योग शांति सद्भाव के साथ प्राणी मात्र के उत्थान का मंत्र , विश्व में योग क्रांति भारतीय संस्कृति की देन

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राकेश छोकर / नई दिल्ली
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अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की पूर्व संध्या पर, अखंड भारत गुर्जर महासभा के द्वारा आयोजित वेबीनार में विश्व के विद्वत जनों ने योग महिमा का बखान किया। योग को विश्व जनमानस के जीवन के लिए आवश्यक करार दिया गया ।
“अंतरराष्ट्रीय योग दिवस और भारतीय संस्कृति” नामक विषय पर आयोजित इस वेबीनार में बतौर मुख्य अतिथि के रूप में पोलैंड में वर्सा विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर और विदेशों में भारतीय संस्कृति पर आधारित विद्वानों के साहित्य के समीक्षक डॉ सुधांशु शुक्ला ने कहा कि योग मानव मात्र को जोड़ने का काम करता है। योग संस्कृति और भाव का विशिष्ट सामंजस्य है, जो एक दूसरे के पर्याय हैं। विश्व में सद्भाव और शांति की स्थापना में योग का विशिष्ट योगदान है। उन्होंने वैश्विक पटल पर योग की स्थापित महत्ता को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों की जमकर सराहना की। विशिष्ट अतिथि के तौर पर इंडियन इकोनामिक सर्विसेज के पूर्व अधिकारी डॉक्टर महिपाल सिंह ने कहा कि योग साधना से मानव आत्मशांति और सद्भावना की स्थापना कर पाता है। दुनिया में योग की क्रांति भारतीय संस्कृति के द्वारा ही संभव हो पाई है।

कार्यक्रम में उद्घाटन भाषण में महासभा के राष्ट्रीय संयोजक डॉ मोहनलाल वर्मा ने भारतीय संस्कृति में योग की महत्ता की चर्चा की। राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ देवनारायण गुर्जर ने वैश्विक पटल पर भारतीय संस्कारों की स्थापना के लिए भारतीय मनीषियों का आभार जताया। श्री कृष्ण गीता धाम के संस्थापक आनंद स्वामी, उनके सुयोग्य पुत्र योगी वरुणानंद ने कहा कि मानसिक और शारीरिक क्षमता की पूर्णता के लिए योग अनिवार्य है। परमात्मा और आत्मा का मिलन भी योग से संभव है, पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव से युवा पीढ़ी भ्रमित है, उन्हें योग संस्कारों की आवश्यकता है। कार्यक्रम में राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य सुरभि भाटी, राष्ट्रीय महासचिव राकेश छोकर ने भी विचार रखे। कार्यक्रम का सफल संचालन प्रमुख पर्यावरणविद डॉक्टर संजीव कुमारी गुर्जर ने किया। मुख्य उपस्थिति डॉ रमा शर्मा जापान, डॉक्टर शिवा लोहारिया जयपुर, प्रसिद्ध लेखक एवं प्रोफ़ेसर डॉ राकेश राणा आदि की रही।

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