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आतंकवाद

हिन्दू दंपति को फंसाने वाले जिस खालिद की हत्या ने मचा रखा था बवाल , दिल्ली से जीवित गिरफ्तार

खालिद हत्याकांड में चौंकाने वाला खुलासा (साभार: दैनिक भास्कर)
बिहार के बेतिया जिले में बहुचर्चित खालिद हत्याकांड का खुलासा करते हुए पुलिस ने जिंदा खालिद सहित चार लोगों को गिरफ्तार कर, लगभग 30 वर्ष पूर्व प्रदर्शित हुई “अँधा कानून” फिल्म स्मरण हो जाती। जिसमे दिखाया था कि किस तरह अराजक तत्व कानून से खिलवाड़ कर कानून को मात्र एक बोना बना रखा है। और इस फिल्म को चरितार्थ गरीब, मजलूम, नसमझ शांतिदूतों ने कर दिया।
और जब यह कांड हुआ था बेशर्म छद्दम सेक्युलरिस्टों, #not in my name, #mob lynching, #intolerance और गंगा-जमुना तहजीब का रोना रोने वाले पाखंडियों ने अराजकता फ़ैलाने का भरसक प्रयत्न किया था।
दरअसल, विवादित जमीन को लेकर नगर परिषद सभापति और उनके पति रोहित सिकारिया को फँसाने के लिए हत्या की झूठी साजिश रची गई।
इस पूरे मामले में हत्या किसी और की हुई, पहचान किसी और की हुई और आरोप किसी और पर लगा। हालाँकि, इस मामले में बेतिया पुलिस ने चार दिन के भीतर जब सनसनीखेज खुलासा किया तो सभी के होश उड़ गए।
पुलिस ने मृत खालिद को दिल्ली से खोजकर पूरे हत्याकांड के केस को पलट दिया है। मृत खालिद के जिंदा निकलने पर नगर परिषद सभापति गरिमा सिकारिया और उनके पति रोहित सिकारिया ने राहत की साँस ली है। क्योंकि खालिद की हत्या के मामले में उसके परिजनों ने परिषद सभापति और उनके पति पर खालिद का मर्डर कराने का आरोप लगाया था। मामले का पर्दाफाश करते हुए पुलिस ने खालिद व उसके पिता सहित चार लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनसे पुलिस पूछताछ कर रही है।
हालाँकि, जो शव चार टुकड़ों में मिला था उसकी शिनाख्त नहीं हो पाई है। पुलिस के मुताबिक खालिद और उसके दोस्तों ने मिलकर ही एक व्यक्ति की हत्या की थी और जमीन विवाद में नगर परिषद सभापति और उनके पति को फँसाने के लिए यह खतरनाक साजिश रची थी। पुलिस ने इस मामने में खालिद के पिता को भी गुमराह करने के आरोप में गिरफ्तार किया है। पकड़े गए लोगों ने अभी तक इसका खुलासा नहीं किया है कि वह लाश किसकी थी।

एसपी ने बताया कि बीते 22 अगस्त की रात को एक युवक का सिर मिला था, जिसे उस दिन आसपास के इलाके के लोगों ने पहचानने से इनकार कर दिया था और 23 अगस्त की सुबह बोरे में बंद एक शव मिला था, जिसकी पहचान अख्तर हुसैन ने अपने बेटे खालिद के रूप में की थी। वहीं, मौके से एक धमकी भरा पत्र भी मिला था, जिसमें बियाडा की विवादीत जमीन छोड़ने की धमकी दी गई थी।
जिसको लेकर परिजनों ने सीधा आरोप नगर परिषद सभापति व उनके पति पर लगाया था। जबकि इस हत्या को लेकर परिजनों और स्‍थानीय लोगों ने जमकर बवाल भी मचाया था और विपक्षी पार्टी इसे राजनीतिक मुद्दा बना रही थी, लेकिन यह सब एक सोची समझी साजिश थी। जिसे पुलिस ने बेनकाब कर दिया है।
पुलिस गिरफ्त में आ चुके मो.अब्दुल खालिद हुसैन ने बताया कि यह सब साजिश बेलदारी के एक युवक शादिक के कहने पर की थी और इसके लिए उसने 20 हजार रुपए दिए थे। शादिक ने उसे नरकटियागंज छोड़ा था जहाँ से वह दिल्ली चला गया था और फिर पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया है।
पुलिस अधीक्षक निताशा गुड़िया ने कहा कि अभी तक की जाँच में यह घटना पूरी तरह से बियाड़ा के जमीन के विवाद को तुल देने के लिए अंजाम दिया गया था। किसी प्रकार के राजनीतिक षड्यंत्र की बात सामने नहीं आई है। एसपी ने बताया कि बरामद सिरकटी लाश में बाल का रंग सफेद था। जबकि पुलिस को खालिद के फोटो में उसका बाल काला मिला।
जब पुलिस के द्वारा खालिद के पिता से इस पर पूछताछ की गई तो कहा कि बाल कलर कराया था। इसके बाद पुलिस का संदेह और बढ़ गया। एसपी निताशा गुड़िया ने बताया कि जो लाश बरामद की गई वह किसकी थी इसका खुलासा जल्द किया जाएगा। आरोपितों से पूछताछ के दौरान कई सुराग हाथ लगे हैं।

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