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लद्दाख में चीन कहीं डोकलाम को तो नहीं दोहरा रहा है ?

क्या आपको डोकलाम याद है ? आपने चीन की उस हरकत को किस नजरिये से देखा था ?

अगर आपको याद हो तो डोकलाम का संकट शुरू हुआ था 16 जून 2017 से ! जिस दिन वह संकट प्रारम्भ हुआ उस दिन तक भारतीय मीडिया में क्या प्रमुख खबर चल रही थी, क्या आपको याद है ? जी हां, भारतीय मीडिया हमको बराबर बता रहा था कि भारत कभी भी पाकिस्तान पर आक्रमण कर सकता है ! उसके लगभग 9 महीने पहले 29 सितंबर 2016 के दिन भारत ने पाक अधिकृत कश्मीर के अंदर सर्जिकल स्ट्राइक किया था। उसके बाद दोनों देशों में युद्ध सदृश माहौल बन गया था। उस सर्जिकल स्ट्राइक के बाद धीरे धीरे भारतीय मीडिया में भारत पाकिस्तान पर आक्रमण कर सकता है, ऐसी खबरें बढ़ते क्रम से आने लगी थीं। माहौल ऐसा बन गया था कि लग रहा था आज युद्ध शुरू जाए या अगले कुछ दिनों में !

लेकिन तभी 16 जून 2017 के दिन ने भारत, भूटान और चीन सीमा के त्रिकोण पर कुछ सौ सैनिकों को उतार दिया ! अब भारतीय मीडिया में अगले कुछ दिनों तक डोकलाम ही छाया रहा। उसके बाद भारतीय मीडिया से भारत -पाकिस्तान युद्ध के खबरें गायब हो गयीं ! तो क्या भारत को कूटनीतिक इशारा देने के लिए चीन ने डोकलाम में सेना उतारी थी ? क्या पाकिस्तान उसका ‘हर मौसम का सहयोगी’ है ,यह बताने के लिए ही केवल उसने डोकलाम का षड्यंत्र रचा था ? तब मैंने अपने सोशल मीडिया पोस्ट्स में यही निष्कर्ष प्रस्तुत किया था कि डोकलाम केवल भारत को चेतावनी देने के लिए बढ़ाया गया कदम था, जिसे शायद भारत सरकार ने भी समझ लिया कि अगर पाकिस्तान पर हमला किया तो दो मोर्चों पर एक साथ लड़ना होगा।

अब कुछ महीनों से फिर भारतीय मीडिया में पाक अधिकृत कश्मीर के विषय में भारतीय हलचल की खबरें आने लगी थीं। वे खबरें तब परवान चढ़ गयीं जब खबर छपी कि अमेरिका ने पाक अधिकृत कश्मीर को भारत का हिस्सा दिखाया है। उसके बाद फिर सोशल मीडिया और मीडिया में पाक अधिकृत कश्मीर पर भारत सरकार की रणनीति के बारे में खबरों की बाढ़ आने लगी थीं। क्या भारत कोई कदम उठाने जा रहा था ? क्या अमेरिका ने सहयोग का आश्वासन दिया था ? क्या उसकी भनक चीन को लग गयी ? जिस तरह से चीन ने अचानक कुछ सौ सैनिकों को लद्धाख में उतारा है, उससे तो मुझे वह उसकी डोकलाम कूटनीति की पुनरावृत्ति ही दिख रही है। अब भारतीय मीडिया में लद्धाख की खबरें छा गयी हैं और पाक अधिकृत कश्मीर पर भारत सरकार की रणनीति पर्दे के पीछे खिसक गई दिख रही है।

चीन ने लद्धाख में सेना उतार कर फिर पाकिस्तान का साथ देने का कूटनीतिक संकेत दे दिया है, क्योंकि उसके लिए पाकिस्तान घोषित रूप से ‘हर मौसम का दोस्त’ है। पर भारत क्या करे ? भारत सरकार ने सच मे पाक अधिकृत कश्मीर के विषय मे कोई रणनीति पर काम करना प्रारंभ किया था या नहीं, इसकी सही जानकारी मिलना असंभव है और उसका सार्वजनिक होने देना भी गलत है। पर हमारा मानना है कि भले अमेरिका पूर्ण सहयोग का आश्वासन दे दिया हो, फिर भी अगले दशक तक भारत को संयम रखना ही अधिक योग्य है। भारत को विश्व की रणभूमि बना देना कभी भी समर्थन योग्य नहीं हो सकता है। हां, दूसरे द्वारा युद्ध थोपने पर बात अलग हो जाएगी। पर स्वयं भारत को तब तक पाकिस्तान या चीन से युद्ध की पहल नहीं करनी चाहिए जब तक भारत की जीडीपी चीन से आधी नहीं हो जाती है या चीन में राजनीतिक क्रांति हो जाती है। इन दो बातों से पूर्व स्वयं युद्ध की स्थितियों को पैदा करने से बचना ही कौटिल्य अर्थशास्त्र पर चलना हो सकता है।

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