गांव ‘कलाप’ में रहते हैं कौरव-पांडवों के वंशज

विंध्यवासिनी सिंह

यह गांव उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में पड़ता है और यहां रूपिन नदी बहती है। आप इसकी खूबसूरती का अंदाजा सहज ही लगा सकते हैं कि पहाड़ों और लंबे -लंबे देवदार के घने पेड़ों से घिरा यह गांव कितना सुन्दर होगा। प्रकृति के अद्भुत नजारे आप इस गांव के आसपास देख सकते हैं।

महाभारत हमारे देश का ऐतिहासिक ग्रंथ है और महाभारत को लेकर हमारे देश में काफी कहानियां भी प्रचलित हैं। आज हम आपको एक ऐसे गांव की यात्रा पर ले जाएंगे, जिसके बारे में कहा जाता है कि यहां महाभारत काल के कौरव और पांडवों के वंशज रहते हैं। इस गांव का नाम है ‘कलाप’।

यह गांव उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में पड़ता है और यहां रूपिन नदी बहती है। आप इसकी खूबसूरती का अंदाजा सहज ही लगा सकते हैं कि पहाड़ों और लंबे-लंबे देवदार के घने पेड़ों से घिरा यह गांव कितना सुन्दर होगा। प्रकृति के अद्भुत नजारे आप इस गांव के आसपास देख सकते हैं। यहाँ होने वाली बर्फ़बारी इस इलाके को और अधिक सुन्दर बनाती है।

हालाँकि, अभी कोरोना वायरस का समय चल रहा है, किन्तु जब भी समय ठीक हो तो प्राचीन काल की कथाओं से जुड़े इस गाँव में आपको अवश्य ही जाना चाहिए!

हालाँकि यह गांव बहुत सारे इलाकों से कटा हुआ है और कहा जाता है कि यह उत्तराखंड का अंतिम गांव है। शायद यही वजह है कि यहां पर बाहरी लोगों का प्रवेश लगभग ना के बराबर है। यहां रहने वाले निवासी खेती और पशुपालन से अपनी आजीविका चलाते हैं। वही गांव के आसपास उपलब्ध संसाधनों से ही अपना अपनी दिनचर्या तथा जीवन यापन करते हैं। इस गांव में ‘कलाप’ नाम का एक एनजीओ काम करता है जो सैलानियों को इस गांव के बारे में बताता है तथा इस गांव की ऐतिहासिक समृद्धि के दर्शन कराता है। इसीलिए अगर आप यहां घूमने की योजना बना रहे हैं तो सबसे पहले आपको ‘कलाप’ एनजीओ से संपर्क स्थापित करना होगा, जिससे आप आसानी से इस गांव की यात्रा कर सकें और अपने इतिहास के बारे में जानकारी ले सकें।
यह एनजीओ आपके आने-जाने, रहने-खाने की व्यवस्था इस गांव में सुनिश्चित कराता है।
जब आप कलाप पहुंचेंगे तो यहां के नागरिकों से आपको महाभारत के तमाम किस्से सुनने को मिलेंगे। यह नागरिक अपने आप को पांडवों के वंशज बताते हैं। इस गांव में आपको महारथी कर्ण का एक मंदिर भी मिलेगा और 10 साल के बाद नियमित तौर पर इस गांव में कर्ण का उत्सव भी मनाया जाता है। निसंदेह यहां आने के बाद आपको ऐसा प्रतीत होगा कि आप एक अद्भुत दुनिया में आ गए हैं।

कलाप की दूरी- कलाप की दूरी देश की राजधानी दिल्ली से मात्र 500 किलोमीटर के आसपास है तो वहीं उत्तराखंड के देहरादून से 210 किलोमीटर की दूरी पर यह स्थित है। नजदीकी रेलवे स्टेशन देहरादून ही है, और आगे का सफर आपको लोकल संसाधनों के साथ तय करना होगा।

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