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भारतीय संस्कृति

आर्थिक क्षेत्र गढ़़ रहे हैं राजस्थान में विकास की नई परिभाषा

गोपेन्द्र नाथ भट्ट

विशेष आर्थिक क्षेत्रा (सेज) एक ऐसा भूगोलीय क्षेत्रा है जिसमें लागू होने वाले नियम सामान्यतया देश में लागू आर्थिक नियमों से अलग होते हैं। सेज एक ड्यूटी फ्री क्षेत्रा होता है, जिसका मुख्य उद्देश्य विश्व स्तरीय आधारभूत सुविधाएं विकसित कर इसके द्वारा देशी एवं विदेशी निवेश को आकर्षित करना तथा रोजगार के नये अवसर सृजित कर देशद्ब्रप्रदेश की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करना है। देश में विशेष आर्थिक क्षेत्रों की स्थापना आयातद्ब्रनिर्यात नीति के अन्तर्गत सन् 2000 से शुरू हुई थी। विशेष आर्थिक क्षेत्रों से तीव्र गति से विकास के लिए भारत सरकार ने विशेष आर्थिक क्षेत्रा अधिनियम, 2005 एवं नियम, 2006 लागू किये। राजस्थान के मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत की दूरगामी सोच एवं राजस्थान को औद्योगिक क्षेत्रा में एक आदर्श राज्य बनाने की परिकल्पना को साकार करने के उद्देश्य से ही राज्य सरकार ने वर्ष 2003 में विशेष आर्थिक क्षेत्रा नीति एवं विशेष आर्थिक क्षेत्रा अधिनियम, 2003 लागू किया। इस नीति एवं नियम के उपरान्त रीको द्वारा तीन उत्पाद आधारित विशेष आर्थिक क्षेत्रा सीतापुरा, जयपुर में जेम्स एण्ड ज्वैलरी के लिए तथा बोरानाडा, जोधपुर में हैंडीक्राफ्ट्स के लिए स्थापित किये। राज्य सरकार द्वारा वर्तमान में इन विशेष आर्थिक क्षेत्रों के लिए अनेक रियायतें एवं छूट प्रदान की जा रही है। सेज क्षेत्रों में राजस्थान कृषि जोतों पर अधिकतम सीमा अधिरोपण अधिनियम, 1973 के प्रावधान लागू नहीं हैं, भूमि रूपान्तरण में शतद्ब्रप्रतिशत की छूट विकासकर्ता को देय है, विकासकर्ता, सह विकासकर्ता एवं इकाईयों को मुद्रांक शुल्क में शतद्ब्रप्रतिशत छूट, किराये के भवन में स्थापित होने वाली इकाईयों को रेन्ट डीड निष्पादन में मुद्रांक शुल्क में शतद्ब्रप्रतिशत छूट दी जा रही है। इसके अलावा विद्युत शुल्क में 10 वर्ष के लिए शतद्ब्रप्रतिशत छूट, विकासकर्ता एवं इकाई को कार्य अनुबंध कर में शतद्ब्रप्रतिशत की छूट 23 अगस्त, 2014 तथा पिछडे क्षेत्रों में 23 अगस्त, 2017 तक छूट दी जा रही है, इकाई स्थापित करने के लिए आवश्यक केपिटल गुड्स पर प्रवेश शुल्क में भी शतद्ब्रप्रतिशत छूट, इकाई को केवल सामान बनाने के लिए उपयोग में आने वाली वस्तुओं पर मूल्य आधारित कर (वेट) में शतद्ब्रप्रतिशत छूट, विलासिता कर में सात वर्षों के लिए शतद्ब्रप्रतिशत छूट एवं मनोरंजन कर में सात वर्षों के लिए 50 प्रतिशत छूट दी जा रही है।

