Categories
उगता भारत न्यूज़

भारत पर सबसे अधिक प्रभाव डाल सकता है 21 जून को होने वाला सूर्य ग्रहण , संभावित आपदा को लेकर सचेत रहने की जरूरत

…………. …………………………………
राकेश छोकर / नई दिल्ली
……………………………………………….
विज्ञान एवं भारतीय दर्शन केंद्र के प्रमुख एवं विज्ञानवेत्ता प्रभु नारायण के अनुसार आगामी 21 जून को लगने वाला सूर्य ग्रहण सबसे ज्यादा प्रभाव भारत पर डाल सकता है और निसंदेह भूकंप जैसी आपदा की संभावना सबसे ज्यादा प्रबल है। कई छोटे मध्यम दर्जे का भूकंप बड़े भूकंप की संभावना की ओर इंगित करता है ।
अभी 3 दिन पहले भुज में 5.5 रिक्टर का भूकंप आया था ,जो प्रातः काल आया था ।उनके अनुसार प्रलयंकारी भूकंप ज्यादातर ब्रह्म मुहूर्त के आसपास ही आता है । प्रिंसिपल उपनिषद के अनुसार ब्रह्म शब्द की निष्पत्ति वहनी धातु से हुआ है जिसका अर्थ होता फैलना और विस्फोट । सूर्य ग्रहण के दौरान पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण में बदलाव आता है ,जिसके कारण आंतरिक उर्जा में बढ़ोतरी होती है। और वह थर्मोडायनेमिक्स द्वितीय सिद्धांत का पालन करता हुआ फॉल्ट लाइन से निकलने की कोशिश में होता है ।
प्रभु नारायण का मानना है कि सॉलिड रॉकी जोन में भूकंप की तरंगे 20 गुना ज्यादा गति से गमन करती है ,मिट्टी वाले भूखंडों के तुलना में । जबकि मैदानी क्षेत्र का जमीन भुरभुरा होता है, इसलिए दोनों ही स्थिति में भूकंप विनाशकारी साबित होता है ।आपदा की तैयारी की बाबत उन्होंने बताया कि एक छोटे से थैले में टॉर्च ,कुछ नमकीन, पानी की बोतल, एक जोड़ी कपड़े और तोलिया जरूर तैयार रखें । नदियों के किनारे कैम्प किया जाना सुरक्षित रह सकता है । भारत में सूर्यग्रहण के दौरान हजारों वर्षों से नदी में स्नान की परंपरा है , यह आपदा प्रबंधन का सबसे उत्तम तरीका था । क्योंकि सूर्य ग्रहण के बाद थोड़े समय या दो चार-पांच दिनों तक भी ऐसी संभावना होती है कि भूकंप प्रलय कारी आ सकता है ।

उन्होंने चेताया कि यह नजरअंदाज करने का विषय नहीं है, इस विषय पर ध्यान रखेंगे कि घर में कुत्ते ,गाय अन्य पशु यदि कोई चहल कदमी कर रहा हो या रोने की आवाज निकाल रहा हो जैसे बिल्ली का रोना ,कुत्ते का रोना तो पूर्ण सावधान रहने की जरूरत है। विनाशकारी भूकंप के दौरान बिजली के खंबे या लाइने कट सकती हैं। वही पानी प्राप्त करने का स्रोत बोरिंग है या फिर सप्लाई लाइन है , इसके टूट-फूट जाने की संभावनाएं अत्यधिक प्रबल होती है । ज्यादातर नदियां सूख चुकी है इसलिए जल बोतल में अपने पास जरूर रखें । पांचवी शताब्दी में ही आचार्य वराहमिहिर ने भी सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण के बाद भूकंप आने की बात अपने साहित्य में पुष्ट की थी।

Comment:Cancel reply

Exit mobile version