परिंदों के घर छोटे नहीं होते

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इस छोटे से घोंसले की सृजक अर्थात आर्किटेक्ट दर्जी चिड़िया है ,इसका निर्माण हमारे घर के आंगन/ गैरेज में ही किया गया है| गुस्ताखी माफ कीजिए घोंसला छोटा नहीं है, चिड़िया व उसके परिवार के मुताबिक बहुत बड़ा है|

यही गुरूर है हम इंसानों का हम गैर मानव निर्मित प्राकृतिक संरचनाओं की व्याख्या अपने सापेक्ष करते हैं|

लौटकर चर्चा घोसले पर ही करते हैं घोसले की खोज घर के खोजी दल बच्चों ने ही की| बच्चों का संघर्ष शुरू हो गया है… घोसले उसमें रखे अंडों को अपनी अपनी समझ के हिसाब से बांट लिया है|

अंडों की संख्या 3 है, आने वाले 2 सप्ताह में चूजे निकल आएंगे| घोंसले का हमने भी निरीक्षण किया , घोसले की मालकिन साथ ही निर्माता नन्ही दर्जी चिड़िया थ्री डाइमेंशनल geometry की गजब की जानकार है, ऐसा प्रथम दृष्टया घोसले को देखने से प्रतीत होता है |

घोंसला अर्ध त्रिआयामी गोलाकार है… केंद्र से सभी दीवारों की दूरी एकदम समान है…| दो शाखाओं के मध्य भाग में प्राकृतिक तंतु से सिलाई कर इस घोसले को बनाया गया है….| घोसले का पूरा रॉ मैटेरियल प्रकृति निर्मित है… छत के हिसाब से घोसला सेमी ओपन है | घोसले में रखे हुए अंडे घोंसले के ऐसे भाग पर दर्जी चिड़िया / टेलर बर्ड ने रखे हैं जिससे वह आसानी से ना फिसले| इस मध्यम आकार के झाड़ी नुमा पेड़ की सबसे लचीली शाखाओं पर यह घोंसला बनाया गया है….. statics and dynamics की भी यह दर्जी चिड़िया जानकार मालूम होती है|

परिंदों की रचना कौशल ,इस स्वाभाविक ज्ञान का कोई तोड़ नहीं है| इन परिंदों के लिए शिक्षा नीति, स्किल डेवलपमेंट का कार्यक्रम परमपिता परमेश्वर बनाता है| फर्क सिर्फ इतना है इन्हें प्रशिक्षण जन्मजात मिलता है|

शिक्षा तो ईश्वर ने मनुष्य को भी दी लेकिन वह उसका अतिक्रमण कर गया उसकी निष्ठा ईश्वर की शिक्षाओं पर नहीं… स्वार्थ लालच शोषण पर आधारित मनुष्यकृत तंत्र में अधिक है|

आपसे केवल इतना अनुरोध है बरसात के मौसम में मध्यम ऊंचाई वाले पेड़ों की छंटाई ना करें…|

बाकी इस परिंदे की रचना कौशल होने का आनंद लें!

*आर्य सागर खारी*✍✍✍

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