रीको द्वारा स्थापित विशेष आर्थिक क्षेत्रा के अन्तर्गत सीतापुरा में प्रथम चरण में जैम्स एण्ड ज्वैलरी के विशेष आर्थिक क्षेत्रा को 21 मई, 2003 को स्वीकृति दी गई थी। इसके तहत 21.50 एकड़ भूमि एवं 51 भूखण्ड सृजित किये गये। इसी प्रकार द्वितीय चरण के विशेष आर्थिक क्षेत्रा को 23 दिसम्बर, 2003 को स्वीकृति प्रदान की गई। इसमें 89.39 एकड भूमि एवं 191 भूखण्ड उपलब्ध करवाये गये। विशेष आर्थिक क्षेत्रा (हैण्डीक्राफ्ट) के लिए बोरानाडा, जोधपुर में 22 जुलाई, 2003 को स्वीकृति प्रदान की गई। इसके तहत 180.94 एकड भूमि एवं 289 भूखण्ड सृजित किये गये।
रीको द्वारा स्थापित सीतापुरा सेज द्वारा वर्ष 2011द्ब्र12 में करीब 975 करोड रुपये का निर्यात किया गया। बोरानाडा, जोधपुर द्वारा इसी अवधि में करीब 40 करोड़ रुपये का निर्यात हुआ। वर्ष 2012द्ब्र13 में अगस्त, 2012 तक रीको द्वारा स्थापित सेज से करीब 234 करोड रुपये का निर्यात हो चुका है। इन सेज द्वारा करीब 9 हजार लोगों को रोजगार उपलब्ध हो रहा है। भारत सरकार के अधिनियम, 2005 एवं नियम 2006 के उपरान्त निजी क्षेत्रा द्वारा राज्य में विशेष आर्थिक क्षेत्रा स्थापित करने के लिए प्रस्ताव दिये गये जिस पर केन्द्र सरकार द्वारा स्वीकृतियों की वर्तमान स्थिति के अनुसार अधिसूचितद्ब्र9, औपचारिक कार्य स्वीकृतिद्ब्र1, तथा सैद्धान्तिक स्वीकृतिद्ब्र12 दी गई है।
महेन्द्रा वल्र्ड सिटी सेज
यह परियोजना 3 हजार एकड भूमि पर स्थापित की जानी है। इसके तहत 2500 एकड़ भूमि पर सेज एवं शेष भूमि पर डीटीए स्थापित की जानी है। अभी तक करीब 2908 एकड भूमि इस परियोजना के लिए हस्तान्तरित की जा चुकी है जिसमें 1000 एकड़ सरकारी भूमि भी शामिल है। परियोजना की अनुमानित लागत करीब 1500 करोड रुपये है। महिन्द्रा वल्र्ड सिटी की परियोजना में करीब 10 हजार करोड़ रुपये का निवेश सम्भावित है। इसमें करीब एक लाख लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार उपलब्ध होने की संभावना है। अगस्त, 2012 तक करीब 1087 करोड रुपये का निवेश विकासकर्ता एवं इकाईयों द्वारा किया जा चुका है तथा करीब 4700 लोगों को रोजगार उपलब्ध हो रहा है। वर्ष 2012द्ब्र13 में अगस्त, 2012 तक इस सेज से करीब 207 करोड रुपये का निर्यात हो चुका है। भारत सरकार द्वारा अभी तक महिन्द्रा वल्र्ड सिटी के 4 उत्पाद आधारित सेज (सूचना प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, रत्न एवं आभूषण एवं हैण्डीक्राफ्ट सेज) को अधिसूचित किया जा चुका है। इसके अलावा केन्द्र सरकार ने एक अन्य सूचना प्रौद्योगिकी सेज (द्वितीय चरण) भूमि 56.91 हेक्टेयर को भी अधिसूचित कर दिया है। ये सभी सेज अन्तत: बहु उत्पाद सेज के ही हिस्से होंगे। सूचना प्रौद्योगिकी सेज करीब 155 हेक्टेयर भूमि पर प्रारम्भ किया जा चुका है। वर्तमान में इस सेज में इन्फोसिस बीपीओ लि., इन्फोसिस लि., न्यूक्लियस सोफ्टवेयर, ईएक्सएल सर्विसेज, सिस्टवीक एवं डॉयस बैंक द्वारा अपनी इकाईयां स्थापित की जा चुकी है। इन्फोसिस ने करीब 113 करोड रुपये का निवेश किया एवं करीब 1200 लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार उपलब्ध करवाया है। इसी तरह डॉयस बैंक ने अपनी इकाई में करीब 1500 लोगों को रोजगार उपलब्ध करवाया है। सूचना प्रौद्योगिकी आधारित सेज में महिन्द्रा वल्र्ड सिटी द्वारा करीब 16 कम्पनियों (इन्फोसिस बीपीओ लि., डॉयस बैंक सहित) के साथ मेमोरेन्डम ऑफ एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किये हैं जिससे इस सेज में करीब 950 करोड रुपये का निवेश अनुमानित है। करीब 57 हजार लोगों को इसमें रोजगार उपलब्ध होने की संभावना है। हेण्डीक्राफ्ट जोन में मैसर्स रत्न टैक्सटाइल एवं लक्ष्मी आईडिल इन्टेरियर नाम की कम्पनियों ने उत्पादन शुरू कर दिया है। हैण्डीक्राफ्ट आधारित सेज में महिन्द्रा वल्र्ड सिटी द्वारा करीब 13 कम्पनियों के साथ मेमोरेन्डम ऑफ एग्रीमेंट हस्ताक्षरित किये हैं जिससे इस सेज में करीब 106 करोड़ रुपये निवेश अनुमानित है एवं करीब 3000 लोगों को रोजगार उपलब्ध होने की संभावना है। यहां इंजीनियरिंग सेज ने भी जून, 2011 से कार्य करना आरम्भ कर दिया है। इसमें नीटप्रो एवं ग्रेविटा टैक्नोमेक नाम की कम्पनियों ने अपना उत्पादन शुरू कर दिया है। इसके लिए भी महिन्द्रा वल्र्ड सिटी द्वारा करीब 12 कम्पनियों के साथ मेमोरेन्डम ऑफ एग्रीमेंट हस्ताक्षरित किये गये हैं जिससे करीब 234 करोड़ निवेश अनुमानित है एवं करीब 2200 लोगों को रोजगार उपलब्ध होने की संभावना है।

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