गुलाम नबी साहब ! जनेऊधारियों के साथ जाने पर ऐसा ही अपमान झेलना पड़ता है : ओवैसी

आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
अध्‍यक्ष पद को लेकर कांग्रेस के भीतर की कलह खुलकर सामने आ चुकी है। पार्टी के 23 वरिष्‍ठ नेताओं ने जिस लहजे में अंतरिम अध्‍यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखा। और फिर जिस तेजी से कई मुख्‍यमंत्रियों समेत दिग्‍गज कांग्रेसियों ने सोनिया और राहुल गांधी के नेतृत्‍व में भरोसा जताया, उससे साफ है कि पार्टी में दो गुट बन चुके हैं। कांग्रेस का एक गुट जहां सोनिया गांधी को पूर्णकालिक अध्यक्ष बनाने के पक्ष में है, तो वहीं दूसरा गुट राहुल गांधी को ही अगले अध्‍यक्ष के रूप में देखना चाहता है। उधर प्रियंका गांधी कह चुकी हैं कि कोई गैर गांधी अब पार्टी का मुखिया बनना चाहिए।
कपिल सिब्बल राहुल गाँधी
थोड़ा पीछे मुड़कर देखने ज्ञात होगा की कांग्रेस में अध्यक्ष पद को लेकर उठा मुद्दा कोई नया नहीं है। पूर्व में भी कई बार उठा था मामला, लेकिन ठंठे बस्ते में डाल दिया गया। सोनिया के नेतृत्व में कमजोर पड़ रही पार्टी को नया जोश देने के लिए राजेश पायलट और माधवराव सिंधिया का कई बार नाम उछला, लेकिन विपक्ष कमजोर होने के कारण दोनों में से किसी के हाथ अध्यक्ष पद नहीं आया और परिवार की गुलामी कर रहे नेताओं की जीत निश्चित होती रही। उस समय विपक्ष कमजोर था और मौके को भुना न सका, परन्तु आज स्थिति एकदम विपरीत है।
दूसरे, कांग्रेस को भी अच्छी तरह आभास हो चूका है कि पार्टी पंचायत, नगर निगम और बहुत से बहुत विधानसभा तक सीमित रह गयी है। और कई क्षेत्रों में तो दलीय पार्टियों से भी कमजोर। दरअसल, सोनिया गाँधी ने अपने आगे, कभी किसी की नहीं सुनी।
“बोया पेड़ बबूल का आम कहां से होएं” अर्थात 2014 में मोदी लहर को रोकने के लिए जब सोनिया अपनी सलाहकार समिति के सदस्यों–अरविन्द केजरीवाल, योगेंद्र यादव, मनीष सिसोदिया, संजय सिंह, प्रशांत भूषण आदि को तन, मन और धन से आम आदमी पार्टी के रूप में चुनावी मैदान में उतारने के लिए कटिबद्ध थी–उस समय पार्टी के बुद्धिजीवी वर्ग ने विरोध किया था, लेकिन सोनिया के दिमाग में तो खिचड़ी सरकार घूम रही थी।(उस समय एक हिन्दी पाक्षिक को सम्पादित करते शीर्षक “कांग्रेस के गर्भ से निकली आप” और “कांग्रेस और आप का Positive DNA” लेख लिखा था।) चुनाव परिणाम आने पर बाज़ी पलट गयी, वहीं से कांग्रेस उस पतन मार्ग पर अग्रसर हो गयी, जहाँ से वापसी की दूर तक कोई सम्भावना नहीं। देखा जाए तो बीजेपी से कहीं अधिक कांग्रेस को नुकसान केजरीवाल की पार्टी ने पहुँचाया है। देख लो किसी भी चुनाव के नतीजे। कांग्रेस को मिलने वाला 90 प्रतिशत वोट आप को मिला। हालांकि दिल्ली और पंजाब के अलावा कई स्थानों पर NOTA आप से आगे रहा। यानि राज्यों ने आप को ठुकरा जरूर दिया, लेकिन तब भी कांग्रेस को ही नुकसान पहुँचाया।

सोनिया को पूर्णकालिक अध्यक्ष बनाने की अपील
कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक से कुछ घंटे पहले मध्य प्रदेश के दो पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और दिग्विजय सिंह ने सोनिया गांधी को पूर्णकालिक अध्यक्ष बनने की बात कही। दोनों नेताओं ने एक के बाद एक ट्वीट कर अपना समर्थन जताया। कमलनाथ ने ट्वीट किया, ”सोनिया गांधी के नेतृत्व पर कोई भी सुझाव या आक्षेप बेतुका है। मैं सोनिया गांधी से अपील करता हूं कि वे अध्यक्ष के रूप में कांग्रेस पार्टी को मजबूती प्रदान करें और कांग्रेस का नेतृत्व करें।”

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