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आतंकवाद

जारी है हिंदू देवी देवताओं का अपमान : अब पादरी ने देवी की प्रतिमा को बताया शत्रु की शक्ति ,यीशु का नाम लेकर लगा दी आग ,एफ आई आर दर्ज

अरुणाचल प्रदेश में एक बार फिर धार्मिक भावनाओं को आहत करने का मामला सामने आया है। यहाँ पूर्वी कामेंग जिले (East kameng district unit) की कुछ धार्मिक व सांस्कृतिक संस्थाओं ने मिलकर सेप्पा के पेंटेकोस्टल चर्च के पादरी, चतुंग सोपुंग और तली लंगड़ो समेत अन्य लोगों पर एफआईआर दर्ज करवाई है।

एफआईआर में संस्थाओं ने आरोप लगाया है कि उक्त लोगों ने उनके समुदाय के लोगों की धार्मिक भावनाओं को आहत करते हुए सर्वोच्च देवी की प्रतीक ऐन डोनई (ane donyi) (सूर्य की माता) के चिह्न को जलाया।

इस एफआईआर में संस्थाओं ने पादरियों के इस एक्शन को पूर्ण रूप से अरुणाचल प्रदेश की धार्मिक स्वतंत्रता की धारा 3, 4 और 5 का उल्लंघन बताया। साथ ही ये भी उल्लेख किया कि यह कृत्य आईपीसी की धारा 295 A और 298 समेत सभी शांति भंग करने वाले प्रवधानों का उल्लंघन है। इसलिए वह चाहते हैं कि इस मामले में शिकायत दर्ज करके उचित कार्रवाई हो।

उल्लेखनीय है कि यह मामला संज्ञान में आने के बाद इस संबंध में ऑपइंडिया ने एफआईआर करने वाले IFCSAP EK ईकाई के अध्यक्ष ख्या सोनम से बात करने की कोशिश की। मगर उन्होंने बैठक में होने का हवाला देकर फोन रख दिया। फिर, हमने अन्य संस्था NIFCS EK यूनिक के चेयरमैन कारलिंग डोलो को संपर्क किया। लेकिन, उन्होंने भी सवालों का जवाब नहीं दिया।

इसके बाद हमने सोशल मीडिया पर शेयर की जा रही वीडियोज से जानकारी जुटाई। इसमें यह स्पष्ट दिखा कि किस प्रकार ईशु के नाम पर अन्य धर्म की भावनाओं का मजाक बनाया गया।

गौरतलब है कि इस एफआईआर के अलावा सोशल मीडिया पर जो वीडियो सामने आई है। उसमें कुछ ईसाई जीसस के नाम पर ऐन डोनई के चिह्न व मूर्तियों को जलाते नजर आ रहे हैं। वीडियो में हम सुन सकते हैं कि पादरी कहता है कि ईशु के नाम पर हम सारे शत्रुओं की शक्तियों को कुचलते हैं। ईशु के नाम पर सारे मूर्तियों, दुष्ट प्रेत आत्माओं को जलाते हैं।

इसके बाद एक युवक सभी धार्मिक चिह्नों पर ज्वलनशील पदार्थ डालकर उन्हें आग के हवाले कर देता है। सभी लोग उसपर घास-फूस डालकर इस कृत्य में अपना सहयोग देते हैं। पादरी लगातार देवी की मूर्ति और चिह्नों को जलाते हुए कहता रहता है कि यह सभी कुछ ईश्वर के नाम पर भस्म किया जाता है।

वीडियो में ध्यान से सुनने पर पता चलता है कि जो चिह्म इस दौरान भस्म नहीं हो पाए, उन्हें भी आग में डाला गया ताकि वह भी आग की तपिश झेंलें। उनके ऊपर भी भूसा डालकर पूरी कोशिश हुई उन्हें जलाने की।

सोशल मीडिया पर इस कृत्य को सामने लाते हुए पाइ दवे नाम के यूजर ने लिखा है ऐसे ही वजहों से वे लोग अरुणाचल प्रदेश में फ्रीडम ऑफ रिलीजन एक्ट को सख्ती से लागू करने की वकालत करते हैं। लेकिन इस तरह की घटनाएँ राज्य सरकार के पक्षतापूर्ण रवैये का परिणाम हैं। सोशल मीडिया यूजर लिखते हैं कि राज्य सरकार के लिए समय आ गया है कि वे स्वदेशी संस्कृति और परंपरा के संरक्षक के रूप में दिखावटी होने के बजाय पत्र और भावना में अधिनियम के कार्यान्वयन और क्रियान्वयन पर गंभीरता से विचार करें।

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