मोदी ,मंदिर और अगस्त क्रांति

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हे देश के नौनिहालो ! चिरप्रतीक्षीत शुभ बेला आ गयी है ! हर घर की देहरी पर एक दिया जलाने का सुअवसर आया है ! जी ! 5 अगस्त की तारीख तय हुई है !भगवतपाद श्रीराम की पावन जन्मभूमि पर अति भव्य और दिव्य मन्दिर का विधिवत् भूमि पूजन होगा ! जिसमे सविधान द्वारा घोषित धर्मनिरपेक्ष भारत राष्ट्र के प्रधान-मंत्री का भाग लेना भी तय माना जा रहा है!अपने आपको प्रगतिशील कहने वाले दुष्टो द्वारा प्रधान-मंत्री को इसमे भाग न लेने की निरर्थक सलाह भी दी गई है ! जो लोग प्रधान-मंत्री मोदी को जानते है उन्हे पता होगा कि मोदी वही करते है जो वे करना चाहते है!मोदी जी से कुछ भी न तो करवाया जा सकता है और न ही उन्हे कुछ करने से रोका जा सकता है !वे जिस निमित्त आये है वो कार्य वे अवश्य पूरा करेंगे ही , इसमे किसी को कोई संदेह हर्गिज न होना चाहिये ! ये तारीख मुकरर ही इसलिये हुई है कि ये तारीख विश्व इतिहास की अनोखी तारीख है!ये तारीख विश्व को संदेश है कि अपना भारतवर्ष आने वाली सदी का सांस्कृतिक विश्वनायक है!मोदी सरकार उसके अद्भूत नेतृत्व के किये प्रसिद्ध है !उसका मोदीमय नेतृत्व प्रस्तावित मंदिर निर्माण के साथ ही उस क्षेत्र को एक विश्वविख्यात स्थल के रुप मे विकसित कर भारत मे वैश्विक पर्यटन का मार्ग प्रशस्त करेगा ! पिछली वर्ष की यही तारीख जम्मू-कश्मीर मे अनु 370 समाप्ति की गवाह बनी थी जो मोदी 2 का संक्षिप्त प्रथम परिचय था ! इस बार ये परिचय अपना वास्तविक आकार ले रहा है जिसमे अगले वर्ष जनसंख्या नियंत्रण कानून और समान नागरिक सहिता के और भी नये आयाम देखने को मिलेंगे!कोविड-19 के कालेखण्ड मे भी ये आयाम अप्रभावित रहेंगे,ऐसी अपेक्षा भारतीय जनमानस को करनी चाहिये !हमारी चार चार पीढ़ी के निष्ठावान पूर्वजो ने दिवारों पर जिस स्वाधीनता के दिये जलाए,उन दियो की रोशनी मे वर्तमान पीढ़ी अपना सुनहरा भविष्य लिखेगी!ये आगामी माह अगस्त कोई साधारण माह नही है जो भारत को दो दो स्वाधीनताओ का कर्मिक आनन्द देने वाला है!एक पांच को सांस्कृतिक और दूजा पंद्रह को राजनैतिक स्वाधीनता का! यदि राजनैतिक ,सांस्कृतिक और उतनी ही मानसिक चिरदासता से ग्रस्त रहे भारतीय समाज मे कोई चिंतक इसकी तुलना अगस्त क्रांति से करे तो इसमे कोई गलत बात नही है ! मेरी नजर मे उसे इस बात का पूरा अख्तियार है!आप इस विश्लेषण को हल्का आंकने की भूल कदापि न करे !उपरोक्त प्रकरण में भारतवर्ष का अन्तर्राष्ट्रीय सम्मान, राष्ट्रीय सांस्कृतिक और सभ्यताई अस्मिता समाहित है जिसके दर्पण मे आगामी पीढी अपनी सर्वागीण विकास युक्त मोहक छवि को देखकर इतराने वाली है ! जय हो ! बहुत बहुत शुभकामनाएं!

आपका
तारा चांद खेतावत
जय हिन्द!जय भारत!
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