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राजनीति

मुस्लिमों का पोषण, हिन्दुओं का शोषण

आज हमारे देश में धर्मनिरपेक्षता का अर्थ केवल मुस्लिम परस्ती व हिन्दू विरोध ही रह गया है तभी तो 2002 में गोधरा कांड की प्रतिक्रिया में हुए दंगों को लेकर आज तक रोने वाले नकली धर्मनिरपेक्षतावादी राजनेता, बुद्धिजीवी, मानवाधिकारवादी तथा मीडिया को पिछले चार-पांच दिनों से उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के कवाल गांव में हो रहे साम्प्रदायिक दंगे दिखाई नहीं दे रहे। शायद इसलिये कि इन दंगों की शुरुआत अल्पसंख्यक (मुस्लिम) समुदाय ने की। उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव की ढोगीं सेकुलर मुस्लिम परस्त सरकार हर हाल में तथाकथित साम्प्रदायिकतावादी ताकतों (राष्ट्रवादियों) को खत्म करना चाहती है। इसीलिये उसने जबसे प्रदेश की सत्ता सम्भाली है तब से आज तक प्रदेश में जितने भी अल्पसंख्यक (मुस्लिम शरारती तत्वों) समुदाय द्वारा दंगे किये गये उनमें किसी को कोई सजा नहीं दी बल्कि पीड़ित हिन्दुओं को ही सजा दी गई है।
पता नहीं देश में किस प्रकार का धर्मनिरपेक्ष राज चल रहा है? एक धर्म विशेष (मुस्लिम) के लोग जो चाहे हिन्दुओं के साथ कर सकते है, जिसको चाहे मारें, जब चाहे किसी भी बहन-बेटी के साथ छेड़छाड करें व उठाए, ऐसे में यदि कोई हिन्दू उन्हें रोकता है उसको मार देते हैं और उनके घरों में आग लगा देते हैं,, उनके धार्मिक स्थलों को तोडते व अपवित्र कर देते है। उन्हें ऐसा करने पर सेकुलर सरकारें मुआवजे के नाम पर भारी भरकम धनराशि देकर सम्मानित करती है। यदि हिन्दू अपनी रक्षा में उनका प्रतिरोध करता है तो सेकुलरवाद का दिखावा करने वाले एक आवाज में उसे दोषी घोषित कर उसे सख्त से सख्त सजा देने की मांग करते है। यदि उसे सजा नहीं दी गई तो देश की धर्मनिरपेक्षता खतरे में पड़ जायगी।
कवाल गांव (जिला मुजफ्फरनगर) में एक मुस्लिम युवक द्वारा एक हिन्दू छात्रा को छेडने के कारण उस छात्रा के भाईयों ने उसका प्रतिरोध किया, जिससे नाराज होकर वहां के मुस्लिम समुदाय ने गौरव और सचिन नामक इन दो युवकों की बडे ही विभत्स व निर्दयतापूर्वक हत्या कर दी। मुस्लिमों ने इन युवकों को पत्थर मार-मारकर तथा गला काटकर मार डाला। इसके बाद मुस्लिम समाज कवाल के हिन्दू समुदाय पर टूट पड़ा, वहां के प्राचीन मन्दिर को अपवित्र कर तोड़ दिया। कवाल में जब तक मुस्लिम समुदाय की वहशीयत का नंगा नाच चलता रहा तब तक प्रशासन की ओर से कोई कार्यवाही नहीं की गई, जैसे ही हिन्दुओं ने उनका प्रतिरोध करना शुरू किया गया तो प्रदेश की मुस्लिम परस्त सरकार का प्रशासन मुस्लिमों को बचाने के लिए वहां पहुंच गया। पूरे मुजफ्फरनगर में हिन्दुओं की प्रतिक्रिया को दबाने के लिए धारा 144 लगा दी गई। मुसलमानों द्वारा मारे गये इन दो हिन्दू युवकों की शोकसभा में जाने के लिए आये हिन्दुओं को रोकने के लिए पुलिस बल तैनात कर दिया गया। परन्तु इतना सब कुछ हो जाने के बाद भी प्रदेश सरकार ने किसी भी हत्यारे मुस्लिम को गिरफ्तार तक नहीं किया उल्टे हिन्दुओं को ही धमकाया जा रहा है।

जब से प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार बनी है तब से वहां हिन्दुओं का जीना दूभर हो गया है। प्रदेश का मुस्लिम समुदाय किसी न किसी बहाने से हिन्दुओं पर आक्रमण करता ही रहता है। उनको रोकने वाले पुलिस कर्मियों व हिन्दुओं पर प्रशासन तत्काल कार्यवाही करते हुए पुलिसवालों को निलम्बित कर देता है एवं हिन्दुओं को जेल में डाल देता है। पुलिस प्रशासन भी सरकार के भय से निष्पक्षता पूर्वक कार्यवाही नही कर पाता, जिसके कारण दोषी सजा पाने से बच जाते है। ऐसा लगता है प्रदेश सरकार के सबसे ताकतवर मंत्री आजंम खां ने 7 फरवरी 2012 में गोरखपुर की एक चुनावी सभा में पुलिस के विरूद्ध मुसलमानों को भडकाते हुए कहा था कि ”बदलाव लाओं और सपा सरकार के गुजरे कार्यकाल को याद करो जब थाने के लोग दाढ़ी (मुसलमानों) पर हाथ धरने से डरते थे।” (संदर्भ दैनिक जागरण, 8 फरवरी, 2012) उनकी कही ये बात आज पूरी तरह सही साबित हो रही है, शायद इसीलिये मुसलमानों ने सपा को वोट दिया था।
यदि हमारे देश में इसी प्रकार की धर्मनिरपेक्षता चलती रही तो वह दिन दूर नहीं जब पूरे विश्व में हिन्दुओं के एकमात्र देश भारतवर्ष के कई टुकडे होगें अथवा पूरे के पूरे भारत का इस्लामीकरण कर दिया जायेगा और हिन्दुओं को इस पूरी पृथ्वी पर रहने के लिए कोई स्थान नहीं बचेगा। हिन्दुओं जागों और देश बचाओ।
यति नरसिंहानन्द सरस्वती
महन्त
सिद्धपीठ प्रचण्ड देवी व महादेव मन्दिर
डासना, गाजियाबाद (उ.प्र.)

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