तूफान आने से पहले की खामोशी सभी देशवासियों को समझ जाना चाहिए

दीपक आहूजा

धारा 370 का हटना यकीनन बहुत खुशी की बात है, मगर लङाई अभी खत्म नहीं हुई है, बल्कि इसके साथ ही एक अंतहीन संघर्ष की शुरूआत भी हुई है, जिसे आम आदमी नहीं देख पा रहा है। देश का अधिकाँश मुसलमान गुस्से से उबल रहा है और बदले व खून खराबे की फिराक में है, ये पक्की खबर है।
हालांकि सरकार को भी इसकी पक्की खबर है और वो हर पल चौकन्नी भी है। हमारी पक्की खबर का सबसे पुख्ता सबूत ओवैसी का वो भाषण है, जो कुछ दिन पहले ही सामने आया था, जिसमें वो खुले आम ये कहकर भारत सरकार को धमका रहा था कि “कश्मीर के मुसलमान बहुत समझदार हैं, वो किसी भो बात का बदला तुरंत नहीं लेता। सन 87 के घटनाक्रम का बदला उन्होंने सन 89 में हिन्दुओं की कत्लोगारत करके लिया और पूरी कश्मीर घाटी को हिन्दू विहीन बना दिया”।

ओवैसी की इस लाइन को अगर बारीकी से समझा जाये तो देश के हिन्दुओं को खुलेआम धमकी और चेतावनी है कि जो 89 में कश्मीर में हुआ वो देश में भी हो सकता है। अतः ओवैसी के इस बयान को उसका बड़बोलापन न समझो, बल्कि सभी हिन्दुओं को हर पल व हर हाल में एकजुट और चौकन्ना रहने की सख्त आवश्यकता है। कुल मिलाकर कहना ये चाहता हूं कि खुशियाँ बहुत मन गयीं, अब वक्त है एक आँख खोलकर सोने का।

ये सच है कि हिन्दू आज पहले की तुलना में एकजुट हुआ है, मगर जितनी जरूरत है, उससे बहुत कम है। यही मेरी चिंता का असली कारण भी है। हमारे देश में मीर ज़ाफरों और जयचंदों की कमी नहीं है। आइये सांकेतिक रूप में पहले आपका उनसे ही परिचय करा दू।

(1) बिहार का एक पलटूराम आजकल बहुत करारी खिचड़ी पका रहा है। वो जानता है कि अगली बार उसका आना लगभग असंभव है, क्योंकि मेरे अनुमान के मुताबिक हमारे चाण्क्य महाराष्ट्र style में बिहार का चुनाव लड़ेंगे, जिसमें उसका हारना 90% तय समझिये अतः कुरसी की खातिर वो पाकिस्तान से भी हाथ मिला ले तो आश्चर्य मत करना। इस शक का पहला सबूत ये कि भाजपा के बढ़ते जनाधार को रोकने के लिये उसने चुनाव specialist के नाम से मशहूर PK को ममता के पास कुछ महीने पहले भेजा है। PK नौटंकी कराने में बहुत माहिर है जैसे चाय पे चर्चा, खाट सभा, असहिष्णुता गैंग बनाना, अवार्ड वापिसी गैंग तैयार कर भाजपा को बदनाम करना आदि उसी के दिमाग की उपज थीं। बंगाल में पहुंचकर एक मुस्लिम अभिनेत्री को कोरी दुल्हन बनाकर जमकर सुर्खियाँ बटोरीं। मकसद था चाणक्य के प्रभाव को कम करना, ये और बात है कि इस नौटंकी ने अभिनेत्री को भले ही प्रिया प्रकाश की तरह मशहूर कर दिया, मगर आज वही खूबसूरत भैंस पानी में समाती नज़र आ रही है।

पलटूराम के जयचंदीय लक्षण का दूसरा सबूत ये है कि NDA में होते हुए भी उसने तीन तलाक और धारा 370 पर भाजपा का साथ नहीं दिया, जबकि उन दलों ने साथ दे दिया जो NDA में नहीं थे, जैसे बसपा, नवीन पटनायक, दिल्ली वाले घुघरू सेठ जिसकी बाल बराबर उम्मीद नहीं थी, मगर दुशासन बाबू ने पीठ दिखा दी। हम में से किसी ने जयचंद को नहीं देखा, क्योंकि उस समय हमारा दुनिया में अस्तित्व ही नहीं था, मगर हम खुशनसीब हैं कि आज दुशासन बाबू के रूप में हमें जयचंदजी के साक्षात दर्शन हो रहे हैं।

