मधुमक्खी के डंक का भी है बहुत महत्व

जितना कीमती गुणकारी मधुमक्खी से प्राप्त शहद है उससे भी ज्यादा ही गुणकारी , कीमती मधुमक्खी का डंक उससे निकलने वाला विशेष सफेद गाढ़ा चिपचिपा पदार्थ जो एक नेचुरल वेनम है मधुमक्खी को शहद मॉम के लिए ही नहीं उसके डंक विष के लिए भी पाला जा रहा | कोई भी मधुमक्खी जब काटती है तो अपने स्टिंग अर्थात डंक के माध्यम से हमारी त्वचा में 0.3 Picogram तक विष छोड़ देती है| जिसके कारण हमें तीव्र जलन त्वचा में सूजन हो जाती है| सदियों से जापान चाइना वियतनाम थाईलैंड वाले मधुमक्खी के विष का गठिया रोग रूमेटाइड अर्थराइटिस ,वात रोग, सिया टीका psoriasis ऑटोइम्यून डिजीज जिसमें शरीर का इम्यून सिस्टम हाइपर एक्टिव होकर शरीर की स्वस्थ कोशिकाओं पर हमला करने लगता है आदि में कर रहे हैं| मधुमक्खी के डंक विष से होने वाली चिकित्सा बी वेनम थेरेपी कहलाती है|

आए दिन इस पर मेडिकल साइंस में रिसर्च होती रहती है बहुत से सकारात्मक परिणाम निकल कर आए हैं| मधुमक्खी के sting को विशेष नुकसान पहुंचाए विष निकालने की प्रक्रिया बड़ी ही कौशल युक्त होती है| कहते हैं ना जहर जहर को काटता है ठीक ऐसे ही मधुमक्खी का विष शरीर में रक्त में जब विषैले पदार्थ इकट्ठे हो जाते हैं यूरिक एसिड यूरिया अमल पदार्थ आदि तब यह मधुमक्खी के विष से तैयार सफेद विशेष पाउडर उन्हें बैलेंस करता है| मधुमक्खी के शहद में नेचुरल स्टेरॉयड होते हैं… जो अस्थि व जोड़ों के रोगों में रामबाण है| मधुमक्खी की हजारों प्रजातियां हैं सभी के venom पर परीक्षण प्रयोग हुए हैं प्रयोगों में पाया गया है भारतीय देसी मधुमक्खी जिसे उत्तर भारत में ” डंगारा” मधुमक्खी कहते हैं उसके sting से स्रावित सफेद चिपचिपा विष बहुत ही गुणकारी है असरदारक है, हड्डी वात रोगों में|

निष्कर्ष यही निकलता है अब कभी हमें मधुमक्खी काट ले तो हमें चिंतित भयभीत विक्षिप्त नहीं होना चाहिए | हमें यह मानकर संतोष कर लेना चाहिए आपकी हमारी संभावित हड्डी वात रोगों से बचने के लिए एडवांस में थेरेपी हो गई है| और हां अति हर चीज की बुरी होती है हमें इतना भी उत्साही निश्चिंत नहीं होना चाहिए मधुमक्खी के डंक के गुणकारी पक्ष को जानकर कि मधुमक्खी के छत्ते में हाथ मुंह दे बैठे… थेरेपी की ओवरडोज…. हालत खराब भी कर सकती है… मधुमक्खी के डंक का गुणकारी प्रसाद संतुलित मात्रा में ही ले🐝🐝😊😊😊|

*आर्य सागर खारी*✍✍✍

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