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गन्ना मूल वनस्पतिक तौर पर एक घास ही है, जिस की खेती ने मानव सभ्यता को नई दिशा दी है | अंग्रेजी में इसको सुगरकेन, संस्कृत में इक्षु कहते हैं | गन्ने के रस से निश्चित तापमान में उसे पकाकर विविध उत्पाद तैयार किए जाते हैं जिनमें गुड़ शक्कर खांड मिश्री बुरा चीनी शीरा ब्राउन शुगर आदि शामिल है| यह सभी अलग-अलग प्रभाव लिए हुए होते हैं | सेवन की दृष्टि से इन पदार्थों की सीमाएं अर्थात आहार सातम्य हैं कोई किसी के लिए अनुकूल है तो कोई किसी के लिए प्रतिकूल है |

लेकिन गन्ने के रस से ही एक खास कणों से युक्त गाढ़ा लह पदार्थ तैयार किया जाता है जिसे रब्बी या राब बोला जाता है| बहुत ही गुणकारी अमृत के समान पदार्थ है यह| रोगी निरोगी बाल युवा वृद्ध किसी भी आयु अवस्था का व्यक्ति इसका सेवन कर सकता है|
सुश्रुत ने भोजन के छ: प्रकार गिनाए हैं: चूष्म, पेय, लेह्य, भोज्य, भक्ष्य और चर्व्यपाचन की दृष्टि से चूष्य पदार्थ सबसे अधिक सुपाच्य बताए गए हैं… इन्हीं में यह शामिल है|
आयुर्वेद की दृष्टि से वात पित्त कफ नाशक बल वीर्य वर्धक मधुमेह नाशक है… यौन रोग, रक्त विकार मूत्र विकार में तो रामबाण है| जच्चा रोगों में तो यह इतना गुणकारी है पहले जो माताएं बहने ग्रीष्म ऋतु में प्रसव करती थी उन्हें गुड़ के स्थान पर इसी का सेवन कराया जाता था| अत्यंत पुष्टि वर्धक बलवर्धक है| शरीर पर अति शीतल प्रभाव पड़ता है यही कारण है भयंकर गर्मी लू के मौसम में इसका सेवन मई से जून के दौरान किया जाता है|
गाय के दूध ,लस्सी में भी इसका सेवन किया जा सकता है| मानसिक शारीरिक कमजोरी कोसों दूर भाग जाती है |

फरवरी-मार्च में जब गन्ना पक जाता है तो उसे गन्ने की वृद्धावस्था माना जाता है गन्ने की युवा बाल वृद्ध तीन अवस्थाएं आयुर्वेद के जानकारों ने निर्धारित की है|

तीनों ही अवस्थाओं से प्राप्त रस व उन से बने उत्पादों का अलग-अलग प्रभाव होता है| गांव गांव कोल्हू होते थे …| जनवरी फरवरी-मार्च में पके हुए गन्ने के रस को खदान में डालकर निश्चित तापमान पर पकाया जाता है.. रस जब गाढ़ा चिपचिपा हो जाता है… उसमें कण होते हैं… यह ही सॉलिड मिनरल्स है… शेष इसमें विटामिन होते हैं उसको कोरे मटके या करवे में रख लिया जाता है… मटके के मुख को किसी कपड़े से बंद रखकर… अंधेरे नमी रहित स्थान पर रख दिया जाता है तो 2 से 3 महीने पर उस अध्पके के रस से मटके के अंदर ही रब्बी रूपी अमृत तैयार हो जाता है… यह अनोखी केमिस्ट्री थी जिसे जानकार माहिर हुनरमंद बुजुर्ग जानते थे| मई-जून में भयंकर गर्मी के महीने में नमकीन रोटी पर रखकर उस रब्बी का सेवन किया जाता था.. वैद्य हकीम डॉक्टर महामारी आपके आसपास नहीं फटक सकती रब्बी एक नेचुरल मल्टीविटामिन supplement, जिसमें लोहा जिंक कूट-कूट कर भरे हुए हैं इम्यूनिटी नेचुरल तौर पर बूस्ट रहती है|

स्कॉटलैंड वाले शराब जैसे बुद्धि नाशक पदार्थ को पुरानी करके Aged करके सेवन करते थे.. उसे अधिक स्वादिष्ट बताते थे लेकिन हमारी आर्य वैदिक संस्कृति में हमारे महा मनस्वी बुजुर्ग रब्बी को पुरानी रखकर सेवन करते थे… पश्चिम वालों ने गन्ने से शराब बनाई हमारे पूर्वजों ने रब्बी जैसा अमृत बनाया…|

हमारे देश में पश्चिमी उत्तर प्रदेश गंगा जमुना दोआब उत्तर प्रदेश पूर्वांचल का तराई का इलाका तथा महाराष्ट्र में गन्ने की खेती की जाती है इनमें सर्वाधिक रसीला गुण कारक गन्ना पश्चिमी उत्तर प्रदेश का ही माना जाता है| गन्ना किसानों की भी समस्याएं हैं… सरकार यदि उन पर ध्यान दें प्राइवेट मिलो पर नियंत्रण करें गन्ना किसान की समस्या दूर हो सकती हैं… रब्बी जैसे परंपरागत खाद्य पदार्थों की ब्रांडिंग हो… लोकल से वोकल की घोषणा साकार फलीभूत हो सकती है…| रब्बी का इस समय भाव ₹60 किलो है… बड़े स्तर पर इसका उत्पादन नहीं होता|

मेरे बुजुर्ग बताते हैं पहले गौतम बुध नगर में भी गन्ने की खेती होती थी 80 के दशक के बाद गन्ने की खेती लुप्त हो गई| भारत , ब्राजील के बाद सर्वाधिक गन्ना उत्पादक देश है.. तीसरा स्थान चाइना का है…|

बुजुर्ग बताते हैं पहले रब्बी गुड बुरा शक्कर गौतम बुध नगर में घर पर ही तैयार कर ली जाती थी|

बताते हैं मरूभूमि पश्चिमी राजस्थान बाड़मेर बीकानेर जैसलमेर से मारवाड़ी व्यापारी आते थे गुड शक्कर रब्बी ऊंटों पर ले जाते थे…. राजस्थान की उन क्षेत्रों में गन्ने की खेती नहीं हो सकती जब से सरस्वती नदी विलुप्त हुई है गन्ने की खेती वहां पर नहीं होती…|

गौतम बुध नगर के किसानों की जमीन हड़प ली गई है अपनी मूल आबादी को बचाने के लिए भी संघर्ष कर रहा है|

आर्य सागर खारी ✍✍✍

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