(2) लाल सलाम उर्फ वामपंथ। भले ही राजनैतिक तौर पर फिलहाल इनकी कोई औकात नहीं है, मगर मत भूलिये कि मीडिया और न्याय के मंदिर में आज भी इनका जूता पुजता है। हिन्दू पहले की तुलना में होशियार जरूर हुआ है, मगर उतना ही जितना LKG का बच्चा UKG में आकर हो पाता है, जो आज की चुनौतियों के आधार पर “ऊँट के मुह में जीरे” के बराबर ही है। इसका सबूत ये कि आजतक की एक प्रेस्या विधायक की बेटी की आशिकी की नुमाइश कर रही थी और लोग चटखारे लेकर देख रहे थे। उन्हें समझ ही नहीं आया कि उस कुख्यात प्रेस्या का असली मकसद लड़की को उसका प्यार दिलाना नहीं, बल्कि मदरसे में पकड़े गये हथियारों की खबर से लोगों का ध्यान भटकाना था, ताकि लोग आतंकवाद और आतंकवादी समाज की कारगुजारियों की चर्चा न कर सकें।

(3 भले ही खान्ग्रेस आज अपने बुरे दौर से गुजर रही है मगर एक कड़वा सच ये भी है कि इसके कई फुस्स फटाखे आज भी देश में तबाही ला सकते हैं। चिदंबरम, आशिकी 70+ उर्फ टंच माल, अहमद पटेल, गुलामे पाकिस्तान, बाटला हाऊस के बाद अपनी खान्ग्रेसी राजमाता द्वितीय के आँसू गिनने वाला सलमान खान, ससुरेवाला…. आदि। इस पार्टी में तो गद्दारों की भरमार है। अतः खत्म होती खान्ग्रेस को देखकर चादर तानकर सोना आत्महत्या करने के बराबर ही होगा। समझदार लोग दुश्मनों की अंतिम चल रही साँसों को देखकर निश्चिंत कभी नहीं होते, बल्कि तब होते हैं जब तक कि अपने हाथों से दुश्मन को कब्र में नहीं गाड़ देते। उसके बाद भी उसकी कब्र पर एक पौधा रोप देते हैं, ताकि पानी देने के बहाने देखते रहें कि मुर्दे कब्र में ही हैं न!!

मत भूलो कि ये वही खान्ग्रेस है, जिसने हिन्दू आतंकवाद या भगवा आतंकवाद जैसा शब्द गढ़ा था, जो 89 के कश्मीर में हुए हिन्दुओं के नर-संहार पर मूक दर्शक बनी रही थी, जिसने नसबंदी का आतंक फैलाया और शिकार सिर्फ हिन्दुओं को ही बनाया, जिसने 84 में सिखों का नरसंहार कराया, जिसने साध्वी पर भयानक अत्थाचार कराये, जिसने सन 66 में 500 से ज्यादा गौ-भक्त साधुओं को मौत के घाट उतारा…. ऐसे अनगिनत कुकर्मों से सुसज्जित खान्ग्रेस सिर्फ इस ताक में है कि हिन्दू जरा सा भटके और ये देश को शमशान बना सकें।

(4) पाक ने गज़वा ऐ हिंद और कश्मीर के लिये स्वयं को बर्बाद कर लिया अतः आपको लगता है कि वो खामोश बैठेगा? घायल दुश्मन, अगर वो मुसलमान है तो नागिन से भी ज्यादा खतरनाक होता है। नागिन का बदला चूक सकता है, मगर घायल मुसलमान का कभी नहीं। मत भूलिये कि ऐंटोनियो माइनो पूर्व KGB की ऐजेंट भी रह चुकी है। उसके यू तो अनगिनत किस्से सुर्खियों में रहे हैं मगर एक किस्सा कम सच्चाई पूरे शरीर में सिहरन पैदा कर देती है। हर पल साये की तरह राजीव के साथ रहने वाली ऐंटोनियो राजीव के जीवन की अंतिम सभा में साथ नहीं थी, क्यों? जरा सोचिये इस क्यों के पीछे कितनी भयावह सच्चाई छुपी होगी। ऐंटोनियो ने अपने शासनकाल के दौरान हमेशा मोदीजी और अमित शाह को ही निशाने पर रखा, जबकि भाजपा में और भी वरिष्ठतम नेता थे क्यों? संघ में से सिर्फ मोहन भागवतजी को ही निशाने पर लेने की पूरी योजना बनाई, जबकि संघ तो बहुत बड़ा है। सवाल ये कि क्यों?? ये कड़वे सच उसके दिमाग की गहराई और दूरदर्शिता को भी प्रदर्शित करते हैं।

“जब शातिर दिमाग लंबे समय तक खामोश रहे तो वो सायनाइड से भी ज्यादा खतरनाक होता है।”

आज इतने बड़े ऑपरेशन (370 हटने) के बाद भी घाटी और देश में शांति है वो इस बात का सबूत है कि सरकार ने इसके लिये महीनों पहले हर बारीकी पर कितना परिश्रम किया था। सरकार 24×7 Active mode में चल रही है और किसी भी देशद्रोही की दाल नहीं गल पा रही है या ये भी हो सकता है कि ये तूफान से पहले की खामोशी हो?? सच जो भी हो मगर हर सच ये कहता है कि हिन्दुओं की जरा सी बेवकूफी उनके और देश के लिये नरक के द्वार खोल देगी। देश के कोने कोने में मिनी पाकिस्तान बने हैं जो एक इशारे पर तूफान ला सकते हैं। उस तूफान को सिर्फ हिन्दुओं की एकता ही रोक सकती है।

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