प्रशासनिक व्यवस्था की मूल अवधारणा वैदिक ज्ञान से प्रेरित है। सामाजिक जीवन के संचालन की जो विधि वेदों में बताई गई है, वही सुशासन का सार है। सांस्कृतिक और नैतिक मूल्यों के पतन को रोकने के लिए वैदिक विमर्श उपयोगी हो सकता है।

गुरूकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय हरिद्वार के कुलपति प्रो.रूपकिशोर शास्त्री ने कहा कि सुशासन और स्वराज्य की अवधारणा का केन्द्र बिन्दु वैदिक साहित्य में मिलता है। उन्होंने कहा कि राजस्थान वह भूमि है, जहां वैदिक ज्ञान तथा परंपराओं के संरक्षण के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य हुआ है और इसे आगे बढ़ाया जा रहा है।

महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय रोहतक के पूर्व प्रोफेसर बलवीर आचार्य ने कहा कि वेदों में राज्य संस्था का विकास, शासनाध्यक्ष के निर्वाचन, उसकी योग्यता तथा दायित्वों के निर्वहन की संपूर्ण व्याख्या की गई है। वसुधैव कुटुंबकम की भावना वैदिक ज्ञान पर ही आधारित है। मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय उदयपुर के संस्कृत विभागाध्यक्ष श्री नीरज शर्मा ने भी संबोधित किया।

कला, साहित्य एवं संस्कृति विभाग की सचिव श्रीमती मुग्धा सिन्हा ने स्वागत उद्बोधन देते हुए कहा कि वेदों का भारतीय जन मानस पर अमिट प्रभाव रहा है। वेदों में नैतिकता के साथ संयमित एवं संतुलित जीवन जीने के सूत्र दिए गए हैं, जो हम सभी के लिए उपयोगी हैं।

राजस्थान संस्कृत अकादमी के प्रशासक डॉ. समित शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर श्री कालाजी वैदिक विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. लक्ष्मी शर्मा, राजस्थान संस्कृत अकादमी के निदेशक श्री संजय झाला सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे। गोविन्द गुरू जनजातीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आईवी त्रिवेदी भी वीसी के माध्यम से जुड़े।

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